Book Title: Trushna ka Jal Diwakar Chitrakatha 030
Author(s): Madankunvar, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 37
________________ आप और हम सब जानते हैं : * बीड़ी, सिगरेट का एक कस हमारी जिन्दगी को पाँच मिनट कम कर देता है। * दुर्व्यसनों को छोड़िए: दुःखों से छूटिए) * शराब का एक घूँट हमारी नसों और फेंफड़ों को जलाकर कमजोर कर देता है। * तम्बाकू, गुटका, पान-मसाला की एक-एक चुटकी हमारे शरीर में कैंसर जैसे महारोग का जाल बिछा देती है। इन दुर्व्यसनों की लत के शिकार बनकर हम केवल अपनी जिन्दगी की बाज़ी ही नहीं हारते, अपितु अपने परिवार और प्यार भरे संसार को भी उजाड़ देते हैं। समाज और राष्ट्र के विकास में भी घुन लगा देते हैं । तन की हानि, मन की हानि, जीवन की बर्बादी । दुर्व्यसनों में बँधा हुआ तू, कैसी यह आजादी ॥ आपका हित चिन्तक, शाकाहार एवं व्यसन मुक्ति का पैरोकार Jain Education International जहाँ विश्वास ही परम्परा है निवेदक : शाकाहार एवं व्यसनमुक्ति कार्यक्रम के सूत्रधाररतनलाल सी. बाफना ज्वेलर्स " नयनतारा”, सुभाष चौक, जलगांव - ४२५००१ फोन : २३९०३, २५९०३, २७३२२, २७२६८ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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