Book Title: Uttaradhyayan Ek Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha

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Page 15
________________ [ख] प्राकृत-साहित्य में तात्कालिक जीवन के चित्र बहुत ही प्रस्फुट हैं। उनमें दार्शनिक, सांस्कृतिक व सामाजिक जीवन की रेखाएं बड़े कौशल से अंकित हुई है। इस ग्रन्थ में उसकी एक संक्षिप्त झाँकी प्रस्तुत की गई है। ... - आचार्य श्री की यह इच्छा थी कि उत्तराध्ययन पर ऐसा अध्ययन प्रस्तुत किया जाय, जो जैन-धर्म की धारणाओं का प्रतिनिधित्व कर सके / उनकी अन्तःप्रेरणा ने हमारे अन्तस् को प्रेरित किया, उनके पथ-दर्शन ने हमारा पथ प्रशस्त किया और प्रस्तुत ग्रन्थ निष्पन्न हो गया। इस ग्रन्थ की निष्पत्ति में मुनि दुलहराजजी का अनन्य योग रहा है। मुनि श्रीचन्दजी ने भी इस कार्य में मेरा सहयोग किया है। साध्वी कानकुमारीजी और मञ्जुलाजी का भी इस कार्य में कुछ योगदान रहा है। ___'नामानुक्रम' साध्वी कनकप्रभाजी ने तैयार किया है। प्रतिलिपि के संशोधन में मुनि गुलाबचन्दजी तथा उद्धरणों की प्रतिलिपि में मुनि चम्पालालजी भी भाग-संभुक्त रहे हैं। इस ग्रन्थ में जिनकी कृतियों का उपयोग किया गया है, उन सबके प्रति मैं हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ। सागर सदन, शाहीबाग, अहमदाबाद-४ कार्तिक शुक्ला१२,वि०सं०२०२४ मुनि नथमल

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