Book Title: Uvangsuttani Part 05
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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१०७४
सहस्साग-साडय
४।१६
ज ५।४६२ उ २०२२
२५५,२५७,२५८,२६०,२६१,२६३,२६४, सहस्सारग (सहस्रारक) प ६३११२७।१५;
२६६,२६७,२६६,२७०,२७२,२७३,२७५, ३३।१६
२७६,२७८,२७६,२८१,२८२.२८४,२८५, सहस्सारवडेंसय (सहस्रा रावतंसक) प २१५७
२८७,२८८,२६०,२६१,२९३.२६४,२६६, तहि (स खि) ज २।२६,६६
२६७,२६६ १८१२,६,१६,१६,२४,२८,३१, सहित (सहित) सू १६।२२।२५
३६,४२,४४,४६,४०,४६,५४,६१,६६ से ७४, सहिय (सहित) प २६।२१ ज २।१५, ३।३१,६५,
७६,७६,८४,८५,७,११३.११९:२३॥६० से १५६७।१८६२ २०१८,२०८।२
६६,६८,६६,७३ से७८,८१,८३ से १०,६२, तहोयर (सहोदर) उ ११६५
६५ से ६६,१०१२ १०४,१११ से ११४, साइ (स्वाति) ज ७/१२८,१३४।२,१३५।२,१३६,
११६ से ११८,१२७१६ मे १३१,१३३ से १४०,१४६,१६५,१७५
१३५,१३८,१४०,१४२,१४३.१५१,१५३,१५५ साइम ( वाद्य) उ ३५०,५५,१०१,११०,१३४;
से १५.५७,१६०,१६४.१६६ से १६८,१७१ से साइयार (गातिचार) प ११२६
१७३.१७५ से १७७,१८२,१८३,१८६,१८७, साइरेग (सातिरेक) प १८७६;२३।६५ ज ११३५,
१६० ज १५, ५४,११,१२६,१५४,
१६०,१६३ सू६।१८११ उश२६,१४०; ४०,५१२।१२८,१४८;४।६,१४ २३,३१,३८, ४१,६५,६८,७३,६०,६१,११६,११६,१२२,
३।१५०,१६४,१६६.१०१,५१२६,४२ १३६,१४६,१४७,२१६,२४२,७।२५,१६६,
: सागार (राकार) प १६४११२,२३।१६५,१६६ से २०७ सू ८।११८।३७
२०१२६।११:३०२६,२८ साउफल (स्वादुफल) ज २।१२
सागारपति (साय वशिन्) , ३०।१५ से १८, साएय (साकेत) प ११६३।२
२०,२२,२३ सागर (मागर) प २१६८,३।३,७६,७६,८१,१०५,
सागारवाशणला (स.का र दर्शन) ३०।२७ ११६,१२६।४,१२८,१५१,१७०,१८५,१८८,
सागारपालपया (स रदर्शन) प ३०।१,२,५,६, २०६,२२१,४।१६२।१,२३६, ५॥३२,५८
८ से १२,१६,२१ ज २१६८,३।३,७६,७६,८१,१०५,११६, सागाराणागारो उत्त (साकारानाकारोपयुक्त) १२६।४,१२८,१५१,१७०,१८५.१८८,२०६,
प२८११३६ २२१,४।१६२११,२३८; १३२,५८ सू १६३१ लागारोवस (
स क्त ) ३।१०६.१७४; उ २।१२,५१०
१३।१४,१८१९६; २६१६ से २१;३६।१२ सागरकूड (सागरकूट) ज ४११६४
सामारोवोगः (साका पग) २६६१,२,५,६, सागरचित (सागर चित्र) ज ४२३८ सागरचित्तकूड (साग चित्रकूट) ज ४।२३६
तगारोमोगारिकालाकारोपयोगपरिणाम) सागरोवम (सागरोपम) ५४११,३,४,६,७,६,१०,
१२,१३,१५,१६,१८,१६,२१,२२,२४,२५,२७, साग (गाटक) ज ११२५.१२६ ३१,३३,३७,३६,२०७,२०६,२१३,२१५, साउथ (शाटन) ११.१.५२७६,७७ २२५,२२७,२३७,२३६,२४०,२४२,२४३, साडिसर (
शाउ १,५१,५२,७६,७७ २४५,२४६,२४८ २४६,२५१,२५२.२५४,
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