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रसूरि
नगर
कस्वप्न सिद्धान्त
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योगीराज यशपाल जी
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स्वप्न सिद्धान्त
प्राचीन परम्परा है कि स्वप भविष्य विषयक ज्ञान प्रदान करते हैं । अब योगीराज यशपाल 'भारती' ने स्वप्न सिद्धान्त को एक नई दिशा प्रदान की है। .
प्रस्तुत पुस्तक 'स्वप्न सिद्धान्त' से स्वप्न सिद्धान्त तो समझ में आयेगा ही स्वप्नों के शुभाशुभ फल के अतिरिक्त स्वप्नों से अंक निकालने का ज्ञान भी प्राप्त होगा जो लाटरी से लाभ कराने में सहायक होगा। स्वप्न गणित पर यह पहली पुस्तक है जिसे पढ़कर लाभ मार्ग प्रशस्त होगा।
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आप! आप-पान खाकर थूक देते हैं, आप-सिगरेट का कश लगाकर फेंक देते हैं, आप-मदिरा पीकर झूम लेते हैं।
इन सबका आनन्द क्षणिक ही होता है। परन्तु अच्छी पुस्तकें देव तुल्य होती हैं जिनके स्वाध्याय व मनन से मानसिक उन्नति होती है और रुचि के अनुसार लाभ की दिशा भी सुझाती हैं। इस परम सत्य को प्रमाणित किया है योगीराज यशपाल 'भारती' के सत् साहित्य ने। आप भी उनके सत् साहित्य को पढ़कर आम के आम और गुठलियों के दाम' वाली कहावत को समझ पायेंगे।
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स्वप्न सिद्वान्त
स्वप्न में देखी गई वस्तुओं से अंक बनाने की विधि व तालिका सहित
लेखक योगीराज यशपाल 'भारती'
संस्थापक एवं प्रबन्ध निर्देशक तंज्योति गुह्य विद्या साधन एवं अनुसंधान केन्द्र
मूल्य 15 रुपए
प्रकाशन रणधीर प्रकाशन, हरिद्वार-249401
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प्रकाशक:
रणधीर प्रकाशन रेलवे रोड,(आरती होटल के पीछे) हरिद्वार-249401 फोन : 6297
वितरक :
रणधीर बुक सेल्स (शो रूम) रेलवे रोड, समीप मुख्य डाकघर, हरिद्वार
मुख्य विक्रेता :
1. पुस्तक संसार, बड़ा बाजार, हरिद्वार । 2. पुस्तक संसार, 167 नुमाइश मैदान, जम्मूतवी 3. गगनदीप पुस्तक भण्डार, एस०एन० नगर, हरिद्वार
लेखक : योगीराज यशपाल भारती'
मूल्य: 15.00
संस्करण:प्रथम, 1993
मुद्रक :
राजा ऑफसेट प्रिंटर्स, दिल्ली-32
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सप्रेम समर्पित आद्य महाविद्या दृष्य एवं अदृष्य अखण्ड अनन्त विराट की स्वामिनी महाकाली के चरण कमलों पर समर्पित।
-योगीराज यशपाल 'भारती'
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अनुक्रम
समर्पण अनुक्रम दो बातें पाठकों से 1. स्वप्न मीमांसा 2. स्वप्न समीक्षा
स्वप्नों के मन्त्र 4. स्वप्न गणित
स्वप्न अंक-फल तालिका
13-18 19-25 26-33 34-37 38-92
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मन्त्र-तन्त्र के उद्भट विद्वान् और भविष्याद्रष्टा श्री योगीराज यशपाल 'भारती' द्वारा रचित ज्योतिष, यन्त्र, मन्त्र व तन्त्र विद्या के अनमोल ग्रन्थ
1. संकट मोचिनी कालिका सिद्धि
2. सृष्टि का रहस्य : दश महाविद्या
4. संजीवनी विद्या : महामृत्युंजय प्रयोग
5. सिद्ध शाबर मन्त्र .
6. तन्त्र प्रयोग
7. आदित्य हृदय स्तोत्र
8. उड्डीश तन्त्र
9. दत्तात्रेय तन्त्र
10. मन्त्र रामायण - रामचरित मानस के सिद्ध मन्त्र 11. अंक ज्योतिष
12. शकुन अपशकुन विचार
13. सिद्धविद्या स्वरोदय विज्ञान
मूल्य व अन्य जानकारी के लिए लिखें
प्रकाशक
रणधीर प्रकाशन, हरिद्वार
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| दो बातें पाठकों से
आप सबके समक्ष यह पुस्तक स्वप सिद्धान्त प्रस्तुत है। इस पुस्तक में क्या है और इसके लेखन का ध्येय क्या है ? यह यहाँ पर व्यक्त कर रहा हूँ। __मैंने पिछले अनेक वर्षों से विभिन्न विषयों पर कार्य किया है जिसमें से एक विषय स्वप्न भी था। अपने अनुभवों और चरित्र अध्ययन के आधार पर स्वप्न की विशेषता से सम्बन्धित मुझे यही स्पष्ट करना व कहना है कि स्वप्न प्रतीकात्मक अर्थात् 'सिम्बोलाजिकल' होते हैं जो कि अपने आप में कोई न कोई सन्देश लिये रहते हैं। इन सन्देशों को हमारे आर्ष मनीषियों ने बहुत पहले अनुभव कर लिया था। इसी विषय पर विदेशों में अत्यधिक शोध-कार्य हुआ और इसे भिन्न-भिन्न दृष्टियों से देखा गया। 'जिसका जितना ज्ञान, उसका उतना मान' वाले सिद्धान्तानुसार विद्वान् क्रमश: कार्यरत रहे।
भारतीय व पाश्चात्य विद्वानों ने स्वप्न विषय पर बहुत कार्य किया है सम्भवत: यही कारण है कि साईकिल और रेलगाड़ी विषयक स्वप्नों के भी फलादेश प्राप्त होते हैं जबकि यह शीर्षक प्राचीन नहीं है। स्वप्न समीक्षा करने पर कभी-कभी लगता था कि यह जो व्यक्ति अपना स्वप्न सुना रहा है उसके भीतर कुछ रहस्य भी है और इसी रहस्य की खोज का परिणाम है स्वप्न सिद्धान्त।
होता क्या था कि जब दृष्टा स्वप्नावस्था में कोई स्वप्न देखता था तो उसे शुभ या अशुभ नामक दो विभागों में बाँट लिया करता था। शुभ स्वप्न के कारण व्यक्ति मस्त रहता था जबकि अशुभ स्वप्न के कारण परम्परागत् पंडितों की दुकानदारी चल जाती थी। अशुभ स्वप्न के निवारण को महामृत्युञ्जय जप करवाया जाता था और यह कोई सोचता भी नहीं था कि
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[10] जीव तो प्रतिदिन स्वप्न देखता है जिसमें से सभी स्वप्न शुभ नहीं होते हैं। तो क्या रोज ही जप करवाया जाता? पर क्या किया जाये? यह तथाकथित पंडित जानते हैं कि अमुक देवता का स्मरण व नाम लेने से ही स्वप्नों की अशुभता समाप्त हो जाती है परन्तु किसी को बताते ही नहीं हैं क्योंकि दुकानदारी भी तो है। खैर, मुझे इन पंडितों से मतलब नहीं है कि वह क्या करते हैं और क्या नहीं करते? मुझे तो आपसे मतलब है कि आप क्या करते हैं?
श्रीमान जी ! आपको प्राचीन पद्धति से हटाने का मेरा कोई ध्येय नहीं है। मैंने तो केवल ध्यान दिया कि स्वप भविष्य-विषयक सूचनाओं के
अतिरिक्त भी बात कहते हैं। यह टि मझे अनुभव करवाती थी कि इस विषय पर कार्य करना होगा और फिर मैंने इसके ऊपर विचार करना प्रारम्भ कर दिया। कुण्डिलिनी-जागरण के अभ्यास के समय अचानक भीतर से प्रेरणा हुई और फिर मुझे एक दिशा मिल गई, जिसके ऊपर मैंने कुछ कार्य किया। कुछ लोगों को मैंने इस विषय के संकेत भी दिये और मैं यह देखकर आश्चर्य में पड़ गया कि वह संकेत लोगों ने कहीं के कहीं पहुँचा दिये। यह भी देखा कि लोग संकेतानुसार कार्य कर रहे हैं और बहुत से लाभ भी उठा रहे हैं।
अब विचार बना कि उक्त संकेत ठीक थे, जिन्हें कि अब परिष्कृत करना शेष था। इसके अतिरिक्त जन-साधारण तथा विशेष को भी यह बताना था कि स्वप्न की परिभाषा में एक और अर्थ होता है जो कि अब प्रभु कृपा से समझ में आया है। परिणाम स्वरूप इस पुस्तक का लेखन सम्भव हुआ है। . इस पुस्तक में सर्वप्रथम स्वप्न-विज्ञान की बात कही है कि स्वप्न क्या होते हैं? स्वप्न क्यों आते हैं ? स्वप्प क्या कहते हैं? स्वप्नों की जड़ में
- • -- पा से होते हैं स्वप्न सषप्तावस्था में ही क्यों
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आते हैं? इसके बाद एक विस्तृत सारणी के रूप में स्वप्न - समीक्षा प्रस्तुत की है कि स्वप्न क्या आया ? उसका फलादेश क्या होगा ? स्वप्न से लाटरी का कौन - सा अंक बनता है ? स्वप्नों से अंक बनाने के अनेकों उदाहरण भी दिये गये हैं । स्वप्नांक तो आप इसी पुस्तक से समझ जायेंगे । आप यदि लाटरी खेलते हैं तो उस क्षेत्र से सम्भवतः इस विधि के द्वारा लाभ प्राप्त कर लेंगे ।
स्वप्न समीक्षांक के विषय में पुस्तक के आन्तरिक पृष्ठों में बहुत कुछ कहा है फिर भी कुछ बातें हैं जो कि समझनी अनिवार्य हैं । कृपया ध्यान दें
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स्वप्न में लीला के भेद होते हैं । इसमें प्रथम लीला तो उसे कहेंगे जिसमें व्यक्ति आ रहा है । व्यक्ति को कोई चीज मिल रही है या व्यक्ति कुछ प्राप्त कर रहा है । दूसरी लीला में व्यक्ति जाता है, उसका कुछ खोता है, वह कुछ फेंक देता है या किसी को कुछ दे देता है ।
