Book Title: Uvangsuttani Part 05
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 1065
________________ ८१ ५ १८८ पुप्फमाला-पुरिस पुप्फमाला (पुष्पमाला) ज ५।१।१ ज १।१६,१८,२०,२३,२४,३५,४१,४६,४८, पुप्फय (पुष्पक) ज ५१४६।३ ५१३।१,१४,१५,२२,२६,५१,५२,१६१,४।१, पुप्फ (वासा) (पुष्पवर्षा) ज ५।५७ १८,२६,३५,४५,५५,५७,६२,७१,८१,८४,८६, पुष्फविटिय (पुष्पवृन्तक) प ११५० ६०,१०३,१०६,१०८,१२६,१५१११,१५३, पुप्फाराम (पुष्पाराम) उ ३.४८ से ५०,५५ १६२,१६७,१६६,१७२,१७८,१८१,१८२, पुप्कारहण (पुष्पारोहण पुष्पारोपण) ज ३।१२,८८ १८४,१८५,१६०,१६१,१६३,१६४,१६६, पुप्फासव (पुष्पासव) प १७।१३४ १६७,१९६ से २०३.२०५,२०६,२०८,२०६, पुप्फाहार (पुष्पाहार) उ ३५० २१३,२१५,२१६,२२८,२३३,२३५,२३८, पुफिय (पुष्पित) उ ३।४६ २४३,२४५,२६२,२६५,२६६,२७१,२७२, पुफिया (पुष्पिका) उ ११५३।१ से ३,१६,२०, २७४,२७७,५८,१०,३६,४७,६।१६ से २४; . २२,२३,८७,८८,१५३,१५४,१६६,१६७,१७०; ७१७८ सू २।१८।११३।१२,१५,१५।८ से ४।१ १३:१८।१४ से १७, २०१२ उ ३१५१ पुप्फुत्तर (पुष्पोत्तर) प १७।१३५ पुरथिमपच्चत्थिम (पौरस्त्यपाश्चात्य) सू २११; पुप्फुत्तरा (पुष्पोत्तरा) ज २११७ शक्कर की जाति पुप्फोदय (पुष्पोदक) ज ३।६,२२२; पुरथिमलवणसमुह (पौरस्त्यलवणसमुद्र) ज ४।२६८ पुष्फोवयार (पुष्षोपचार) ज ७।१३३३१ पुरथिमिल्ल (पौरस्त्य) प १६।३४ ज ११२०,२३, पुष्फोवयारसंठिय (पुष्पोपचारसंस्थित) सू १०।१३० ४८,२।११७,३।२६,६५,६७,६६,१३५,१५१, पुम (पुंस) प १११५ से १०,२४,२६ से २८ १५६,१७०,२०४,२१४,४।१,२३,५५.६२,८१, पुमवयण (पुंस्वचन) प १११२६,८६ ८६,९८.१०८,१४३,१४७,१५६,१७२,२२६, पुर (पुर) ज २१६४ २२७,२३७,२३८,२६२,५।१४,४४,७।१७८ पुरओ (पुरतस्) ज ३११२,८८,१७८,१७६,२०२, सू २।११०।१४७,१३।१५ २१७,४१५,२७,१२२,१२४,१२७,५।३१,४३, ___ पुरवर (पुर वर) ज ३।३२,३५,२२१ ४४,४६,५७,५८,६०,६६ उ ३३५०,११२,४।१६ पुरा (पुरा) १।१३,३०,३३,३७,४१२ परओउदग्गा (पुरतउदग्रा) सू ६।४ पुराण (पुराण) ज ३।१६७ पुरंदर (पुरन्दर) प २।५० ज ५११८ पुरिभकंठभाओवगता (पूर्वकण्ठभापगता) सू ६।४ पुरक्खड (पुरस्कृत) सू ८।१ पुरिमड्ढ (पूर्वाद्ध) प १६।३० पुरजण (पुरजन) ज ३११२,२८,४१,४६,५८,६६, पुरिमलाल (पुरिमताल) ज २०७१ ७४,१४७,१६८,२१२,२१३ पुरिमद्ध (पूर्वार्द्ध) प १६।३०;१७।१६५ पुरतो (पुरतम्) सू २।२ पुरिस (पुरुष) प ११६०,६६,७५,७६,८१,८४; पुरत्थाभिमुह (पौरस्त्याभिमुख) ज ३।६,१२,२८, २।६४।१६,३११८३,६।७६;१६।४८,५२,५४; ४१,४६,५८,६६,७४,१४७,१८८,२०४,२१६, १७।१०८,१०६,१११ ज ३७,८,१५,१६,२१, २२२,५।२१,४१,४७,६० उ ११४१, ३।६१ ३१,३४,३५,७७,८१,१२५,१६७१४,१७३, पुरस्थाभिमुहि (पौरस्त्याभिमुखिन ) ज ४।२३,३५, १७६,१७८,१८३,१६६,२००,२१२,२१३ २६२ चं ४। २ ८ ।२,२०१७ उ १११७,१८,४४, पुरस्थिम (पौरस्त्य,पूर्व) प३।१ से ३७,१७६,१७८ ४५,१२३,१३१,३।११०,१११,४।१६ से १८; Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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