Book Title: Tripurabharatistav Author(s): Vairagyarativijay Publisher: Pravachan Prakashan Puna View full book textPage 7
________________ कृतज्ञता दर्शन : श्री जिनशासन के परम तेजस्वी अधिनायक तपागच्छाधिराज स्मृतिशेष परम पूज्य आचार्यदेव श्रीमद् विजयरामचन्द्रसूरीश्वरजी म. सा., स्वनामधन्य गच्छाधिपति पूज्यपाद आचार्यदेव श्रीमद् विजयमहोदयसूरीश्वरजी म. सा., पितृगुरुवर बहुश्रुत मुनिप्रवर श्री संवेगरति विजयजी म. सा. की अनहद कृपावृष्टि, श्रुतभक्ति के सर्व कार्यो में हमेश बरसती रहती है। मेरी श्रुतसाधना उनकी कृपा का ही फल है । श्रुत और संयम की साधना में सतत सहयोगी अभिन्नमना गुरुभ्राता मुनिवर श्री प्रशमरति विजयजी को भूलना असम्भव ही है । मार्गशीर्ष शुक्ला दशमी, ३०, जैन मरचन्ट सोसायटी पालडी, अहमदाबाद वैराग्यरतिविजय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 ... 122