Book Title: Uvangsuttani Part 05
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
View full book text
________________
१८०
पसय- उब्भूय
१८,३५,६३,१०६,१८०,२२२,२२३;७।१७८ पसय (दे०) प ११६४ ज २१३५ पसर (प्र+स) पसरइ उ ३।५१ पसरई
१।१०१७ पसरित्ता (प्रसृत्य) उ ३१५१ पिसव (प्र--सू) पसवंति ज २०४६
पसार (प्र+सारय) पसारेइ उ ३१६२ पसासेमाण (प्रशासयत्) ज ३।२ उ ५।६,११ पसिण (प्रश्न) ज ७।२१४ उ ३।२६ पसिय (प्रसत) ज ३।३५ पसु (पशु) प १११४ उ ३।३६,४८,५० पसूय (प्रसूत) ज ३।१०६ उ ३।४८,५०,५५ पसेढी (प्रश्रेणी) ज ५।३२ पसेणइ (प्रसेनजित्) ज २१५६,६२ पसेणी (प्रश्रेणी) ज ३।१२,१३,२८,२६,४१,४२,
४६,५०,५८,५६,६६,६७,७४,७५,१४७,१४८, १६८,१६६,१७८,१८६,१८८,२०६,२१०,
२१६,२१६,२२१ पह (पथ) ज ३।१८५,१८८,२१२,२१३,५७२,
७३ सू १६।२२।१५ उ १९८ पहंकरा (प्रभङ्करा) ज ४।२०२२ पहकर (दे०) ज २११२६५,३।१७,२१,१७७ पहगर (दे०) ज ३।२२,३६,७८ पहत (प्रहत) ज २।१३१ पहरण (प्रहरण) ज ३।३१,३५,७७,१०७,१२४,
१६७।६,१७८,४।१३७ उ १११३८ पहरणरयण (प्रहरणरत्न) ज ३।३५ पहराइया (प्रभाराजिका, प्रहारातिगा) प ११८ पहव (प्रभव) प ११॥३० पहसिय (प्रहसित) प २।४८ ज ११४२,४।४६,
२२१,७१७६ सू १८१८ पहा (प्रभा) प २।३१ ज ११२४ पहाण (प्रधान) ज २।१५,६४,१३३,३।३,३२,
११७।१,१३८,१७५; ७।१७८ पहार (प्रहार) ज ३।१०६ उ ३।१३१,१३४
प हार (प्र-+धारय) पहारेत्थ ज २१९३१९,
१८३ उ १८८ पहारेमाण (प्रधारयत्) प ३४।२४ पहाविय (प्रधावित) ज २।६५ पहिय (प्रथित) ज ३।१७,१८,२१,३१,६३,१७७,
१८० पहीण (प्रहीण) ज २।८८,८६,३।२२५ पहु (प्रभु) ज ७।१६८।२ पाई (पाची) प ११४४।१ एकलता, मरकतपत्री पाइक्क (दे०) ज २१६५ पाईण (प्राचीन) प २।१०,५० से ५२,५४ से ६२
ज ११२०,२३ से २५,२८,३२,४८,३।१, १२६।४;४।१,३,५५,६२,८१,८६,८८,६८, १०३.१०८,१४१,१६२,१६७.१६६,१७२, १७८,१८५,१८७,१६१,२००,२०३,२०५, २१५,२४५,२४६,२५१,२६२,२६८,७।१०१,
१०२ सू ८।१ पाईणपडिणायता (प्राचीनापाचीनायता) सू १।१६;
२।११०।१४२,१४७;१२।३०। पाईणपडीणायता (प्राचीगापाचीनायता) प २१५०
से ६२ ज १२० पाईणपडीणायया (प्राचीनापाचीनायता) ज ११२०;
३।१४।१,३,८६,८८,६८,१०८ पाईणवाय (प्राचीनवात) प श२६ पाउण (प्र+आप) पाउणइ उ ३३१४५१३६
पाउणति प ३६।६२ पाउणि सइ उ ५।४३ पाउणित्ता (प्राप्य) प ३६१६२ ज २१८८; ३३२२५
उ २११२,३।१४।४।२४।५।२ पाउप्पभाय (प्रादुष्प्रभात) ज ३।१८८ उ ३।४८,
५०,५५,६३,६७,७०,७३,१०६,११८ पाउब्भव (प्रादुस्-भू) पाउभभंति ज ५१२७ पाउब्भवह ज ५।२२,२६ उ १।१२१ पाउब्भवाभि उ ३।२६ पाउब्भवित्था
ज ३।१०४ पाउभविस्सइ ज २।१४१ से १४५ पाउब्भवमाण (प्रादुर्भवत्) ज ५।२८ पाउन्भूय (प्रादुर्भत) ज ३।१०५.११३,१२५;
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
![](https://s3.us-east-2.wasabisys.com/jainqq-hq/57882c89a78c3354df8d3d3a1a5105a62cca38fbcc72864b51ec814da9c8e749.jpg)
Page Navigation
1 ... 1055 1056 1057 1058 1059 1060 1061 1062 1063 1064 1065 1066 1067 1068 1069 1070 1071 1072 1073 1074 1075 1076 1077 1078 1079 1080 1081 1082 1083 1084 1085 1086 1087 1088 1089 1090 1091 1092 1093 1094 1095 1096 1097 1098 1099 1100 1101 1102 1103 1104 1105 1106 1107 1108 1109 1110 1111 1112 1113 1114 1115 1116 1117 1118 1119 1120 1121 1122 1123 1124 1125 1126 1127 1128 1129 1130 1131 1132 1133 1134 1135 1136 1137 1138 1139 1140 1141 1142 1143 1144 1145 1146 1147 1148 1149 1150 1151 1152 1153 1154 1155 1156 1157 1158 1159 1160 1161 1162 1163 1164 1165 1166 1167 1168 1169 1170 1171 1172 1173 1174 1175 1176 1177 1178