Book Title: Trushna ka Jal Diwakar Chitrakatha 030
Author(s): Madankunvar, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 27
________________ तृष्णा का जाल तभी एक दूसरा दृश्य सामने आता है। आकाश में उड़ती एक चील माँस के टुकड़े पर झपटकर चोंच में पकड़ती है। Jain Education International वह आकाश में उड़ी कि कई बड़े-बड़े गिद्ध उसका पीछा करने लगे, उस पर झपटने लगते हैं। तीखी चोंच मार-मारकर उसे घायल कर रहे हैं। आकांक्षा चील लहूलुहान हो गई। तभी उसके मुँह से माँस का | टुकड़ा गिर गया। नीचे गिद्ध-मंडली माँस-पिंड पर टूट पड़ी, घायल चील एक तरफ शान्त-सी बैठी है। CH सांसारिक लालसा लोभ 25 For Private & Personal Use Only दुःख कपिल के मन को झटका-सा लगा-बस, शान्ति का सूत्र हाथ आ गया। 'ग्रहण करने में भय है, छोड़ने में शान्ति ! त्याग बिना सुख नहीं। manar 1000 DOL www.jainelibrary.org

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