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तृष्णा का जाल
तभी आकाश से देवताओं ने फूल बरसाये। देवगण आकर चरणों में नमस्कार करने लगे
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देवताओं ने कपिल को मुनि वेष प्रदान किया। वन्दना करने लगेधन्य है आपको। जिस तृष्णा 'ने चक्रवर्ती सम्राट् और इन्द्र महाराज को भी संतप्त किया है। आपने उसका नाश कर दिया।
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हे कपिल कुमार ! आपने अपनी इच्छाओं पर संयम करके जो अद्भुत कार्य किया है हम उसका अभिनन्दन करते हैं।
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तृष्णा को जीतकर कपिल मुनि बन गये।
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