Book Title: Tripurabharatistav
Author(s): Vairagyarativijay
Publisher: Pravachan Prakashan Puna

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Page 39
________________ विश्व के सभी मन्त्रो के मूल में पूर्व शास्त्र है । यह मन्त्रगभित स्तोत्र जैन नहि, फिर भी व्याख्याकार आचार्य जैन है । पूर्वशास्त्र की किसी परम्परा का अनुसन्धान आचार्यश्री ने व्याख्या में किया है । सद्-असद् विवेक से सम्पन्न महात्माओ के लिये यह सम्पादन आत्मा की उपलब्धि का आलंबन बनेगा यही शुभकामना ! प्रशमरतिविजय मार्गशीर्षकृष्ण पंचमी वि० सं० २०५९ जैनमर्चन्टसोसायटी अहमदाबाद 38 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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