इस प्रकार यह स्पष्ट होता है कि स्वप्न धन (+) और ऋण (-) के सिद्धान्त पर चलते हैं। जोड़ना और घटाना ही गणित का विषय है । प्रथम लीला के स्वप्नांक धन (+) होते हैं और दूसरी लीला के स्वप्नांक घटते (-) हैं । प्रायः धनांक के अंक अगले दिन के लाटरी में खेले जाते हैं जबकि ऋणांक के अंक दूसरे दिन आते हैं, परन्तु ऋण करके धनांक में भी खेला जाता है । स्वप्न में अगर कुछ मिला हो तो यह मिलने वाली चीज प्रमुख अंक बनती है जैसे कि पर्स मिलना, बस पर चढ़ना, छत पर जाना, पर्वत पर चढ़ना, सम्मान मिलना, खरीदना आदि । कहने का अभिप्राय यह है कि हो सकता है कि स्वप्न लम्बा हो और उसमें कईं क्रियायें हों तो क्रिया का प्रमुख उद्देश्य ही अंक होगा या प्रमुख क्रिया ही अंक बनती है। जैसे कि छत पर आदमी गया तो आठ खुलेगा, गोद में शिशु आया तो चार खुलेगा, तीन औरतें होंगी तो तीन खुलेगा ।
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यह अत्यन्त सरल विधि है और इसे अभ्यास करते-करते ही आप इसके विशेषज्ञ बन जायेंगे ।
आपको लाभ हो व आपका कल्याण हो । इसी आशा के साथ
आपका
आद्यानन्द यशपाल 'भारती'
सम्पर्क --
पोस्ट बाक्स नं. 16 हरिद्वार
संकटमोचिनी कालिका सिद्धि
मंत्र तंत्र के उद्भट विद्वान् और भविष्यद्रष्टा महामहोपाध्याय आद्यानन्द यशपाल 'भारती' द्वारा रचित मंत्र तंत्र के पाठक व काली के साधकों के लिये अनमोल देनसंकटमोचिनी कालिका सिद्धि ।
इस पुस्तक को पढ़कर मंत्र तंत्र के अनमोल ज्ञान
के साथ-साथ काली कौन है और उसकी सिद्धि कैसे की जाय, इससे सम्बन्धित समस्त जानकारी एक ही स्थान पर पा सकेंगे।
प्रकाशक
रणधीर प्रकाशन, हरिद्वार - 249401
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॥ ॐ आद्य गुह्य विद्यायै नमः ॥
1.स्वप्न मीमांसा
स्वप्न-विषय पर जब भी विचारा जायेगा तभी मनोवैज्ञानिक फ्रायड़ के स्वप्न-सिद्धान्त की बात अवश्य की जायेगी क्योंकि यह वह व्यक्तित्व था जिसने स्वनों का विश्लेषणात्मक अध्ययन करके यह प्रमाणित किया था कि हम स्वप्न में जो कुछ भी देखते हैं उसका अर्थ उससे भिन्न हुआ करता है। इसने स्वप्नों को निरर्थक नहीं अपितु सार्थक माना है । वह मानता है कि कोई भी स्वप्न अकारण या निरर्थक नहीं होता है। उसका मानना है कि स्वप्न मनुष्य की सुषुप्तावस्था की वह अचेतन मानसिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा छद्म स्वरूप से मनुष्य के अचेतन मन में दबी इच्छाओं की अभिव्यक्ति एवं सन्तुष्टि होती है। उसने स्वीकार किया है कि स्वप्न मनुष्य की दमित अभिलाषाओं की सन्तुष्टि करता है।
जब हम स्वप्नों को समझने का प्रयास करते हैं तो हमें मुख्यता दो बातों की जानकारी होना अति आवश्यक होता है । यह दो बातें हैं-दैहिक व मानसिक।
विभिन्न विद्वानों ने स्वीकार किया है कि प्रत्यक्षीकरण विपर्यय और समप्रत्यक्षीकरण प्रयत्न ही स्वप्नों का जन्मदाता है। इसी कारण हमें दैहिक नियम जानने आवश्यक होते हैं-यदि हम स्वप्नों को जानना चाहें । दैहिक नियमान्तर्गत दो पक्ष होते हैं1. प्रथम पक्ष-जब कोई उत्तेजना किसी को उसकी सुषुप्तावस्था में प्रभावित करती है तो उस समय स्वप्न आता है।
इस प्रथम पक्ष के अनुसार मनुष्य का मन निद्रावस्था में सक्रिय नहीं हुआ करता है। यही कारण है कि मन में साहचर्य की क्रियायें निर्बल हो
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जाया करती हैं। मनुष्य के स्मरण, चिन्तन व प्रत्यक्षीकरण की प्रक्रियाओं में भी किसी प्रकार का समन्वय नहीं रहता है । यह वो अवस्था होती है जबकि मनुष्य में तर्क का पूर्णत: अभाव रहता है । यही कारण है कि जब निद्रावस्था में किसी प्रकार की उत्तेजना किसी ज्ञानेन्द्रिय को प्रभावित करती है तो उसके प्रतिक्रिया स्वरूप स्वप्न दृष्टिगोचर होता है । जैसे कि एक व्यक्ति सो रहा है और उसका एक हाथ हृदय पर पड़ा हुआ है या व्यक्ति उलटा होकर सो रहा है जिससे कि हृदय पर दबाव पड़ रहा है । तब क्या होता है ?, हृदय को कार्य कर पाने में बाधा उत्पन्न होती है और जब यह बाधा अधिक बढ़ जाया करती है तब व्यक्ति को भयानक व डरावने स्वप्न दिखाई पड़ते हैं और स्वप्न के प्रभाव से द्रष्टा डरकर चीखता है या भयभीत होकर जग जाता है । उस समय वह पसीने-पसीने हो रहा होता है और श्वास भी तीव्र चल रही होती है । इस प्रकार यह ज्ञात होता है कि सुषुप्तावस्था में किसी प्रकार की चेतन मानसिक प्रक्रिया के अभाव में उत्तेजनाओं का वास्तविक ज्ञान प्राप्त न होकर दोषपूर्ण ज्ञान प्राप्त होता है । यही कारण है कि प्राय: स्वप्न निरर्थक, असंगत व हास्यास्पद प्रतीत होते हैं । जैसा कि मैंने अभी उदाहरण देकर कहा है ।
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यह स्वप्न-विज्ञान के दैहिक नियम का पहला पक्ष है, जिसके अनुसार निद्रावस्था में किसी उत्तेजना का उचित ज्ञान न होकर तरह-तरह के स्वप्नों का दर्शन प्राप्त होता है ।
2. दूसरा पक्ष - जब किसी प्रकार की उत्तेजना मनुष्य की किसी ज्ञानेन्द्रिय को प्रभावित करती है तो उस समय जबकि मन सुषुप्तावस्था में है, फिर भी वह उस उत्तेजना की व्याख्या करता है । इसके परिणामस्वरूप स्वप्न दिखाई देते हैं।
इस विवरण से यह ज्ञात होता है कि स्वप्नों का आधार कोई न कोई उत्तेजना होती है।
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अब मानसिक रहस्य समझना होता है कि स्वप्न किसी भी प्रकार का क्यों न हो उससे अचेतन मन की तृप्ति होती है। इसी कारण स्वप्नों को अभिलाषापूरक कहा जा सकता है। आज सिनेमा व वी.सी.आर. का बहतायत से प्रचलन है और आज के दर्शक स्वयं जानते होंगे कि उन्होंने स्वप्नों में अपने चहेते कलाकारों से साहचर्य किया या नहीं। मेरे पास अनेक लोग आते रहते हैं और मैंने पाया है कि जो पात्र अपनी असमर्थता को स्वीकार कर लेते हैं वह स्वप्नों के द्वारा उस सुख की पूर्ति कर लिया करते हैं । एक लड़की अमुक के साथ विवाह करना चाहती थी परन्तु उसका विवाह अन्यत्र हो गया तो उसे प्राय: डरावने स्वप्न आने लगे कि वह दल्हन बनकर बैठी है और कोई प्रेतात्मा उसे सता रही है। कुछ विषयों में तो यह साहचर्य भी हुआ है। मानसिक रूप से उन्नत पात्र ने स्वप्न में उसके साथ साहचर्य किया जिसे कि जाग्रत अवस्था में प्राप्त करना चाहता था। प्राय: नेता लोग जनसमूह के मध्य स्वयं को खड़ा देखते हैं। बच्चे स्वप में अधिक खिलवाड़ करते हैं। सुषुप्तावस्था में जब प्यास लगती है तब जलाशय, नल, जलादि के स्वप्न दिखते हैं। जब लघुशंका लगती है तब स्वप्न में पाखाना व शौचालय, मल-मूत्रादि दिखाई पड़ते हैं। जब भूख लगती है तब रोटी आदि के स्वप्न दिखते हैं।
___ लोग कहते हैं कि स्वप्नों के कारण नींद में बाधा पहुँचती है जबकि स्वप्नों के कारण नींद में बाधा नहीं पहुँचती, बल्कि सोने में सहायता प्राप्त होती है। यह परम सत्य है कि नींद स्वप्न का अभिभावक होती है। प्राय: जब सोने की इच्छा को लेकर व्यक्ति बिस्तर पर जाता है और सो जाता है तब भीतर अन्तर्मन में दबी हुई अपूर्ण, असन्तुष्ट अभिलाषाएं अपनी पूर्णतः, अपनी सन्तुष्टि के लिये चेतना में आने का प्रयास करती हैं। सुषुप्तावस्था में प्रतिबन्ध क्रिया शिथिल तो रहती है पर अचेतन मन क्रियाशील बना रहता है। इसी कारण अभिलाषाएं विभिन्न रूपों में विभिन्न प्रतीकों के सहारे
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पूर्णत: अपनी सन्तुष्टि प्राप्त करती हैं। यही कारण है कि स्वप्न से निद्रा में किसी भी प्रकार की बाधा नहीं पहुँचती बल्कि व्यक्ति निश्चिन्त होकर सोता रहता है।
कईं बार दमित इच्छा किसी और प्रकार की होती है जबकि स्वप्न किसी और प्रकार का होता है । यह भी सत्य है कि स्वप्न में दमित इच्छाओं का प्रेषण रहता है । प्राय: आज की दमित इच्छायें यौन-विषयक ही हैं परन्तु सभी लोगों को मैथुन का स्वप्न नहीं आयेगा, बल्कि कोई तो मैथुन करेगा, कोई मैथुन देखेगा, कोई चित्र देखेगा, कोई चारपाई देखेगा, कोई सुन्दरी देखेगा, कोई बिस्तर बिछा देखेगा। यह सब अलग-अलग प्रकार के स्वप्न हैं पर इन स्वप्नों की जड़ प्रबल दमित यौनेच्छा ही है ।
यौनेच्छा के अतिरिक्त भी लोगों की कामनाएं होती हैं जो कि अन्तर्मन पैठ जाती हैं। सफलता और असफलता के झूले में झूलने वाला व्यक्ति स्वप्न में रोयेगा या हंसेगा । वशीकरण प्रयोग करने वाला ध्येय के दर्शन तो पाता है, इसके अतिरिक्त भी स्वप्न देखता है ।
