Book Title: Vartaman Chovisi Pooja Vidhan
Author(s): Vrundavandas
Publisher: Jinvani Pracharak Karyalaya

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Page 156
________________ %3 पूर सित मगसिरग्यारस चूरे । चवघाति भये गुनपूरे॥ समवस्रत केवलधारी।तुमकों नित नौति हमारी॥४॥ ___ ॐ हीं श्रीमार्गशीर्षशुक्ल कादश्यां केवलज्ञानमंगलप्राप्ताय श्रीनमिनाथजिनेन्द्राय अर्घ नि० वयसाख चतुर्दशि.श्यामा।हनि शेष वरी शिववामा ॥ सम्मेदथकी भगवंता। हम पूजै सुगुन अनंता ॥५॥ ॐ हीं वैशाखकृष्णचतुर्दश्यां मोक्षकल्याणकप्राप्ताय श्रीनमिनाथजिनेन्द्राय अर्घ जयमाला। दोहा---आयु सहस दशवर्षकी, हेमवरन तनसार ॥ धनुप पंचदश तंग तन, महिमा अपरंपार ॥१॥ जै जै जै नमिनाथ कृपाला । अरिकुलगहनदहनदवज्वाला ॥ जै जै धरमपयोधर श्रीरा। जय भवभंजन गुनगंभीरा ॥२॥जै जै परमानंद गुनधारी। विश्वविलोकन जनहितफारी ॥ अशरनशग्न उदार जिनेशा । जैजे समवशरन आवेशा ॥ ३॥जै जै केवलज्ञान

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