Book Title: Uvangsuttani Part 05
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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सट्टिग-सण्णिसीय
१०६१ ११२,११६,१२२,१५१,१६४,१६७,१६१, सण्णवणा (संज्ञपना) उ ३।१०६ १६४,१६८,२०१,२०४,२०८,२१२,२१५, सिण्णवित्तए (संज्ञपयितुम्) उ ३३१०६ २१६,२२२,२२५,२४३,२४४६।६३;
सण्णा (संज्ञा) प १११।४।८।११३ ज १११३३ १५।१०२,१२१,१२२,१२७,३६।२०,२४,२६, सण्णासण्णि (संज्ञासंज्ञिन्) प ३१।६।१ २७,४७
इसण्णाह (सं नाहय्) सण्णाहेह ज ३।१५,२१ सछि (पष्टि) प २३३ ज ११२६ उ २।१२
३१,३४,७७,६१,१७३,१७५,१६६ उ १११२३; सट्ठिग (पष्टिक) ज ३।११६
५२१८ सटिठभाग (पष्टिभाग) ज ७१२१,२२,२५ सू १११० सण्णि (संज्ञिन् ) प १११७३।११२,११२११।११ सट्ठिभाय (षष्टिभाग) ज ७।२४
से २०;१८।१।२,१८।११६;२३।१७६,१७७, सठ्ठिय (पष्टिक) गु १११८
१६५,१६६,१६६ से २०१:२८।१०६१, सिड (शट) सडइ उ ११५१
२८।११५,११६३११ से ३,५,६,६।१; सड्ढइ (श्राद्धकिन्) उ ३३५०
३६।९२ सण (शण,सण) प ११३७६४,११४५।२ ज २।३७; सण्णिकास (सन्निकाश) ज ३१२२३,४।८५ ३।७६,११६
सण्णिक्खित्त (संनिक्षिप्त) ज ७।१८५ सणंकुमार (सनत्कुमार) प १।१३५२।४६,५२ से सण्णिचिय (सन्निचित) ज २१६
५८,६३, ३।३१,१८३; ४।२३७ से २३६; सण्णिणाद (संनिनाद) ज ३।३०,३१,४३,५१,६०, ६।२६,५६,६५ ८५,११२,७।१०१५।८८, ६८,७८,१३०,१३६,१४०,१४६ १३८,२११७०,६१,२८७७,३३।१६,३४।१६, सण्णिणाय (सन्निनाद) ज ३।१२,१४,१७२,१८०, १८ उ २२
२०६,२२४;५।२२,२६;७।१२७।१ सर्णकुमारग (सनत्कुमारज) ६।६५ ज ५।४६
सण्णिभ (सन्निभ) ज ३।३,१७,१८,३१,८१,६१, सणंकुमारवडेंसय (सनत्कुमारावतंसक) प २।५२
___६३,१७७,१८०,१८३,२०१,२१४ सणफद (सनख द) प ११६२,६६
सण्णिभूय (संज्ञिभूत) प १५।४८;१७।६३५१८ सणिक्खमण (सनिष्क्रमण) ज ४।२७७
सण्णिवाइय (सन्निपातिक) उ ३।११२,१२८ सण्णिविखत्त (संनिक्षिप्त) ज ७।१८५ सू १८।२३
सण्णिवात (सन्निपात) सू १०।२६ सणि चरसंबच्छर (शनैश्चरसंवत्सर) ज ७।१३३
सण्णिवाय (सन्निपात) चं ११ सू ११ सणिच्चारि (शनैश्चारिन् ) ज २१५०,१६४;
सण्णिविट्ठ (सन्निविष्ट) ज ११३७,३।६६ से ४।१०६,२०५
१०१,१६३,४।६,३३,१२०,१४७,२१६,२४२;
५२३,२८,३३ सणिच्छर (शनैश्चर) प २१४८ ज ७१८६।१
सण्णिवेस (सन्निवेश) प १६।२२ ज २।२२; सु१०।१३०, २०१८।१
३३३२,१८५,२०६ उ ३३१०१,१२५,१३२, सणिच्छरसंवच्छर (शनैश्चरसंवत्सर) ज ७।१०३, १३३,१४१,१४५,५।३६ ११३ सू १०।१२५,१३०
सण्णिवेसमारी (सन्निवेशमारी) ज २१४३ सणिय (शनैस) ज ३१२२४
सण्णिसण्ण (सन्निषण्ण) ज ३।६,२०४।५।२१, सण्णज्झिउं (सन्नद्धं) ज ३।१२३
४१,४७,६० सण्णाद्ध (सन्नद्ध) ज ३.१०७,१२४ उ १११३८ सिण्णिसीय (सं! नि-षद्) सण्णिसीयइ सण्णय (सन्नत) ज ७।१७८
ज ३।१२
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