एक पुरुष किसी शव यात्रा पर गया और वहाँ एक स्त्री पर आसक्त हो गया पर उसे मिल नहीं सका, कह नहीं सका। इसका परिणाम यह हुआ कि वह स्वप्नों में श्मशान, जलती चिताएं, कन्धों पर उठी अर्थी के स्वप्न देखने लग गया । जब किसी व्यक्ति को उसका शत्रु हानि पहुँचाता है और वह मूढमति-सा उसे स्वीकार कर लेता है तब स्वप्नों में वह कुत्तों के भौंकने
काटने की क्रिया को देखता है। यह कोयला, राख भी देख सकता है । स्वप्न में लड़ाई-झगड़ा भी करता है । जिस व्यक्ति को भविष्य व्यर्थ प्रतीत होता है वह स्वप्नों में अन्धेरा, धुँआ, ऊँचाई से उतरना या गिरना आदि देखता है।
मनुष्य
के साथ प्राय: उत्थान व अवनति लगी रहती है। यही कारण है कि उसके मन में संघर्ष चलता रहता है। इन संघर्षों की भी उर्जा होती है ।
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स्वप्प-विषय पर फ्रायड की बात की जाये तो जुंग की बात भी कहनी होगी। यूँ तो अनेकों विद्वानों ने इस विषय पर शोध किया है। एडलर मानता है कि स्वप्न में मनुष्य की आत्मप्रतिष्ठापन की इच्छा की सन्तुष्टि होती है। जुंग मानता है कि स्वप्न वर्तमान कठिनाईयों के फलस्वरूप होते हैं। इन समस्त विद्वानों ने व्यक्तित्व को जानने के लिये स्वप्न-समीक्षा का सहारा लिया है।
स्वप्न और उसके फल व कारण जानने वाला व्यक्ति यथार्थ में समाज को बहुत लाभ प्रदान करता है । स्वप्नों के द्वारा रोग परीक्षण इतना शीघ्र होता है कि अन्य प्रकार से ऐसा सम्भव नहीं है।
__हमारे भारत में वैद्यक-प्रथा अत्यधिक प्राचीन है और इसमें सबसे बड़ा योगदान नब्ज से रोग-परीक्षा करना है। इस कार्य में बड़ी ही तल्लीनता व सोच-समझ की आवश्यकता है। हम यदि रोगी से उसके स्वप्न पूछ लें तो रोग निर्धारण शीघ्र हो जाता है। क्योंकि जिस व्यक्ति में वायु प्रकोप हो रहा होगा वह आँधी देखता है, अंधेरा देखता है, श्मशान, राख, कोयल, हवा, हवा में उड़ना, उड़ते हुए परिन्दे आदि के स्वप्न अधिक देखेगा। जिस व्यक्ति में पित्त प्रकोप हो रहा हो तो वह प्रकाश, प्रकाशमान स्थितियाँ, चमकते-दमकते रत्नादि, स्वर्ण, पीतल देखता है । इसी प्रकार जिन लोगों को कफ का प्रकोप होता है वह लोग पानी, सफेद वस्त्र, सफेद इमारत, नदी, समुद्र, सरोवर, तैरना, नहाना आदि प्रकार के स्वप्न देखते हैं।
हमारे आयुर्वेद में रोगों की उत्पत्ति के तीन ही कारण माने गये हैं जिन्हें वात, पित्त व कफ कहते हैं । वैद्य नाड़ी पर तीन अंगुली रखकर उसकी चाल से यह दोष देखते हैं, जबकि स्वप्न समीक्षा से यह निर्णय अतिशीघ्र हो जाता है।
रोगों के दोष प्राय: स्वतन्त्र अवस्था में एक ही प्रकार के नहीं पाये जाते बल्कि वात-पित्त. वात-कफ, पित्त-कफ के संयोग से रोग-लक्षण
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[18] मिले-जुले दिखाई देते हैं । इस स्थिति की अभिव्यक्ति भी स्वप्न करते हैं कि वात-पित्त वाला रोगी पीली आँधी देखेगा, पीला आकाश देखेगा और उड़ते हुए पीले फूल, पीली इमारतें देखता है। उसके स्वपों में चमक भी रहती है । वात-कफ वाला रोगी हवा में उड़ेगा पर नीचे जलाश्य देखेगा। वह तैरेगा भी, वह उड़ेगा भी । नहाते हुए आँधी आयेगी। सफेद चादर पर या सफेद हाथी पर बैठकर उड़ सकता है। इसी प्रकार पित्त-कफ वाला रोगी नहाकर तिलकं लगायेगा, माला पहनेगा, दीपक जलायेगा, घंटे बजायेगा, पूजा-पाठ करेगा। भारी स्तन वाली देखेगा, स्तन-मर्दन या मैथुन करेगा।
इस प्रकार स्पष्ट हो जाता है कि स्वप्नों के द्वारा रोग निर्णय किया जा सकता है जो कि समाज के प्रति एक सराहनीय कार्य रहेगा। केवल रोग ही नहीं बल्कि किसी भी व्यक्ति की मनोवृत्ति, विचार आदि को उसके स्वप्नों के द्वारा जाना जा सकता है।
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2. स्वप्न - समीक्षा
स्वप्न - समीक्षा में स्वप्नों के द्वारा भविष्य के संकेत भी कहे जाते हैं जो कि अत्यधिक मूल्यवान व संग्रही होते हैं। अक्टूबर के मास में मुझे एक स्वप्न आया कि जगदम्बा बता रही हैं कि तुम्हारे एक मित्र की दुर्घटना होने जा रही है । वह गम्भीर होकर बच जायेगा पर तुम्हारी माता जा रही है । यह तीसरे प्रहर का स्वप्न था। तीसरे दिन एक मित्र की दुर्घटना हुई और वह गम्भीर स्थिति में जा पहुँचा । कुछ दिनों के बाद वह ठीक-ठाक हो
गया ।
स्वप्न के फल मिलने की भी अवधि हुआ करती है जिसे आप इस प्रकार से समझें
रात्रि के प्रथम पहर का स्वप्न 12 मास में, रात्रि के दूसरे प्रहर का स्वप्न 6 मास में, रात्रि के तीसरे प्रहर का स्वप्न 3 मास में, रात्रि के चौथे प्रहर का स्वप्न 1 मास में, सूर्योदय के समय का स्वप्न 10 दिन में,
और दिन के समय का स्वप्न तत्त्काल फल देता है ।
इसे मैं प्राकृतिक नियम कहूँगा। अक्टूबर मास में मुझे स्वप्न सन्देश प्राप्त हुआ और दिसम्बर मास में माताश्री ने महाप्रयाण किया । यह स्वप्न तीन मास पूर्ण करके फल दिखा गया । परम पूजनीय माता जी का स्वर्गवास हो गया । केवल इस आधार पर ही नहीं बल्कि अनेकों ऐसे उदाहरण हैं कि जिन्हें बहुमूल्य कहा जायेगा ।
श्री गुप्ता जी को एक रात्रि में स्वप्न हुए और उनमें उन्हें एक का अंक दिखता रहा । उन्होंने समझदारी का प्रयोग करके लाटरी ली और जिनके
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[20] अन्त में एक अंक था ऐसी संख्या वाली टिकटें ले ली। इस प्रकार की वह बीस टिकटें संग्रह कर पाये और अगले दिन एक अंक खुल गया और उन्हें दो हजार रुपए इनाम के मिले।
मैंने स्वप्न देखा कि रेत ही रेत है। एक को मैंने बताया तो उसने रेत के तीन अंक मानकर लाटरी खेली और अगले दिन तीन अंक ही खुला। चूँकि रेत ही रेत थी इसी कारण अगले दिन पुन: तीन अंक आया। ____ यह सब कुछ किस प्रकार सम्भव है कि स्वपों से अंक बनाकर धनार्जन किया जाये जबकि यह सत्य भी है कि अनेकों लोग स्वप्नों से अंक बनाकर लाटरी खेलते हैं। एक आदमी ने स्वप्न देखा कि हाथी है और उसके ऊपर लकड़ी का गट्ठा रखा है। दृष्टा ने गणित लगाया और एक के अंक पर खेलकर इनाम जीता। ____एक बन्धु ने बताया कि मैंने स्वप में पाँच स्त्रियाँ देखीं और स्त्री का शून्य मानकर टिकट ले ली है। अगले दिन पाँच का अंक खुला। इस तरह की त्रुटियाँ सम्भव है पर उस समय व्यक्ति क्या करे कि अंक-गणना तो सही की है परन्तु शालीमार का टिकट लिया और अंक खुल गया मटके में। मटके का टिकट लिया तो खुल गया शालीमार में। ___एक स्त्री ने स्वप्न देखा कि उसकी गोद में बालक बैठा है। उसका
आदमी औरत की बिन्दी वाला अंक खरीद लाया। उसने मुझे बताया तो मैंने कहा कि आपके स्वप्न का जो 'आब्जेक्ट' है वह बालक है अत: बिन्दी नहीं आयेगी। यदि अंक आया तो चार आयेगा क्योंकि 'आब्जेक्ट' बालक है और बालक के चार अंक होते हैं । अगले दिन चार खुला। ___एक रात्रि देखा कि दो आदमी आ रहे हैं। उनके मध्य में एक बालक है । उसने एक लाठी ले रखी है जो कि बीचों-बीच से पकड़ी हुई है। किसी ने आठ अंक खरीदा और किसी ने चार अंक लिया पर 'आब्जेक्ट' पर ध्यान किसी का नहीं था तब एक से कहा कि भाई लाठी को क्यों भुलाते
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[21] हो? अगले दिन लाठी का एक अंक खुला। चूँकि लाठी बीचों-बीच से पकड़ी हुई थी अत: दूसरे दिन भी एक अंक खुला।
प्रश्न उठता है कि यह स्वप्न है क्या? यद्यपि मैं पूर्व के पृष्ठों में इस विषय पर वार्ता कर चुका है। माना जाता है कि स्वप्न का कारण कोई उत्तेजना है पर यह उत्तेजना दो व्यक्तियों में एक समान नहीं पायी जा सकती है। जो मैंने स्वयं अनुभव किया है और अन्य लोगों को समझकर जान पाया हूँ वह केवल यही है कि शरीर के अन्दर कोई ऐसी शक्ति है जो जब चाहे शरीर से निकल जाती है और जब चाहे पुन: प्रवेश कर जाती है। यह इस प्रकार की शक्ति है कि दीवारों से बाहर चली जाती है। वातावरण में उड़ती फिरती है, तैरती रहती है पर किसी को भी दिखाई नहीं पड़ती है। तात्रिक अभिक्रियाओं के द्वारा इसे पकड़ा जाता है।
इसे सूक्ष्म-प्राण भी कहें तो अतिश्योक्ति न होगी क्योंकि एक बार एक व्यक्ति ने स्वप्न देखा कि वह घड़ा देख रहा है और उसकी तरफ उड़कर जा रहा है । बस इतना-सा ही । पर एक नाटक हो गया, प्रात: सब जग गये पर वह सोये जा रहा है । उसको हिलाते हैं, पुकारते हैं तो वह उत्तर भी नहीं दे रहा है । वह मृत भी नहीं है उसके श्वास चल रहे हैं। प्रश्न तो होना ही था कि उसे क्या हुआ है ?
