Book Title: Trushna ka Jal Diwakar Chitrakatha 030 Author(s): Madankunvar, Shreechand Surana Publisher: Diwakar Prakashan View full book textPage 6
________________ यशा ने कहा स्वामी ! बीज में योग्यता व पात्रता होगी तो कहीं पर भी वह अपना विकास कर लेगा। Poet यशा ने कपिल को गुरुकुल नहीं भेजा। घर पर रहकर कपिल लाड़-प्यार से बिगड़ने लगा। 1 कपिल लगभग चौदह वर्ष का हुआ होगा, एक दिन पण्डित काश्यप अचानक बीमार हुए और थोड़े ही दिनों बाद उनकी मृत्यु हो गई ।। Jain Education International तृष्णा का जाल यथा ! तुम पुत्र मोह में अपने कर्त्तव्य से भटक रही हो । यदि गुरुकुल में नहीं जायेगा तो यह निश्चित ही मूर्ख रह जायेगा। फिर तुम पछताओगी। Shany · Ce+y? अब कपिल दिन-रात अपने साथी बालकों के साथ खेलता-कूदता रहता। घर पर पढ़ता भी तो उसका | मन नहीं लगता। माँ, अब और नहीं पढ़ा जाता। मैं मित्रों के साथ गेंद खेलने जा रहा हूँ। वे इंतजार कर रहे होंगे। जा बेटा ! पढ़ते-पढ़ते थक गया होगा। खेल-कूद में और माँ के लाड़-प्यार में ही उसका बचपन बीतने लगा। कुछ दिनों पश्चात् महाराज प्रसेनजित ने नगर के एक अन्य विद्वान् ब्राह्मण को राजपुरोहित का पद दे दिया For Private & Personal Use Only हमारे महापण्डित काश्यप का पुत्र (कपिल अभी शिक्षित नहीं है अतः आज से राजपुरोहित का पद महापण्डित सोमिल को प्रदान किया जाता है। रा --www.jainelibrary.org.Page Navigation
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