Book Title: Uvangsuttani Part 05
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 1153
________________ १०७६ सारंग-साहारणसरीर सारंग (सारङ्ग) प ११५१ ज ३।३ साविट्ठी (धाविष्ठी) ज ७।१३७,१३८,१४१, सारकल्लाण (सारकल्याण) प ११४३३१ १४७,१५०,१५४ सू १०७,८,२०,२३,२५,२६ ‘सारक्ख (सं---रक्ष ) सारक्खंति ज २०४६,५२, साविया (श्राविका) ज ७।२१४ ५६ सारक्खिस्संति ज २।१५६,१६१ सावते (श्रावयत) ज ३।१७८ सारक्खमाण (संरक्षत्) उ ११५.७,५८,८२,८३ सास (श्वास) ज २०४३ सारक्खिज्जमाण (संरक्ष्यमान) उ ३।४६ सास (सस्य,शस्त्र) ज ७।११।४ सारक्खित्ता (संरक्ष्य) ज २०४६ सासग (सत्यक,शस्यक) प ११२०१२ सारय (शारद) ज ३।११७ सासग (शासक) ज ३।३५ सारस (सारस) ५१७६ ज २।१२ उ ५१५ सासण (शासन) ज ३।८१,१५१ उ १।१३६ सारहि (सारथि) ज ३।३५,१७८ सासत (शाश्वत) ३६१६४ सारिक्ख (सादृश्य) प २०६४।१८ सासय (शाश्वत) प २१६४,२१६४।२०,२२; सारीर (शारीर) प ३५।१।१; ३५।६,७ ३६।६३,६४,९४१ ज ११११,४७,३।२२६; सारीरमाणस (शारीरमानस) प ३५।६,७ ४।२२,३४,५४,६४,१०२,१०७,११३,१५६, साल (शाल) प ११३५।१,११४३।१,११४८।१४,२४ १६१, ७।२०८ से २१० सू २०१८,२०१८ सासवसमुग्गयहत्थगय (हस्तगतसर्षपसमुद्गत) सालंबण (सालम्बन) ज ३९ से १०१ ज ३१११ सालभंजिया (सालभजिका) ज ११३७,५॥३,२८ सासेंत (शासत्) ज ३।१७८ सालवण (शालवन) ज २६ सिाह (साधय) साहेइ उ ३५१ साला (दे०) प ११३५,३६,११४८।३३,३७ साहटु (गंहृत्य) ज ३.१२ उ १२२ सालि (शालि) प ११४५।१ ज २।३७,३।११६; साहर (संह) साहरइ ज २६५,३।२६,३६, ४।१३,७।१७८ ४७,१३३,५।२१,५८ साहरति ज २१६६; सालिगण (सालिंगन) सू २०१७ ५।१५,७०,६८,११० साहरह ज २६५,६७, सालिपिट्टरासि (शालिपिष्टराशि) प १७।१२८ १०६५।१४,८६ साहराहि ज ५१६८ सालिसच्छियामच्छ (शालिसाक्षिकामत्स्य) प ११५६ साहरिज्जमाण (संहियाण) ज ४।१०७ सालिरुय (सदृशक) सू २०१७ साहरित्ता (संहृत्य) ज २१६५ सावइज्ज (स्वापते) ज २१२४,६४ साहस्सिय (साहसिक) सू १६।२३,२६ उ ३६१ सावगधम्म (श्रावकधर्म) उ ३।४५,७६,१०३.१०४; साहस्सी (साहती: प ।३० से ३३,३५,४१,४३, १४३,५।२० ४८ से ५६ ज ११४५, २१७४ से ७७,६०; सावण (थावण) ज २११३८,७४१०४,११४ १२६ ३।२२१,४।१७,१६,२०,११२,११३,१२६, सू १०।१२४,१२६ उ ३।४० १५०,१५११२,१५६;५॥१,५,६,१६,३६,४०, सावतेय (स्व पतेय) ज २०६६ ४४ से ४६,४६ से १३,५६,६५.६७,७१५५, सावत्थी (थावस्ती) प ११६३५ उ ३।६ से ११,२१ ।। १७८,१८५ सू१८।१४ से १७,२१,२३ सावय (श्वापद) ज २१३६ उ ३१६,१२,२५,६०.१५६,१६६:४१५,५।१० सावय (श्रावक) ज ७।२१४ साहारण (साधारण) प ११४८।५४,५५,६० सावयबहुल (श्वापदबहल) ज ११८ साहारणसरीर (साधारणशरीर) प १।३२,४८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 1151 1152 1153 1154 1155 1156 1157 1158 1159 1160 1161 1162 1163 1164 1165 1166 1167 1168 1169 1170 1171 1172 1173 1174 1175 1176 1177 1178