चिकित्सक को बुलाया गया और उसने बताया कि यह बेहोश है। उसने थपथपाकर देखा और फिर पानी माँगा। वहीं पास में घड़ा रखा था। उसकी स्त्री ने घड़े का ढक्कन हटाया और पानी निकालने लगी पर उससे पहले ही वह ‘हरि ऊँ' कहता हुआ उठ बैठा। ___ सब उसे आश्चर्य से देखने लगे पर रहस्य समझ में नहीं आया। इतने में भीतर से माता जी आकर बैठी और उन्होंने कहा कि बहू । इस घड़े का पानी बदल देना क्योंकि रात को मैं जब यहाँ आई थी तब इसका ढक्कन हटा हुआ था। मैंने वापिस ढक तो दिया था पर फिर भी जल बदल देना।
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[22] यह घटना आपको साधारण-सी लगेगी पर यह ऐसी साधारण नहीं है कि स्वप्न-विद्या पर ज्ञान न देती हो। क्या हुआ था उस व्यक्ति को? क्या वास्तव में बेहोश था? नहीं वह बेहोशी नहीं थी बल्कि उस शक्ति का अभाव था जिसके द्वारा जागा जाता है। इस सारी घटना में बात या कारण केवल इतना है कि उस व्यक्ति को प्यास लगी और वह सोना चाहता था अत: उसे जलादि के स्वप्न आने लगे और वह उन्हीं में खोया सोता रहा। इसी बीच क्या हुआ कि वह शक्ति जल सम्पर्क प्राप्त करने के लिये निकली। पास में घड़ा था, ढक्कन कुछ हटा था और शक्ति घड़े में जा घुसी। उसी समय माता जी ने आकर हटे हुए ढक्कन को ठीक से रख दिया जिस कारण वह घड़े में ही बन्द रह गयी और वह व्यक्ति तब तक सोता रहा जब तक कि घड़े का ढक्कन खोला नहीं गया। घड़े से ढक्कन हटा और वह जाग गया।
यहाँ यह प्रश्न उत्पन्न होता है कि यदि वह शक्ति मटके में कैद हो गयी थी तो वह दीवारों को किस प्रकार पार कर जाती है । यह बात वास्तव में अनुसन्धान का विषय है जबकि वह शक्ति स्वच्छन्द होकर कहीं भी जा आ सकती है । यह प्रत्येक शरीर की अपनी-अपनी शक्ति है । रात्रि के समय प्राय: यह शक्तियाँ वातावरण में भ्रमण करती हैं।
वातावरण में भ्रमण करते हुए यह शक्ति जो-जो कार्य करती है वह स्वप के द्वारा दृष्टिगोचर होते हैं। जैसे हम कल्पना करते हैं वैसे ही यह शक्ति प्राय: कल्पनातीत स्वप्न दिखाती है क्योंकि वह वैसी ही क्रिया वातावरण में करती है। परन्तु कभी यथार्थिक क्रिया करके सत्य स्वप्न दिखाती है। उदाहरणस्वरूप एक युवक युवती से प्रेम करना चाहता है पर हो नहीं पाता तब वह शक्ति सषप्तावस्था में निकलकर उसे काल्पनिक प्रेमालाप करवाती है । वह देखता है कि वह उस युवती से प्रेमालाप कर रहा है। परन्तु मैं इसे काल्पनिक स्वप्न कहता हूँ । यह शक्ति यदि उस युवती की
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[23] शक्ति से मिलकर संयोग करेगी तो यह युवक जो प्रेमालाप करेगा वह उस युवती को प्राप्त भी होगा। मैं इसे यथार्थिक स्वप्न कहता हूँ।
यह कोरी कल्पना नहीं है । यह अनुभव से जाना व परखा गया है तब ऐसा कहा जा रहा है । मैं इस शक्ति को प्राण इसलिये नहीं कहूँगा क्योंकि प्राण निकल जाने पर श्वास आदि का पलायन हो जाता है।
स्वप्न-विज्ञान से भी आगे की बात बताता हूँ कि यही वो शक्ति है जिसे सूक्ष्म-शरीर कहा जाता है। यह सूक्ष्म-शरीर ही है जिसके द्वारा साधक वायुगमन करते हैं, देवलोक की यात्रा करते हैं, देवी-देवताओं से वार्ता करते हैं। इसका परिचय कैसे प्राप्त करते हैं और यह किस प्रकार कार्यरत् होता है ? यह एक गहन विषय है । इसकी चर्चा किसी और पुस्तक में करूँगा।
यहाँ पर समझ लें कि यह हमारा सूक्ष्म-शरीर ही है जो कि पूर्व पृष्ठों में मैंने शक्ति के नाम से व्यक्त किया है। सारा का सारा परा विज्ञान का ढाँचा इसी सूक्ष्म शरीर की विशेषता के ऊपर आधारित है। स्वप्न भी पराविज्ञान विषयान्तर्गत है।
मेरे अनुभव में यह आया है कि व्यक्ति के सूक्ष्म शरीर का दूसरे सूक्ष्म शरीर से क्रिया करना अति आवश्यक है तभी दो शरीर धारी एक समान स्वप्न देखते हैं और स्वप्न के फल से जाग्रतावस्था में भी वह फिर एक दूसरे को स्वीकार कर लेते हैं।
अमुक एक स्त्री पर आसक्त थे परन्तु वह स्त्री उनकी तरफ देखती भी नहीं थी। इस बात से वह चिन्तित थे कि कैसे वार्ता हो? कैसे उपलब्धि हो? स्वप्न के द्वारा उन्होंने उससे प्रेमालाप अनेक बार किया था पर वह एक तरफा प्रेमालाप था जो कि उस स्त्री से तो मिला नहीं रहा था। एक रात्रि उन्होंने सुषुप्तावस्था उससे स्वप में प्रेमालाप किया और उस रात्रि को उस स्त्री ने भी उससे प्रेमालाप किया हालाँकि वह स्त्री उनकी तरफ देखती भी न
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[24] थी। लगभग एक मास में ही उनकी उस स्त्री से मित्रता हो गई और दोनों एक दूसरे से प्रेमालाप करने लग गये। यह स्वप्न उसने भी देखा था, ऐसा उसने मुझे बताया था।
सभी स्वप्नों में ऐसा नहीं होता और यह नियम नहीं कार्य करता है क्योंकि स्वप्न नौं प्रकार के कारणों से होते हैं । इसमें प्रथम प्रकार का कारण है—'सुना हुआ' अर्थात् किसी से सुना और वैसा ही स्वप्न देख लिया। दूसरे प्रकार का स्वप्न है—'देखा हुआ'। तीसरे प्रकार का स्वप्न है-'अनुभव किया हुआ'। चौथे प्रकार का स्वप्न है—'स्वाभाविक' । पाँचवें प्रकार का स्वप है—'विकार जन्य' अर्थात् शरीर में रोग होने के कारण स्वपों का निर्माण होना । छठे प्रकार का स्वप्न है—'विचार व मनन' अर्थात् किसी विषय पर लगातार या गूढ़ विचार या चिन्तन से स्वप्न का निर्माण होना । सातवें प्रकार का स्वप्न है—'भाग्य दोष' । आठवें प्रकार का स्वप्न है—'धर्म का प्रभाव' अर्थात् कोई व्यक्ति साधना करता है, पूजा-पाठ में लगा है तो इसकी शुभताओं के प्रताप से स्वप्नों का निर्माण होता है। नौवे प्रकार का स्वप्न–'प्रभु कृपा' से होता है । आठवें और नौवें स्वप के लिये सूक्ष्म-शरीर को अन्यत्र जाना नहीं पड़ता बल्कि दूसरे सूक्ष्म-शरीर उससे सम्पर्क साधते हैं, जबकि शेष सभी स्वप्नों के लिये सूक्ष्म सत्ता को अन्यत्र जाना पड़ता है।
मानव जिन स्वप्नों का दर्शन करता है उनके स्वरूप के आधार पर उन्हें अनेक श्रेणियों में विभक्त किया जा सकता है जैसा कि मैंने अभी नौ प्रकार की श्रेणियाँ व्यक्त की हैं। अब मैं कुछ प्रमुख प्रकार के स्वप्नों का उल्लेख करता हूँ।
स्वप समीक्षा करने पर यह बात तो स्पष्ट हो ही जाती है कि स्वप्नीली दुनियाँ में चिन्ता वाले स्वप्न अधिक होते हैं । इस प्रकार के स्वप्नों की कमी नहीं है जो कि भयभीत कर देते हैं, चिंतित कर देते हैं । जिस प्रकार
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[25] चिन्ता स्वप्नों की अधिकता है, उसी प्रकार संवेदनात्मक स्वप्नों की भी कमी नहीं है । अब स्वप्नों का वर्गीकरण करते हैं1.चिन्ता स्वप्न (Anxiety Dreams) 2.भावी स्वप्न (Prophetic Dreams) 3. सामूहिक स्वप्न (Collective Dreams) 4. आवर्तक स्वप्न (Recurrent Dreams) 5. मृत्यु स्वप्न (Dreams of the Dead) 6. गति संवेदनात्मक स्वप्न (Kinethetic Dreams) ___यदि इन्हें पारिभाषिक स्वरूप से व्यक्त करना पड़े तो इस प्रकार से कहा जायेगा कि ऐसे स्वप जिनके कारण स्वप दृष्टा भयभीत होकर जगे, चिन्ता उत्पन्न करे, शस्त्रों के प्रहार सहकर जगे, भूत-प्रेतादि के कारण डरकर जगे तो चिन्ता स्वप्न कहलाते हैं। कभी-कभी भूले-भटके ही एक से अधिक लोग एक ही प्रकार का स्वप्न देखते हैं। ऐसे स्वप सामूहिक स्वप्न कहलाते हैं। कभी-कभी किसी व्यक्ति को एक ही प्रकार का स्वप्न बार-बार दिखाई देता है। इसे आवर्तक स्वप्न कहते हैं। स्वप्न अपनी या किसी व्यक्ति की मृत्यु देखना ही मृत्यु स्वप्न कहलाते हैं । गति संवेदनात्मक स्वप्न उन्हें कहते हैं जिनमें स्वप्न दृष्टा उड़ना, भागना, गिरना आदि प्रकार के स्वप्न देखता है । भावी स्वप्न उन्हें कहते हैं जिनके द्वारा भविष्य का ज्ञान होता है ।
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| 3. स्वप्नों के मन्त्र
आज जैसे-जैसे उन्नति होती जा रही है वैसे-वैसे ही समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। यह स्वीकार करने में हिचक नहीं होनी चाहिए कि 'जितनी उन्नति, उतनी अधिक समस्याएं होती हैं। समस्या को समस्या समझकर कभी भी किसी ने अवहेलना नहीं की बल्कि उसके समाधान के मार्ग प्रशस्त किये हैं। प्रस्तुत पुस्तक स्वप्नों से सम्बन्धित है अत: स्वप्न समस्या की बात करेंगे।
___ मानव के पास अनेकों प्रश्न हैं जिनका उत्तर उसे प्राप्त नहीं होता तो ऐसे में उसे आठवें प्रकार के स्वप्न का निर्माण करना चाहिए।
इस बात से आपको चौंकाना या घबराना नहीं है क्योंकि माने या न माने 90% स्वप्नों के जन्मदाता तो आप स्वयं ही हैं। एक आदमी है। उसका कुछ कीमती सामान खो गया है । कहाँ पर है वह कीमती सामान?
