Book Title: Uvangsuttani Part 05
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 1120
________________ विउलमइ-विग्गह १०४३ विउलमइ (विपुलमति) ज २१८० विउन्ध (वि+ कृ) विउव्वइ ज ५।४१,४६,६०, ६६ उ ३६२ विउब्वंति प३४।१६ २१ से २३ ज २।१०२,१०६,१०८,३।११५,१६२,१६४, १६५,१६७,१६८,५१५५,५७ विउव्वह ज २।१०१,१०५:०३ विउव्वाहि ज ५१२८ विउब्वेह ज ३।१६१ विउव्वणगिडिढपत्त (विकिद्धिप्राप्त) सू १३।१७ विउव्वणया (किकरण) उ ३४।१ से ३ विउव्वणा (विकरणा) उ ३१७ विउव्वमाण (विकुर्वाण) सू २०१२ विउवित्तए (त्रिकर्तुम् ) ज ७।१८३ सु १८।२१ विउव्वित्ता (विकृत्य) प ३४।१६,२१ से २३ उ३।१२३ विउब्धिय (विकृत) प २१४१ विउव्वेत्ता (विकृत्य) ज ३।१६१ विउसमण (व्यवशमन) सू २०१७ विज्झगिरि (विन्ध्यगिरि) उ ३।१२५ विंट (वृन्त) प ११४८।४६ विहणिज्ज (बृंहणीय) प १७१३४ Vविकंप (वि+कम्प) विकंपइ चं ३।२ सू १७२ विकंपइत्ता (विकम्प्य) सू १२४ विकंपमाण (विकम्पमान) सू ११२४ विकप्प (विकल्प) ज ३।३२ विकप्पिय (विकलित) ज ३११०६ विकल (विकल) ज २११३३ विकिण्ण (विकीर्ण) ज ७१७८ विकिय भूय (विकृतभूत) ज ५१५७ वि रणर (विकिरणकर) ज ३।२२३ विकिरिज्जमाण (विकीर्यमाण) ज ४११०७ विकुस (विकुश) ज २१८,६ विक्कत (विक्रांत) ज ३।१०३ विक्कम (विक्रम) ज ३।३;७।१७८ चं १११ विक्खंभ (विष्कम्भ) प ११७४; २।५०,५६,६४; २१८४,८६,८७,६० से ६३,३६१५६,६६, ७०,७४,८१ ज ११७ से १०,१२,१४,१६,१८, २०,२३ से २५,२८,३२,३५,३७,३८,४०,४२, ४३,४८,५१,२।६,१४१ से १४५,३।९५,९६, १५६,१६०,१६७,४।१.३,६,७,६,१०,१२,१४, २४,२५,३१,३२,३६,३६ से ४१,४३,४५,४७, ४८,५६,५२ से ५५,५७,५६,६२,६४,६६ से ६६,७२,७४,७५,७६,७८,८०,८१,८४ से ८६, ८८,८६,६१ से ६३,६५,६६,६८,१०२,१०३, १०८,११०,११४ से ११६,११८ से १२७, १३२,१३६,१४०,१४३,१४५ से १४७,१५४ से १५६,१६२,१६५,१६७।११,१६६,१७२. १७४,१७६,१७८,१८३,२००,२०१,२०५, २१३,२१५ से २१६.२२१,२२६,२३४,२४० से २४२,२४५,२४८; १३५७७,१४ से १६, ६६,७३ से ७८,६०,६३,६४,१७७,२०७ चं ३।२ सू १७।२,१११४,२६,२७,१८१६ से १३; १९६४,७,१०,१४१८,२०,२१११,३०, ३१,३४,३५,३७ विक्खंभसूइ (विष्कम्भसूमि) प १२।१२,१६,२७, ३१३६ से ३८ विक्खय (विक्षत) ज २।१३३ विक्खुर (दे०) प ७१७८ विग (वृक) ज २।३६ विगत (विगत) प ११८४ विगतजोइ (विगतज्योतिस्) सु १४।१०।१५।८ से विगय (विकृत) ज २११३३ विगयमिस्सिया (विगतमिश्रिता) प १११३६ विलिदिय (विकलेन्द्रिय) १११८३ से ८५ १५।१०३, २०१३५;२२१८२:२८।११५,१२७, १३८,३१।६।१,३४।१४,३५।११२,३५१७; विगलेंदिय (विकलेन्द्रिय) प १११८२ विगोबइत्ता (विगोप्य) ज २०६४ विगह (विग्रह) ५ ३६।६०,६७ से ६६,७१,७५ ज ५१४४ उ ३१६१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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