________________ तत्त्वार्थश्लोकवार्तिक 269 प्रतीते। चतुर्थात्ताभ्यामेव क्रमार्पिताभ्यामुभयात्मकत्वस्य व्यंशस्य प्रत्ययात् / पंचमात्त्रिभिरात्मभिव्य॑शस्यास्त्यवक्तव्यत्वस्य निर्ज्ञानात् / षष्ठाच्च त्रिभिरात्मभिव्य॑शस्य नास्त्यवक्तव्यत्वस्यावगमात् / सप्तमाच्चतुर्भिरात्मभिस्त्र्यंशस्यास्तिनास्त्यवक्तव्यत्वस्यावबोधात् / न च धर्मस्य सांशत्वेनैकस्वभावत्वे वा धर्मित्वप्रसंगः द्वित्वादिसंख्यायास्तथाभावेपि धर्मत्वदर्शनात् / निरंशैकस्वभावा द्वित्वादिसंख्येति चेन्न, द्वे द्रव्ये इति सांशानेकस्वभावता प्रतीतिविरोधात् / संख्येययोर्द्रव्ययोरनेकत्वात्तत्र तथा प्रतीतिरिति चेत्, कथमन्यत्रानेकत्वे तत्र तथाभावप्रत्ययोतिप्रसंगात् / समवायादिति चेत्, स कोन्योन्यत्र चतुर्थ वाक्य स क्रम से अर्पित अस्ति नास्ति के द्वारा उभयात्मक (अस्ति नास्ति रूप दो धर्म वाली) दो अंश वाली वस्तु का ज्ञान होता है। पाँचवें सप्तभंगी वाक्य से तीन धर्मात्मक के द्वारा दो अंश वाले एक अस्ति अवक्तव्य का ज्ञान होता छठे भंग के द्वारा तीन धर्मस्वरूप से नास्ति अवक्तव्य इन अंशों का ज्ञान होता है। सप्तम वाक्य से चार धर्मों के द्वारा तीन अंश वाले अस्ति नास्ति अवक्तव्य का ज्ञान होता है अर्थात् निरंश शब्द से निरंश का और सांश शब्द से वस्तु के सांश का ज्ञान होता है सप्त भंगों में प्रथम तीन धर्म तो निरंश हैं और अंत के चार भंग सांश होते हैं। "सांशत्व और अनेक स्वभावत्व स्वीकार करने पर धर्म (चतुर्थ आदि भंग) के धर्मित्व का प्रसंग आयेगा" ऐसा भी नहीं कह सकते, क्योंकि दो, तीन आदि संख्या को उस प्रकार अंश सहित और अनेक स्वभाव वाली होते हुए भी धर्मत्व देखा जाता है। “दो तीन आदि संख्या निरंश एक स्वभाव वाली हैं। ऐसा कहना भी उचित नहीं है, क्योंकि दो द्रव्य हैं। इस प्रकार द्वित्व संख्या में अंश सहितपना और अनेक स्वभाव सहितपना की प्रतीति होती है, इसमें विरोध है। ___. यदि कहो कि संख्या करने योग्य दो द्रव्यों को अनेकपना होने के कारण उन संख्याओं में भी उस संख्या में उस प्रकार के अनेकपन की उपचार से प्रतीति होती है, तो जैनाचार्य कहते हैं कि अन्य द्रव्यों में अनेकत्व होने पर भी उनमें अतिप्रसंग होने से तथाभाव प्रत्यय (इस प्रकार अनेकत्व का ज्ञान) कैसे हो सकेगा ? यदि समवाय सम्बन्ध से अनेकत्व की प्रतीति मानी जायेगी, तो वह समवाय कथञ्चित् तादात्म्य सम्बन्ध के अतिरिक्त दूसरा क्या हो सकता है? तथा जब संख्या और संख्येय में तादात्म्य सम्बन्ध है तब