आप आठवें प्रकार के स्वप्प से जान सकते हैं। मैं पास होने वाला हूँ या फेल? इसका उत्तर शेष स्वप्न तो देते ही हैं पर आठवें प्रकार के स्वप का निर्माण करके आप जान सकते हैं कि आप फेल होंगे या पास। एक घटना बताता हूँ।
प्रताप जी पर धन का संकट आया। व्यवसाय भी उन्हें बदलना पड़ा। एक बार उन्होंने आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने के लिये एक प्रयोग किया। उन्होंने, 'हे स्वप्नेश्वरी देवी ! मुझे शालीमार का नम्बर बताओ' निरन्तर जपा और सो गये । रात को उन्हें स्वप्न में एक अंक दिखाई दिया। दिन में उन्होंने अपने मित्र को वह अंक बताया। संध्या को वही अंक शालीमार में खुल गया और उनके मित्र ने लाभ प्राप्त किया।
दूसरी रात्रि को पुन: उन्होंने वैसी क्रिया की और सो गये। इस बार फिर उन्हें अंक दिखाई पड़ा। उन्होंने अपने मित्र को बता दिया और उस
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[27] संध्या को भी वही स्वप्न वाला अंक खुल गया। यह क्या है ? यह आठवें प्रकार का स्वप्न है जिसका कि श्री प्रताप जी निर्माण कर रहे थे।
मैं समझता हूँ कि आप समझ गये हैं कि आठवें प्रकार के स्वप्न का निर्माण करके साधक लाभ उठा सकता है। अत: अब मैं आपको आठवें प्रकार के स्वप्न के निर्माण की कुछ तान्त्रिक विधियाँ बता रहा हूँ।
इससे पूर्व कि मैं इस विषय को आगे बढ़ाऊँ आप समझ लें कि यह सभी प्रयोग श्रद्धा और विश्वास से सम्पन्न होते हैं। आपको बारम्बार प्रयास करने पर भी यदि सफलता न मिले तो समझ लें कि तन्त्र-साधना के आप पात्र नहीं हैं। विशेष रूप से लालच के प्रभाव से, उत्तेजना के प्रभाव से, जिज्ञासा के प्रभाव से, परीक्षा के प्रभाव से यह प्रयोग असफल रहेंगे। ___यहाँ पर सर्वप्रथम वाराही देवी का मन्त्र प्रस्तुत है । इसे चारपाई पर ही ग्यारह सौ बार जपते हैं तो ग्यारह दिनों के भीतर ही साधक को स्वप्न में उत्तर मिलने लग जाते हैं।
ॐ ह्रीं नमो वाराही अघोरे
स्वप्नं दर्शय ठः ठः स्वाहा ॥ अब एक और विचित्र तान्त्रिक मन्त्र प्रस्तुत है
सबसे पहले गेहूँ का आटा सवा सेर लें। शुद्ध घी ढाई पाव लें। चीनी भी अढ़ाई पाव लें। अब इन्हें कसार करके भून लें। यह क्रिया शुक्रवार की रात्रि को कर लें या शनिवार की प्रात: को करें । सामग्री लेकर शनिवार वाले दिन सूर्योदय से पहले वन प्रान्त में चले जायें और चीटियों के बिलों पर आगे कहा गया मन्त्र बोलते हुए यह सामग्री थोड़ी-थोड़ी डालते रहें। यह क्रिया वन में घूमते हुए करें और इतना घूमें कि थक जायें । जब सारी सामग्री समाप्त हो जाये और खूब थक लें तो वहीं किसी वृक्ष के नीचे सो जायें।
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इस सुषुप्तावस्था में कोई स्त्री या पुरुष साक्षात् होगा । जो उससे
जानना हो जान लें । मन्त्र निम्नलिखित है
जोजन गन्धा जोगिनी ।
ऋद्ध सिद्ध में भरपूर ॥
मैं आया तोय जाचणे । करजो कारज जरूर ॥
आगे बढ़ने से पूर्व एक बात बता दूँ कि मैंने यह परम गोपनीय दुर्लभ प्रयोग बताया है और मैं जानता हूँ कि आप इसे अवश्य करेंगे। एक बात समझ लें कि आप कितने भी समझदार और बहादुर हों, कोई भी प्रयोग किसी से पूछ कर करें क्योंकि आपकी समझदारी व बहादुरी पर सन्देह नहीं हैं बल्कि समाज में 60% लोगों के शरीरों पर इस तरह का मायाजाल रहता है कि उन्हें वह परेशान करने लग जाता है और उस परेशानी का कारण साधक लेखक को मानने लग जाता है ।
एक बात पुन: समझ लें कि इस पुस्तक व अपनी समस्त पुस्तकों के द्वारा मैंने आपको पराविज्ञान की दुर्लभ ज्ञान गंगा प्रदान की है। इसमें नहाने वाला चमत्कारिक शक्तियों को प्राप्त करता है तो कुछ लोग इसका वेग संभाल न सकने के कारण बह जाया करते हैं । अतः कोई भी प्रयोग करने से पूर्व ज्ञान - गंगा में तैरना सीखिये । खाना खाकर पेट तो भरता ही है पर कई बार खाना विषाक्त भी होता है । जिस प्रकार इस विद्या से लाभ आप उठाते हैं उसी प्रकार से इसकी हानियाँ भी आपको ही उठानी पड़ सकती हैं । यह तो हो ही नहीं सकता कि लाभ तो सारा आप बटोर लें और हानि औरों को मिले ।
अब एक और विशेष मन्त्र अपने दुर्लभ प्रयोग के साथ प्रस्तुत हैएक चौका लगायें और उसके मध्य में एक दीपक रखकर देशी घी
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[29] से प्रज्वलित कर दें। दीपक के पास बताशे चढ़ा दें। प्रसाद रखकर स्वप्नेश्वरी देवी को प्रणाम करके प्रसाद को कुआँरी कन्याओं में वितरित कर दें। इसके बाद आगे कहा गया मन्त्र इक्कीस हजार बार जपें तो देवी स्वप्न में वार्ता करती है । मन्त्र निम्नलिखित है
ॐ नमः स्वप्न चक्रेश्वरी स्वप्ने अवतर-अवतर गतं
वर्तमानम् कथय-कथय स्वाहा ।। एक इस्लामी मन्त्र भी प्रस्तुत है
किसी वीराने में कुआँ हो तो उसके ढाणे पर रात्रि के समय लोबान (असली) को महकाकर आगे दिया गया मन्त्र 108 बार उल्टी माला पर पढ़ें। यह क्रिया 21 दिन करनी पड़ती है । इसके प्रभाव से अंक मिलते हैं। मन्त्र निम्नलिखित हैं
या ख्वाजा खिज्र मैं तेरा इलियास।
लिल्लाम का दिल चित्त मेरे पास ॥ एक और प्रयोग देखें
रात्रि के समय सरसो के तेल का एक दीपक प्रज्वलित करें। एक फूटी कौड़ी लेकर दीपक में डाल दें। इसके पश्चात् आगे कहा गया मन्त्र 1100 बार जपें । इसको करके लाल कनेर के पुष्प लें। इन पुष्पों को, मन्त्र से 108 बार पढ़कर शक्तिकृत कर लें। तदुपरान्त एक ताम्बे की डिब्बी में यह पुष्प भरकर तकिये के नीचे रखकर सो जायें । मन्त्र इस प्रकार है
ॐनमो भणि भद्राय चेटकाय । सर्व कार्य सिद्धये मम स्वप्न दर्शनानि कुरु कुरु स्वाहा॥
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[30] एक और विचित्र व दुर्लभ प्रयोग प्रस्तुत है
शेह के दो काँटे मँगायें । जंगली सूअर का एक दाँत लें । इनके ऊपर आगे कहा गया मन्त्र एक लाख बत्तीस हजार बार जप लें। इसके बाद प्रतिदिन एक माला जपते रहें तो कान में उत्तर प्राप्त होता है। मन्त्र निम्नलिखित है
ऊँ ह्रीं श्रीं क्लीं नूं ठं ठं नमो देव पुत्री स्वर्ग निवासिनी, सर्व नर-नारी मुख वार्तालि वार्ता कथय सप्त समुद्रान्दर्शय दर्शय ऊँ ह्रीं श्रीं क्लीं नीं ठं ठं
हुँ फट् स्वाहा।। अब हनुमान जी का एक प्रयोग प्रस्तुत है
एक फुट का लाल चन्दन का टुकड़ा लेकर उसके ऊपर हनुमान जी की प्रतिमा खुदवायें। इस प्रतिमा में हनुमान जी की प्राण-प्रतिष्ठा करें। प्राण-प्रतिष्ठा के अभाव में सुपाड़ी पर लाल धागा लपेट कर प्रतिमा के पास रख दें। इस प्रतिमा का पंचोपचार से पूजन करें। सिंदूर अर्पित करें व प्रसाद के रूप में गुड़ का चूरमा रखें। यह प्रसाद सारा दिन प्रतिमा के समक्ष रखा रहे।
__ अगले दिन इसे उठाकर नवीन प्रसाद चढ़ा दें। यदि आपकी जन्मकुण्डली में छठा भाव खाली हो और पाँचवा भी खाली हो तो यह पुराना प्रसाद पृथ्वी में दबा दें। यदि भाव में ग्रह या ग्रहों का प्रभाव हो तो यह प्रसाद किसी भिखारी को दान कर दें।
रात्रि के समय प्रतिमा के समक्ष शुद्ध घृत का दीपक जलाकर लाल चन्दन की माला पर आगे कहा गया मन्त्र ग्यारह सौ बार जपें । साधनाकाल में पवित्र व स्वच्छ रहें। लाल वस्त्र धारण करें। ऐसा करने पर साधकों ने
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ब्रह्मचारी जी के दर्शन प्राप्त किये हैं । आपको स्वप्न में भी लाभ मिल जाये तो कोई हानि न समझें ।
हनुमान जी का मन्त्र निम्नलिखित है—
ॐ नमो हनुमन्ताय आवेशय आवेशय स्वाहा ॥
कहने को तो मैं अनेकों अद्भुत, दुर्लभ, गोपनीय व अनुभूत प्रयोग बता रहा हूँ फिर भी आपको लाभ न मिले तो कोई क्या कर सकता है ? दक्षिणी अमेरिका से श्री नारी आये थे और उन्होंने स्पष्ट ही कहा था कि मुझे इन सबसे लाभ न होगा फिर भी वह प्रयासरत् थे । किसी को लाभ क्यों न होगा ? यह तो एक अलग विषय है। इसकी चर्चा मैं अपनी आने वाली पुस्तक 'साधना से पूर्व' में कर रहा हूँ। यहाँ पर आपको कुछ और प्रयोग बताकर विषय पर आगे बढ़ते हैं ।
दस महाविद्याओं में एक देवी है जिनका नाम मातड़ी है। मैंने अपनी पुस्तक 'सृष्टि का रहस्य' में इनके ऊपर वार्ता प्रस्तुत की है । यह शीघ्र प्रभावी शक्ति है । यहाँ पर मैं एक स्वप्न मातङ्गी का अभूतपूर्व प्रयोग बता रहा हूँ ।
सारा दिन निर्जल व्रत करें। रात को भी भूखे रहें । रात्रि के समय आगे कहा गया मन्त्र 108 बार जपकर सो जायें तो अभी तक के अनुभव के आधार पर तो पहली बार ही स्वप्न में वार्ता हो जाती है । मन्त्र इस प्रकार
है—
ॐ नमः स्वप्न मातङ्गिनी सत्य भाषणी स्वप्नं दर्शय दर्शय स्वाहा ॥
अब मैं कर्ण पिशाचिनी विद्या व्यक्त कर रहा हूँ । आगे कहा गया
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मन्त्र कर्ण पिशाचिनी का है जिसे अनेक साधकों ने सत्य प्रमाणित किया है । प्रस्तुत कर्ण पिशाचिनी विद्या का प्रयोग कुछ इस प्रकार से करते हैं कि आम की लकड़ी का एक पट्टा बनवाकर ले आते हैं । रात्रि के समय इस पट्टे पर गुलाल बिछा देते हैं और अनार की कलम से गुलाल के ऊपर मन्त्र लिखते हैं । उसके बाद उसे मिटा देते हैं। पुन: उसके ऊपर लिखते हैं और पुनः मिटा देते हैं । ऐसा 106 बार करते हैं परन्तु 108वीं बार का लिखा हुआ मन्त्र नहीं मिटाते हैं । प्रत्येक बार मन्त्र को लिखते हुए मन्त्रोच्चारण भी करते
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हैं । अन्तिम मन्त्र का पंचोपचार से पूजन करते हैं । इस पूजन के पश्चात् मन्त्र का ग्यारह सौ बार जप करते हैं । तदोपरान्त पटरे पर तकिया रखकर उसके ऊपर सिर टिकाकर कर्ण पिशाचिनी का ध्यान करते-करते सो जाते हैं । इस क्रिया से तत्काल लाभ होता है फिर भी इसे 21 दिन तक करना चाहिए । यदि इस मेहनत से बचना हो तो किसी ग्रहण के पूर्ण भोगकाल में इस मन्त्र को निरन्तर जप लें, तदुपरान्त पाँच सौ बार जपने से भी लाभ मिलता है । मन्त्र यह है—
