Book Title: Swapna Siddhant
Author(s): Yogiraj Yashpal
Publisher: Randhir Prakashan

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Page 17
________________ [16] पूर्णत: अपनी सन्तुष्टि प्राप्त करती हैं। यही कारण है कि स्वप्न से निद्रा में किसी भी प्रकार की बाधा नहीं पहुँचती बल्कि व्यक्ति निश्चिन्त होकर सोता रहता है। कईं बार दमित इच्छा किसी और प्रकार की होती है जबकि स्वप्न किसी और प्रकार का होता है । यह भी सत्य है कि स्वप्न में दमित इच्छाओं का प्रेषण रहता है । प्राय: आज की दमित इच्छायें यौन-विषयक ही हैं परन्तु सभी लोगों को मैथुन का स्वप्न नहीं आयेगा, बल्कि कोई तो मैथुन करेगा, कोई मैथुन देखेगा, कोई चित्र देखेगा, कोई चारपाई देखेगा, कोई सुन्दरी देखेगा, कोई बिस्तर बिछा देखेगा। यह सब अलग-अलग प्रकार के स्वप्न हैं पर इन स्वप्नों की जड़ प्रबल दमित यौनेच्छा ही है । यौनेच्छा के अतिरिक्त भी लोगों की कामनाएं होती हैं जो कि अन्तर्मन पैठ जाती हैं। सफलता और असफलता के झूले में झूलने वाला व्यक्ति स्वप्न में रोयेगा या हंसेगा । वशीकरण प्रयोग करने वाला ध्येय के दर्शन तो पाता है, इसके अतिरिक्त भी स्वप्न देखता है । एक पुरुष किसी शव यात्रा पर गया और वहाँ एक स्त्री पर आसक्त हो गया पर उसे मिल नहीं सका, कह नहीं सका। इसका परिणाम यह हुआ कि वह स्वप्नों में श्मशान, जलती चिताएं, कन्धों पर उठी अर्थी के स्वप्न देखने लग गया । जब किसी व्यक्ति को उसका शत्रु हानि पहुँचाता है और वह मूढमति-सा उसे स्वीकार कर लेता है तब स्वप्नों में वह कुत्तों के भौंकने काटने की क्रिया को देखता है। यह कोयला, राख भी देख सकता है । स्वप्न में लड़ाई-झगड़ा भी करता है । जिस व्यक्ति को भविष्य व्यर्थ प्रतीत होता है वह स्वप्नों में अन्धेरा, धुँआ, ऊँचाई से उतरना या गिरना आदि देखता है। मनुष्य के साथ प्राय: उत्थान व अवनति लगी रहती है। यही कारण है कि उसके मन में संघर्ष चलता रहता है। इन संघर्षों की भी उर्जा होती है ।

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