Book Title: Tulsi Prajna 2002 01
Author(s): Shanta Jain, Jagatram Bhattacharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 47
________________ तो बिल्कुल ही त्याज्य बताया है। निरर्थक स्थावर हिंसा भी त्याज्य बतायी गयी है।' धर्मार्थ हिंसा' देवताओं के लिए हिंसा अतिथि के लिए हिंसा, छोटे जीव के बदले बड़े जीवों की हिंसा', पापी को पाप से बचाने के लिए मारना, दुःखी" या सुखी को मारना, एक के वध में अनेक की रक्षा का विचार, समाधि में सिद्धि हेतु गुरु का शिरच्छेद, मोक्ष - प्राप्ति के लिए हिंसा, भूखें को भी मांसदान" इन सब हिंसाओं को हिंसा मानकर इनको त्यागने का निर्देश है और स्पष्ट कहा गया है कि जिनमतसेवी कभी हिंसा नहीं करते। इनके अलावा अहिंसा के सम्बन्ध में कुछ अन्य जिनसूत्र भी द्रष्टव्य हैं - ज्ञानी होने का सार यही है कि वह किसी भी प्राणी की हिंसा न करे । १७ -सभी जीवन जीना चाहते हैं, मरना नहीं, इसलिए प्राणवध को भयानक मानकर निर्ग्रन्थ उसका वर्जन करते हैं।" -जीव का वध अपना ही वध है। जीव की दया अपनी ही दया है। - अहिंसा के समान कोई धर्म नहीं है। (आ) विज्ञान के आलोक में अहिंसा (१) आहार और अपराध-सात्विक भोजन से मस्तिष्क में संदमक तंत्रिका संचारक (न्यूरो इनहीबीटरी टान्समीटर्स) उत्पन्न होते हैं जिनसे मस्तिष्क शांत रहता है। वहीं असात्विक (प्रोटीन) मांस भोजन से मस्तिष्क में उत्तेजक तंत्रिका संचारक (न्यूरो एक्साइटेटरी टान्समीटर्स) उत्पन्न होते हैं जिससे मस्तिष्क अशांत होता है । २१ . गाय, बकरी, भेड़ आदि शाकाहारी जन्तुओं में सिरोटोनिन की अधिकता के कारण ही उनमें शांत प्रवृत्तियां पायी जाती हैं जबकि मांसाहारी जन्तुओं, जैसे- शेर आदि में सिरोटोनिन के अभाव से उनमें अधिक उत्तेजना, अशांति एवं चंचलता पायी जाती है। इसी परिप्रेक्ष्य में सन् १९९३ में जर्नल ऑफ क्रिमीनल जस्टिस् एज्युकेशन में फ्लुविडा स्टेट के अपराध विज्ञानी सी. रे. जैफरी का वक्तव्य भी महत्त्वपूर्ण हो जाता है कि वजह चाहे कोई भी हो, मस्तिष्क में सिरोटोनिन का स्तर कम होते ही व्यक्ति आक्रामक और क्रूर हो जाता है। अभी हाल में शिकागो टिंब्यून में प्रकाशित अग्रलेख भी बताता है कि 'मस्तिष्क में सिरोटोनिन की मात्रा में गिरावट आते ही हिंसक प्रवृत्ति में उफान आता है। २२ यहां यह बताना उचित होगा कि मांस या प्रोटीनयुक्त भोज्य पदार्थों से, जिनमें टिप्टोफेन नामक अमीनो अम्ल नहीं होता है, मस्तिष्क में सिरोटोनिन की कमी हो जाती है एवं उत्तेजक तंत्रिका संचारकों की वृद्धि हो जाती है। इसी से योरोप के विभिन्न उन्नत देशों में नींद ना आने का एक प्रमुख कारण वहां के लोगों का मांसाहारी होना भी है। २३ उपरोक्त सिरोटोनिन एवं अन्य तंत्रिका संचारकों की क्रिया विधि पर काम करने से श्री पॉल ग्रीन गार्ड को सन् २००० का नोबल पुरस्कार भी प्राप्त हुआ है। (२) आहार और खाद्यान्न समस्या - वैज्ञानिकों का मानना है कि विश्व भर के खाद्य संकट से निपटने के लिए अगले २५ वर्षों में खाद्यान्न उपज को ५० प्रतिशत बढ़ाना होगा । २५ तुलसी प्रज्ञा अंक 115 42 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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