ॐ नमः कर्ण-पिशाचिनी मत्त करिणि प्रवेषे अतीतानागत वर्तमानानि सत्यं कथय मे स्वाहा ॥
कर्ण-पिशाचिनी नाम से तो प्राय: लोग परिचित हैं और इस देवी के अनेकों प्रयोग व मन्त्र प्रचलन में चल रहे हैं अतः यहाँ उन्हें कहकर विषये वस्तु को लम्बा करने का प्रयास नहीं करूँगा । यहाँ पर जो भी विषय सामग्री प्रस्तुत की है वह इसी विश्वास से की है कि सम्भवत: उपरोक्त प्रयोग आपके देखने में नहीं आये होंगे क्योंकि वह सब हमारे गुप्त व दुर्लभ प्रयोग
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हैं । कर्ण-पिशाचिनी के पश्चात् कर्ण-पिशाच का प्रयोग प्रस्तुत है ।
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सर्पाक्षि व अलाबू की जड़ रवि पुष्य संयोग पर ग्रहण कर लें। आगे
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[33] हा गया मन्त्र किसी ग्रहण के अवसर पर निरन्तर जप लें। ग्रहण की गई ड़ें मन्त्र पाठ करते हुए लाल धागे से लपेटकर धारण कर लें। प्रतिदिन त्र की एक माला जपते रहें । कर्ण-पिशाच का मन्त्र निम्नलिखित है
ऊँ नमो भगवते रुद्राय
कर्ण-पिशाचाय स्वाहा॥ अब मन्त्र विषय का समापन करते हैं और यह स्पष्ट कर देना गवश्यक है कि उपरोक्त कहे गये नियमों से आठवें प्रकार के स्वप्न का पर्माण आप कर सकेंगे। प्राय: साधकों ने इनका प्रयोग करके देखा है। छ लोगों ने इनसे निरन्तर लाभ उठाया है और कुछ अपवाद स्वरूप धन सफल होने पर भी तब विफल हो गये जब उन्होंने स्वयं को लाभ दान करने का प्रयास किया।
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4.स्वप्न गणित
प्राय: सभी लोग स्वप्न देखते हैं । सुषुप्तावस्था में जब स्वप्न क्रिय चल रही होती है तब हमारी चेतना कार्यरत नहीं होती। इस पर भी हा स्वप्न-लोक में स्वप्नीले संसार का आनन्द लूटते हैं। पिछले दिनों तव स्वप्न केवल भविष्य विषयक ही माने जाते थे पर धीरे-धीरे जनमानस उन्नति की और स्वप्न को एक नये दृष्टिकोण से देखना प्रारम्भ किया। में पास आकर अनेक लोगों ने विचित्र बातें बताईं तो मुझे यह महसूस हुआ कि स्वप्न गणित की कहीं पर भी चर्चा नहीं है। पिछले कई वर्षों से इ विषय को समझने का प्रयास कर रहा था और यह तो नहीं कहता कि य प्रयास पूर्ण हुआ पर हाँ यह अवश्य स्वीकार करूँगा कि प्रस्तुत पुस्तक प कार्य हो पाया और इस पुस्तक के द्वारा मैं स्वप्न विषयक ग्रन्थों में एक नय अध्याय जोड़ रहा हूँ जिसे कि स्वप गणित के नाम से जाना जायेगा।
अब पहली बार मैं यह भी घोषणा करता हूँ कि स्वप केवल स्वप्न है। नहीं होते उनमें भाग्यशाली अंकों का रहस्य छुपा रहता है जो कि दृष्टा के धन लाभ करवाते हैं।
आजकल लाटरी का बहुत बोलबाला है। ज्यादातर खिलाड़ अन्तिम अंक पर भाग्य आजमाते हैं। यह बिल्कुल आवश्यक नहीं है कि सभी लोगों के स्वप्न अंक के सूचक हों पर खिलाड़ी इसके आधार पर अवश्य खेलते हैं और प्राय: जीतते हैं। ___सपनों का अपना एक निजी विज्ञान है और ऐसी ही उसकी विशेषत व मौलिकता होती है । स्वप में कभी-कभी एक ही प्रमुख भाव होता है जैसे कि रेत ही रेत । परिणामस्वरूप दो दिन तीन खुलता रहा। इसके विपरीत कभी-कभी स्वप्न एक चलचित्र की तरह अनेक भाव संग्रह किये रहते हैं। एक व्यक्ति ने स्वप्न में देखा कि दिन का समय है और सामने वीरान मार्ग है
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जिसके ऊपर एक युवती जा रही है। उसने आगे पीछे देखा और किसी को न पाकर तेजी से जाकर उसे दबोच लिया और प्रेमालाप करने लग गया । इसका क्या अंक होगा। युवती की बिन्दी, रास्ते के तीन, युवक के आठ और मैथुन के नौ | इससे अलग चार का अंक खुला क्योंकि वह बराबर स्तन मर्दन करता रहा था ।
यह जानना अत्यन्त आवश्यक होता है कि स्वप्न का 'आब्जेक्ट' उद्देश्य क्या है ? कौन-सा भाव प्रमुख है ? और तब स्वप्न का अंक समझ में आता है जो कि लाटरी में इनाम दिलवाता है ।
यहाँ पर कुछ मिश्रित स्वप्न व उसके अंक बता रहा हूँ जो कि अगले दिन लाटरी में खुले थे ।
छत पर औरत नाच रही है । दृष्टा ने छत के छः तथा औरत के शून्य अंक लिया पर 'आब्जेक्ट' नाचना था जिसे कि उन्होंने विस्मृत कर दिया । परिणाम में अंक नौ खुला था ।
चारपाई के ऊपर स्त्री बैठी थी । लोगों ने चारपाई के चार व औरत बन्दी खेली तो शून्य अंक पर पुरस्कार प्राप्त हुआ ।
स्वप्न में एक व्यक्ति एक मठ में गया जहाँ उसे कोई नहीं मिला । वह वापिस आने लगा तो उसे एक स्त्री मिली। उन दोनों ने बात की तदोपरान्त वह व्यक्ति आगे बढ़ गया। उसे आगे जाकर एक व्यक्ति मिला जो कि सिख धर्म के आद्य प्रवर्तक नानक की बातें करने लगे। क्या अंक बनायेंगे इसका ? इस स्वप्न की तीन विशेषताएँ हैं। इससे पहले यह समझ लें कि जब स्वप्न में कोई जायेगा तो उसका अंक एक दिन बाद खुलता है । इसी प्रकार कोई आयेगा तो उसका अंक अगले ही दिन खुलता है । अब आप इस स्वप्न की विशेषता को देखें । आदमी मठ में गया पर वापिस आ गया । इसका मतलब है कि आठ दूसरे दिन खुलने जा रहा था। पर अब वापिस आ गया है अर्थात् कल खुलेगा पर साथ में उलझा दिया कि स्त्री
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मिली । अतः शून्य व आठ पर खेल हुआ। अगले दिन आठ का अंक विजयी हुआ । पर स्वप्नांक अभी शेष है। वह जा रहा था कि उसे एक व्यक्ति मिला और नानक की बातें करने लगा। आठ के दूसरे दिन नौं का अंक विजेता हुआ ।
आप इसे कोई उलझने वाला खेल मत समझिये यद्यपि यह रहस्य बहुत ही सूक्ष्म है फिर भी मैं समझता हूँ कि अब बहुत लोग इस विषय पर ध्यान देने लग गये हैं । मैंने सन् 1980 में कई लोगों को इस स्वप्न गणित का संकेत दिया था तब से लेकर अभी तक इसने बहुत उन्नति की है इसकी प्रबलता व सूक्ष्मता को देखते हुए प्रत्येक व्यक्ति को यह ज्ञान देने के निमित्त इस पुस्तक की रचना की गई है।
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आपको अपने स्वप्नों व आने वाले कल के अंकों पर थोड़ा-सा परिश्रम करना पड़ेगा, यह समझने के लिये कि आपके स्वप्न किस प्रकार से अंक बना रहे हैं और कौन-सी लाटरी में पुरस्कार दिलवा रहे हैं। यह अध्ययन भी आप एक सप्ताह या दस दिनों में कर लेंगे । इस मध्य आपको आगे दी गई स्वप्न समीक्षांक से सहायता प्राप्त करके अंकों को समझना होगा। आपको बड़े ही ध्यान से सोचना होगा कि स्वप्न में कौन-सी चीज विशेष बन रही है। किसी के ऊपर वाली चीज वर्तमान अंक बनती है। एक व्यक्ति ने स्वप्न में लाटरी का टिकट लिया। उसका इनाम निकला । उसे पाँच हजार रुपये मिले। उसने एक हजार तो जेब में रख लिये । शेष चार हजार के दो हिस्से करके दो हजार तो भगवान को चढ़ा दिये और दो हजार रुपये हाथ में लेकर सोचने लगा कि इसका क्या करूँ ?
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आप देख रहे हैं कि इसके कितने अंक बनते हैं परन्तु भाव क्या है ? इसे देखेंगे तो दो का अंक शेष बचता है। दूसरे दिन दो तारीख को दो का अंक विजयी हुआ था ।
एक ब्याहता स्त्री ने देखा कि उसके घर में दीपक ही दीपक जल रहे
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[37] हैं । उसने पूछताछ की तो अगले दिन दो खुला था।
एक व्यक्ति ने स्वप्न देखा कि उनसे एक स्त्री मिली है। उसने कई पुस्तकें उन्हें प्रदान की हैं और वह उन पुस्तकों को उठाकर कहीं जा रहे हैं। आपको मैंने एक नियम बताया था आने की क्रिया वाला अंक वर्तमान होता है । जाने की क्रिया वाला स्वप्न दूसरे दिन का अंक व्यक्त करता है । स्वप्न के अनुसार उन्हें एक स्त्री मिली। अगले दिन शून्य खुला। स्वप्न में वह पुस्तकें उठाकर जा रहे थे अत: शून्य के अगले दिन पाँच खुला था।
यह कोई आश्चर्य करने की विद्या नहीं है। यह व्यंग्य का भी विषय नहीं है अपितु सूक्ष्म सोच, समझ, दूरदर्शिता और भाग्य से लाभ उठाने का विषय है। यह तथ्य सर्वदा याद रहे कि स्वप्न के कारण प्राप्त होने वाली अशुभता तो आपको घर में छुपे हुए होने पर भी प्राप्त हो जायेगी परन्तु जहाँ तक शुभता का प्रश्न है उसके लिये तो कहीं चल कर ही जाना होगा अन्यथा लाभ प्राप्त नहीं होगा।
एक कहावत है कि 'गिरते हैं शहसवार ही मैदाने जंग में' अत: जो इसे खेलेगा वही इसे पायेगा और जो पायेगा तो खोयेगा भी वही । खोने कोई और नहीं आता बल्कि पाने वाला खोता है और खोने वाला पाता है। समझदार तो वही है जो इस खेल में प्रवेश ही न करे पर प्रवेश कर ही लिया है तो जीतकर किनारा कर लेना चाहिये । कई वर्ष पूर्व एक गीत बजा करता था। उसी की प्रथम पंक्तियाँ यहाँ पर प्रस्तुत करता हूँ कि 'तदबीर से बिगड़ी हुई तकदीर बना लें, अपने पे भरोसा है तो यह दाँव लगा ले।' ____ अब आपके समक्ष सारणी के रूप में स्वप्न अंक-फल तालिका प्रस्तुत है । इस तालिका से स्वप्नों के शुभाशुभ फल सरलता से समझ में आ जाते हैं (देखें स्वप अंक-फल तालिका पृष्ठ-38)।
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15. स्वप्न अंक-फल तालिका
इस अध्याय में स्वप्न अंक-फल तालिका दे रहे हैं । इस तालिका में स्वप्न में क्या देखा, उस स्वप्न का फल क्या है तथा सम्भावित लाटरी अंक कौन-सा आ सकता है, यह सब आप एक ही दृष्टि में आसानी से जान सकते हैं।
स्वप्न अंक-फल तालिका-1 क्रम स्वप्न में ।
स्वप्न
सम्भावित संख्या क्या देखा?
फल
लाटरी अंक 2
3 पान देखना
धन लाभ होगा 2. दही देखना
धन लाभ होगा जूता देखना
यात्रा होगी दूध देखना
धन लाभ होगा
4
.
Page #40
--------------------------------------------------------------------------
________________
स्वप्न अंक-फल तालिका-2
-
1
2 चारपाई देखना चारपाई पर सोना
झूठा प्रमाणित होगा व्यर्थ के क्लेश मिलें
आदमी
सामान्य
बच्चा (पुरुष)
स्त्री लड़की
[39]
10..
11.
रेत तार
12.
