Book Title: Tulsi Prajna 2002 01
Author(s): Shanta Jain, Jagatram Bhattacharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 20
________________ अहिंसा - एक समग्र चिन्तन - डॉ. बच्छराज दूगड़ हजारों वर्षों से अहिंसा विश्वभर के लोगों में उनके जीवन, उनकी अभिवृत्तियों और उनकी आन्तरिक अच्छाइयों में स्वाभाविक रूप से विद्यमान रही है । अहिंसा की असीम शक्ति को हमारे पूर्वजों, दार्शनिक धर्माचार्यों ने बड़ी गम्भीरता से पहचाना । सर्वज्ञानी महावीर और बुद्ध अहिंसा के प्रवर्तक थे। महावीर और बुद्ध अहिंसा के महान् चिन्तक और व्यवहारकर्ता होने के बावजूद अपने समय की सामाजिक व राजनीतिक परिस्थितियों से बंधे थे। वे अहिंसा के आचरण को वैयक्तिक स्तर पर ही लागू कर पाए। सामूहिक रूप से अहिंसा का प्रयोग केवल श्रमणों तक ही सीमित रहा। 20वीं शताब्दी के अणु अस्त्रों की खोज एवं उनके प्रयोग से अहिंसा के विचार, विवेचन और अनुभव को नयी दिशा के साथ नई शक्ति भी मिली। वैज्ञानिक आविष्कारों, औद्योगिक और संचार क्रांति, भारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना से उत्पन्न राजनैतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक परिस्थितियों तथा विश्व युद्धों से गांधी के नेतृत्व में अहिंसा के विचार और व्यवहार को बल मिला। अहिंसा का यह समकालीन चिंतन और आचरण आधुनिक विश्व की विचारधारा में आशापूर्ण तेजस्विता और मौलिकता प्राप्त करता हुआ लगता है। मार्टिन लूथर किंग ने अपनी पुस्तक Stride towards freedom (1959) में लिखा है- "बौद्धिक और नैतिक सन्तुष्टि जिसे मैं बेंथम और मिल के उपयोगितावाद, मार्क्स और लेनिन के क्रांतिकारी तरीकों, हॉब्स के संविदा सिद्धान्त, रूसो के प्राकृतिक आशावादिता तथा नीत्शे के अतिमानव के दर्शन में प्राप्त करने में असफल रहा, मैंने गांधी के अहिंसक प्रतिरोध के दर्शन में पाई । " हेनरी डेविड थोरो, बण्ड रसल, श्रीमद् रायचन्द्र आदि ऐसे चिन्तक थे, जिनसे गांधी के अहिंसक चिन्तन को प्रेरणा मिली। अहिंसा जीवन के प्रति सम्मान और जीवन मूल्यों का सार तत्त्व है। ये मूल्य दैनिक जीवन के हर पक्ष में प्रयुक्त होते हैं तथा जीवन और उसकी चुनौतियों में सहभागिता को दर्शाते हैं। अहिंसा केवल युद्ध और शांति के प्रति हमारे दृष्टिकोण को ही स्पष्ट नहीं करती वरन् एक ऐसे वैश्विक ढांचे के विकास का दार्शनिक आधार भी तुलसी प्रज्ञा जनवरी-मार्च, 2002 Jain Education International For Private & Personal Use Only 15 www.jainelibrary.org

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