Book Title: Vartaman Chovisi Pooja Vidhan
Author(s): Vrundavandas
Publisher: Jinvani Pracharak Karyalaya

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Page 155
________________ ॐ हीं श्रीनमिनाथजिनेन्द्राय अनयंपदप्राप्तये अर्धं नि० ॥६॥ पञ्चकल्याणक । गरभागम मंगलचारा । जुग आसिन श्याम उदारा ॥ हरिहर्षि जजे पितुमातो । हम पूजें त्रिभुवन-ताता ॥ १ ॥ ___ॐ हीं आखिनकृष्णद्वितीयायां गर्भावतरणमंगलप्राप्ताय श्रीनमिनाथजिनेन्द्राय अयं जनमोत्सव श्याम असादा । दशमीदिन आनँद बाढ़ा॥ हरि मंदर पूजे जाई । हम पूजें मनवचकाई ॥२॥ ___ॐ हीं श्रीआपाढकृष्णादशम्यां जन्ममंगलप्राप्ताय श्रीनमिनाथजिनेन्द्राय अर्घ नि० तप दुद्धर श्रीधरधारा । दशमीकलि षाढ़ उदारा॥ निज आतमरसझर लायौ। हम पूजत आनंद पायौ ॥३॥ ___ ॐ हीं आपाढ़ कृष्णदशम्यां तपकल्याणप्राप्ताय श्रीनमिनाथ जिनेन्द्राय अयं नि०

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