उचित समय है धन लाभ होगा शुभ है धन लाभ होगा प्रभुता समृद्धि बढ़े बुराई करेगा मुसीबत टले खुशी मिलेगी शान्ति मिलेगी
13.
डण्डा
14.
15.
दीपक देवता देवी
16.
Page #41
--------------------------------------------------------------------------
________________
स्वप्न अंक-फल तालिका-3
1
.
2 ईष्ट प्रतिमा पान खाना पान फेंकना जुड़वाँ बच्चे सन्दूक पाना सन्दूक खोना सन्दूक खोलना पुस्तक देखना पुस्तक मिलना पुस्तक खोना पुस्तक पढ़ना भूखे देखना
आयु वृद्धि होगी समाज में मान मिलेगा सम्मान को ठेस लगेगी धन लाभ होगा सुविधा मिलेगी परेशानी होगी धन लाभ होगा सम्मान होगा सम्मान होगा मान-हानि होगी मान-सम्मान मिलेगा संतान विघ्न होगा
[40]
Page #42
--------------------------------------------------------------------------
________________
स्वप्न अंक-फल तालिका-4
12
जलती लालटेन जलती टार्च कबूतर तहखाना पतंग पतंग कटना पतंग उड़ाना ताली देखना समारोह नारंगी देखना चाँद देखना दियासलाई
सम्भ्रान्त परिवार से संबंध सम्भ्रान्त परिवार से संबंध व्यवसाय से लाभ होगा कुलटा से सम्बन्ध धन-हानि होगी धन-हानि से बचें धन वृद्धि होगी विपरीत लिंगी से मित्रता अविवाहित का विवाह, अन्य को हानि धन-लाभ होगा सुदृढ़ मैत्री होगी भाग्योत्रति होगी
[41]
Page #43
--------------------------------------------------------------------------
________________
स्वप्न अंक-फल तालिका-5
1
2 नंगा देखना दवा पीना दवा देखना दवा गिरना सम्भोग (सम्बन्धी से) सम्भोग (युवा अन्जान से) आग पार्सल देखना पार्सल भेजना पार्सल पाना दुर्घटना देखना दुर्घटना से बचना
[42]
अशुभ है बुराई त्यागना बुरा करेगा पापों से क्षमा रोग होगा आकर्षण बढ़ेगा सौभाग्य जागृत्ति सौभाग्य वृद्धि सौभाग्य विदा व्यवसाय सफलता रोग होगा रोग से बचेगा
Page #44
--------------------------------------------------------------------------
________________
स्वप्न अंक-फल तालिका-6
2
4
पर
4
चींटी देखना चींटी मारना चींटियाँ देखना दाढ़ी देखना सफेद दाढ़ी प्रशंसा होना अपमान होना स्त्री से आलिंगन स्तन मर्दन स्तन देखना दस्तावेज प्रसव पीड़ा
कठिनाई से सफलता सफलता कठिनाई पर कठिनाई अशुभ शुभ अवनति उन्नति उन्नति
[43]
धन लाभ
सुमधुर सम्बन्ध व्यवसाय बढ़ना समृद्धि
Page #45
--------------------------------------------------------------------------
________________
स्वप्न अंक-फल तालिका-7
2 शौचालय नर्स मितली पम्प (पानी निकले) पम्प (पानी न निकले) तीर्थ यात्रा ईष्ट मूर्ति की चोरी ईष्ट मूर्ति टूटना कीचड़ पानी दाँत गिरना दाँत देखना
योजना सफल रोग समाप्त आरोप धन कारोबार वृद्धि धन कारोबार हानि मान-सम्मान वृद्धि आयु हानि आयु हानि पीड़ा धन लाभ
[44]
रोग
स्वास्थ्य वृद्धि
Page #46
--------------------------------------------------------------------------
________________
स्वप्न अंक-फल तालिका-8
12
केश देखना केश झड़ना पितृ देखना साँप डसे तालाब देखना भोजन करना भोजन फेंकना साधु साधु का आश्रम चिड़िया देखना तिजोरी आकाश (साफ)
स्वास्थ्य वृद्धि स्वास्थ्य हानि शुभाशुभ धन लाभ शुभ लाभ मानसिक रोग रोग निवृत्ति शान्ति शान्त जीवन अशुभ आर्थिक उन्नति उन्नतिशील भविष्य
[45]
Page #47
--------------------------------------------------------------------------
________________
स्वप्न अंक-फल तालिका–
1
2 तैरना उड़ना स्कूल प्रपात परी उस्तरा
उन्नति लाभदायक यात्रा विशेषता प्राप्त हो धन लाभ रहस्यमयी उन्नति शुभागमन व्यापार में लाभ सुखमय समय उन्नति कार्य सिद्धि समृद्धि सौभाग्य
[46]
कैंची
आँसू
चिन्ता
यात्रा
सब्जी पत्नी
Page #48
--------------------------------------------------------------------------
________________
स्वप्न अंक-फल तालिका-10
3
4
1 2 101. अंगूठी
___अंगूठी खोना
धन लाभ धन हानि
102.
103.
अण्डा
सफलता
104
105
दस्ताने दस्ताने खोना शव यात्रा
106.
[47]
107.
दर्पण
108
दर्पण तोड़ना तीर चलाना
समृद्धि अवनति परिवार क्लेश प्रसन्नता लाभ प्रसन्नता हानि अभीष्ट सिद्धि गम समाप्ती कठिनाई धन लाभ
चावल
109. 110. 111. 112.
चक्की
आम
Page #49
--------------------------------------------------------------------------
________________
स्वप्न अंक-फल तालिका-11
12
3
113.
बादल
114.
पिंजरा
115.
पाखाना
116.
बिच्छु काटे
117.
118.
भैंसा
उन्नति कष्ट धन वृद्धि धन लाभ मुश्किल हल कठिनाई बढ़े कठिनाई अच्छा समय धन वृद्धि शत्रु कार्यरत् शान्ति
[48]
119.
120.
121.
ताबीज ताबीज खोना शराब पीना केंचुआ प्रार्थना पूजा
122
123.
124.
शान्ति
Page #50
--------------------------------------------------------------------------
________________
स्वप्न अंक-फल तालिका-12
1
2
3
125.
प्रसाद
126.
127.
प्रसाद बाँटना स्वर्ग नर्क
128.
129.
सीढ़ी
[49]
130.
सीढ़ी पर चढ़ना सीढ़ी से उतरना
लाभ शान्ति सुख शान्ति क्लेश उन्नति के अवसर उन्नति प्राप्त होगी अवनति दुर्भाग्य मृत्यु अशुभ उन्नति अवनति
131.
132.
मकान
133.
134.
मकान टूटना पहाड़ पहाड़ पर चढ़ना पहाड़ से उतरना
135.
6 अगले दिन भी ०
136.
Page #51
--------------------------------------------------------------------------
________________
स्वप्न अंक-फल तालिका-13
1
2
137
नाक
138.
नाक कटी
139.
प्याज
140.
तरक्की
141.
नाटक
142.
सम्मान लाभ मान-हानि धन वृद्धि . सफल योजना परिवर्तनशील भविष्य सुखद गृहस्थ सन्तान लाभ सम्बन्ध विच्छेद प्रेम सम्बन्ध धन लाभ मधुर मैत्री मनमुटाव
[50]
143.
144.
विमान शिशु नृत्य बिस्तर युवा सुन्दर स्तन कंगन अंगिया
145.
146.
147.
148.
Page #52
--------------------------------------------------------------------------
________________
स्वप्न अंक-फल तालिका-14
3
150.
151.
सुख लाभ समृद्धि प्रेम सम्बन्ध विवाह में विलम्ब सफल योजनाएं व्यापारिक सम्बन्ध व्यापारिक सफलता रोग नाश
153.
12. 149. दुल्हन
बटन
मोमबत्ती 152. प्रेम प्रस्ताव
साइकिल 154. हस्ताक्षर 155. साईन बोर्ड
साबुन
रोटी 158. रस्सी में लिपटना
शर्बत 160. गेंद
[51]
156.
सफलता
159.
उच्च स्थान मिले सुदृढ़ प्रेम व्यर्थ परेशानी
Page #53
--------------------------------------------------------------------------
________________
161.
162.
163.
164.
165.
166.
167.
168.
169.
170.
171.
172.
2
गोदी में बैठे
छोटा लड़का
छोटा लड़का जाना-पहचाना
छोटा लड़का गोदी में
छोटा लड़का अन्जान
पानी की धार
आग उठाना
आवाज सुनना
मुर्दा नंगा
लड़की
स्वप्न अंक- फल तालिका— 15
नाखून
नाखून
3
स्नेह वृद्धि
सुख
सन्तान सुख
धन-वृद्धि
क्लेश वृद्धि
शुभता
व्यर्थ व्यय भला होगा
पाप समापन
सुख
धनी धन से जाये
गरीब धनी हो जाये
+
t
4
4
)
S
99
99
[52]
Page #54
--------------------------------------------------------------------------
________________
स्वप्न अंक-फल तालिका-16
1
173.
174.
175.
2 बड़े नाखून नाखून काटना नाखून टूटना आग घर में स्वयं को जलता देखे तीतर
शत्रु हारेगा ऋण रोग मुक्ति विलम्ब से सफलता सरकारी धन लाभ असिद्धि सुखद सम्बन्ध
176.
177.
178.
[53]
eeees 9000809
179.
पाखाना
दुःख
पेशाब
180. 181.
चश्मा
अन्धा
अशुभ ज्ञान-विज्ञान बढ़े कार्य अवरूद्ध अनुकूल समय नहीं है मनोकामना सिद्धि
काना पसीना
Page #55
--------------------------------------------------------------------------
________________
स्वप्न अंक-फल तालिका-17
2
185.
आक
186.
187.
188.
189.
[54]
190.
देह कष्ट अच्छा समय धन लाभ अशुभ आदर व धर्म बढ़े आकर्षण बढ़े अशुभ हानि मैत्री बढ़े मान-सम्मान वृद्धि सम्मानोपाधि मान-हानि
युवा स्त्री युवा स्त्री से सम्भोग विधवा स्त्री गले में धर्म चिन्ह पहनना विधवा स्त्री से सम्भोग वृद्धा स्त्री वृद्धा से सम्भोग वृद्धा स्त्री से आलिंगन पढ़ना लिंग लिंग कटना
191.
192.
193.
194.
195.
196.
Page #56
--------------------------------------------------------------------------
________________
स्वप्न अंक-फल तालिका-18
1
197.
198.
199.
200.
2 बरसात (क्षेत्र पर) बरसात (अपने घर पे) बरसात में छाता नल बन्द नल चालू तेल पीना तेल मालिश मस्तक
201.
सुविधाएँ बढ़े हानि होगी समस्या निवारण सफलता में देर तत्काल सिद्धि दुर्बुद्धि रोग वृद्धि राज्य लाभ धन लाभ प्रमुखता पाये अभिलाषापूर्ण हो मित्रता हो
202.
[55]
203.
204.
205.
चरण
206. 207.
बातें करना चुम्बन देखना चुम्मा देना
208.
Page #57
--------------------------------------------------------------------------
________________
स्वप्न अंक-फल तालिका-19
3
209.
210.
212.
213.
12
चुम्मा लेना
बनियाईन 211. बनियाईन गंदी
बनियाईन उतारना फेनी खाना जाम पैमाना
दान लेना 216.
दान देना 217. दोस्ती करना
जामुन
समृद्धि प्राप्त हो सुखद दुःखद कार्य हानि मेहनत से धन वृद्धि सफलता लोकप्रियता धन हानि प्रतिष्ठा प्राप्त शुभ प्रसन्नता की बात लज्जा कार्य हो खुशामदों से सावधान
214.
[56]
215.
218.
219.
चादर
220.
