Book Title: Trushna ka Jal Diwakar Chitrakatha 030
Author(s): Madankunvar, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 11
________________ मैं भी उनके पास विद्याध्ययन करने के लिए आया हूँ। तृष्णा का जाल Jain Education International इतने बड़े होकर अब गुरुकुल में विद्याध्ययन करोगे ? hmon क्यों नहीं ! मैं अवश्य पढूँगा और महापण्डित बनूँगा। यह सुनकर वे छात्र वटुक हँसने लगे। उनमें से एक बोला- अच्छा, अच्छा पण्डित जी, आप अवश्य ही महापण्डित बनेंगे। देखो, वह आम्रकुंज में एक सुन्दर-सी कुटिया है न? वहीं है महापण्डित इन्द्रदत्त का आवास। और उसके सामने आम्रकुंज में है उनका गुरुकुल । 9 For Private & Personal Use Only हा, हा, यह अध्ययन करेगा। Perr www.jainelibrary.org

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