चम्मच
Page #58
--------------------------------------------------------------------------
________________
स्वप्न अंक-फल तालिका-20
221.
12
चोली चोली पहनना चटनी
222.
223.
224.
चप्पल
225.
[57]
226.
अविवाहित कन्या सम्भोग वैराग्य पैदा हो दुःखद यात्रा प्रेमिका प्राप्त खुशी प्यार मिले समृद्धि धन लाभ उन्नति उच्च स्थान प्राप्ति शुभतादायक चिन्ताजनक
227.
चूमाचाटी चौखट दीपावली पेड़, पौधे पेड़ पर चढ़ना दरबार दरवाजा खुला दरवाजा बन्द
228
229.
230.
231.
232
Page #59
--------------------------------------------------------------------------
________________
स्वप्न अंक-फल तालिका-21
1
233.
234.
235.
पगड़ी बाँधना दीपक देखना तम्बू देखना चित्र नथनी सफेद नमक
236.
237.
उन्नति, समृद्धि प्रसिद्धि प्राप्त हो दीवानगी हो मिलन हो काम-सुख मिले खुशहाल समृद्धि सुखमय समय संकट संकट के बाद सुख सुख होगा संकट समाप्त
[58]
238.
239.
नदी
240.
नाला
241.
नदी या नाले में गिरना भीगना
242.
भागना
243. 244.
दादा (मृत हों)
प्रसन्नता
Page #60
--------------------------------------------------------------------------
________________
245.
246.
247.
248.
249.
250.
251.
252.
253.
254.
255.
256.
2
दादी (मृत हो)
चाचा
चाची
नाना
नानी
दोस्त
दुश्मन
प्रेमिका
प्रेमी
नौकरी मिलना
नौकरी छूटना
कुत्ता
स्वप्न अक-फल तालिका—22
3
लाभ
क्लेश हो
प्रतिष्ठा मिले
सद्भाव बढ़े
प्रेम प्राप्त हो
मिलन
धन लाभ
शीघ्र मुलाकात शीघ्र मिलन
व्यवसाय प्रारम्भ
अनुकूल नहीं है
शत्रु साक्षात्कार
4
)
(+
4
(9
2
2
(9
9
3
0
8
0
(
3
[59]
Page #61
--------------------------------------------------------------------------
________________
स्वप्न अंक-फल तालिका-23
2
257.
पिता
258.
माता
259.
260.
261.
262.
[09]
सुरक्षात्मक समय शान्ति समस्या समाधान दु:ख समाप्त धन लाभ परेशानी का अन्त मुफ्त का माल मिले इरादे पूर्ण हो आयु बढ़े उन्नति विघ्न के साथ लाभ कठिनता हो
मूंग (दाल) उड़द (दाल) मसूर (दाल) मोठ (दाल) कुलचा खाना कमान कफन कपड़ा बेचना कपड़ा धोना कुत्ता काटे
263.
266.
267.
268.
Page #62
--------------------------------------------------------------------------
________________
269.
270.
271.
272.
273.
274.
275.
276.
277.
278.
279.
280.
2
कुत्ता भौंके
कुत्ता झपटे
कुत्ता आज्ञा माने
कुत्ता तलवे चाटे
गिद्ध
इन्द्रधनुष
पैन
पत्र
कद लम्बा होना
कद घटना
शतरंज
रोगी
स्वप्न अंक- फल तालिका— 24
3
लोगों की छींटाकशी शत्रु हार जाये
शत्रु कहे में रहे
शत्रु मक्खन लगाये
प्रसन्नता मिले
दुःख समाप्ति
ज्ञान धन बढ़े
शान-शौकत बढ़े
क्षीण आयु
अपमान
व्यर्थ समय काटे
कष्ट मुक्ति
4
3
3
3
3
2
D
2 पर
2
3
[61]
Page #63
--------------------------------------------------------------------------
________________
1
281.
282.
283.
284.
285.
286.
287.
288.
289.
290.
291.
292.
2
राख
भगवान
जुबान
जुबान पर बाल जुबान बंधी
जुबान से कुछ गिरे
डण्डी बार-बार गिरे
डाकखाना
देगची
दौलत
सन्त
दस की संख्या
स्वप्न अंक- फल तालिका- 25
3
अशुभ
लाभालाभ
तेज तर्रार होगा
कष्ट
दुःखदायक
रोग पर नाम हो
भरोसे वाला दगा देगा
शुभ सूचना
पवित्र स्त्री से मित्रता
लाभ, स्त्री मित्र
भलाई के काम करे
अभीष्ट पूर्ति
4
(0
(9
(9
(9
(9
(1
(9)
2
[62]
Page #64
--------------------------------------------------------------------------
________________
स्वप्न अंक-फल तालिका-26
1
293.
294.
295.
296
2 तितली तितली पकड़ना तितली उड़ जाना सन्तान अदरक अमरूद अनानास अनार
291
[63]
298.
प्रेमिका दर्शन प्रेमिका प्राप्त हो प्रेमिका हानि सुख समृद्धि हो ख्याति मिले कठिना से लाभ कष्ट के बाद सुख धन मिले अकारण कष्ट हर तरफ सफलता कहासुनी होगी यात्रा, कार्य सफल
299
300. 301. 302.
अन्न
303.
अंगूर (श्वेत) अंगूर (काले) इन्जन
304.
Page #65
--------------------------------------------------------------------------
________________
स्वप्न अंक-फल तालिका–27
1
305.
.
307.
309.
310.
2 वायदा करना परीक्षा पास इत्र फुलेल लगाना ईंधन प्रभु दर्शन इमारत उल्टे कपड़े पहने कूदना रास्ता ऊबड़-खाबड़ नेता (प्रसत्र) नेता की मृत्यु भाई
झूठा वायदा न करे काम पूर्ण होगा ख्याति मिले . गुनाह करे खुशियाँ मिलें सेठ बने जग हँसाई हो उन्नति परिश्रम से सफलता क्लेश समाप्ति अच्छे कानून बने भाई की आयु वृद्धि
[64]
311.
312. 313. 314.
315.
316.
Page #66
--------------------------------------------------------------------------
________________
स्वप्न अंक-फल तालिका-28
1
.
317.
318.
319.
320.
321.
2 भाभी पाँव (स्त्री) पाँव (पुरुष) पाउडर लगाना पांसा पांसा फेंकना पतंगा एक पाया टूटना पूरी परिक्रमा सारंगी बजाना सितारे देखना
[65]
भतीजे का जन्म प्यार में मजा मिले शत्रुता हो प्रेम सम्बन्ध बढ़े संघर्षरत संघर्ष समाप्त दुःख पाये मित्र हानि सुख-शान्ति हो भक्ति करेगा वेश्या भोग राज्य कृपा से लाभ
324.
८.
326.
327.
328.
Page #67
--------------------------------------------------------------------------
________________
स्वप्न अंक-फल तालिका-29
37
332.
333.
2 दातुन करना दाल चीनी दलाल पराँवठा
घोड़ी - घोड़ी का दूध पीना
मुर्दे को नहलाना हँसना वन देखना पेड़-पौधे देखना छत्र देखना छत्र देना
[99]
खुशी मिलेगी पली का प्रेम लाभ जीवन ध्येय वृद्धि सुखद समाचार से हर्ष सुखद सम्बन्ध सुखी होगा उपकार करेगा प्रसिद्धि मिले राज्य प्रतिष्ठा लाभकारी समय अभिलाषा पूर्ण अपूर्ण अभिलाषाएँ
335.
336.
337.
340.
Page #68
--------------------------------------------------------------------------
________________
स्वप्न अकफल तालिका-30
छत्र पाना पते देखना
343
समुद्र
344
345.
346.
7.. 348.
[29]
3 . शीघ्र मनोकामना पूर्ण सम्मान हो पराकाष्ठा की सफलता विघ्न सफलताएँ ज्योतिषी बने सुरक्षात्मक भविष्य दुःखद स्थिति मित्रता नाशक सौभाग्य दुर्भाग्य वैराग्य जागे
रात देखना दिन देखना पंचांग देखना छत देखना दर्जी पत्थर देखना पत्थर फेंकना पत्थर पाना नहाना
"349.
350. .
351.
352.
Page #69
--------------------------------------------------------------------------
________________
स्वप अंक-फल तालिका-31
1 353.
354.
3 . दुःख समाप्ती उन्नति उन्नति, सुख हो उन्नति सुख मिले उन्नति सुख हानि
355.
356.
357.
2 झरना देखना झरना में नहाना सिंहासन देखना सिंहासन पाना सिंहासन देना भूकम्प देखना प्रकाश देखना
दीवार देखना . टोपी देखना .
सुपाड़ी देखना स्वास्तिक देखना स्वास्तिक पाना
[89]
358.
कष्टप्रद
359: 360. 361..
साधना साधुता बढ़े सम्मानित हो विशेष पात्र से मित्रता रोग नाशक धन सौभाग्य वृद्धि उन्नतिशील भविष्य
362.
363.
364.
Page #70
--------------------------------------------------------------------------
________________
स्वनअक-फलतालिका-१०
365.
366.
.
368.
अवनति उन्नति सौभाग्य उन्नति शोक दुःख असफलता खेदजनक
369.
2 स्वास्तिक खोना चौपड़ खेलना स्त्री चौपड़ खेले जुलाहा बढ़ई चमार मोची शूद्र स्त्री शूद्र स्त्री से मैथुन नील कण्ठ सारस पलंग
370.
[69)
371.
कष्ट
372. 373.
374.
कष्ट, मानहानि सफलताएँ उन्नति
375.
376..
ऐश्वर्य
Page #71
--------------------------------------------------------------------------
________________
स्वप अंक-फल तालिका–33
-
3
377
378.
लिंग छेदन योनि छेदन जिह्वा छेदन
379.
बन्दर
380. 381.
382.
धन लाभ सम्पत्ति लाभ अधिकार प्राप्ति सम्मानित पात्र से सम्बन्ध • शारीरिक गुप्त मित्रता
पदोन्नति उन्नतिकारक यात्रा मित्रता दायक कष्टता अशुभ मैत्री लाभ उन्नति धन लाभ
[70]
स्नान कक्ष गुम्बद प्रेमालाप टेलीफोन करना टेलीफोन सुनना टेलीफोन व्यर्थ
..........
383.
385.
386.
387
हाथ
388.
अंगुलियाँ (जुड़ी हों)
जितनी जुड़ी हों
Page #72
--------------------------------------------------------------------------
________________
स्वप्न अंक-फल तालिका-34
1
जितनी फैली हों
390.
394.
2 अंगुलियाँ (फैली हो) अवनति तथा व्यय लाल रंग
रोग नाश होगा । हरा रंग .
शान्ति व धन लाभ पीला रंग
देश, ईष्या से हानि काला रंग
अशुभ नारंगी रंग
लाभकारी भविष्य सफेद रंग
सुख, शान्ति, उन्नति नीला रंग
संघर्ष से लाभ सिन्दूरी रंग
साहस सौभाग्य बढ़े लाल और हरा रंग व्यवसाय उन्नति हरा और काला रंग धन हानि काला और सफेद रंग . समस्या उत्पन्न
[71]
395.
396. 397.
398.
399.
Page #73
--------------------------------------------------------------------------
________________
स्वप्न अंक-फल कालिका-35
-
1
-
401.
402.
403.
समस्या समाधान
समृद्धि दायक . सर्वश्रेष्ठ सफलता
असफलता, हानि धन लाभ
404.
405.
2 लाल और नीला उड़ते पक्षी पक्षी ही पक्षी पक्षी मरे माला . पुष्प मच पाना मन्त्र जपना वीणा सरस्वती लक्ष्मी पार्वती
[72]
406.
प्रसत्रता
407.
408.
शान्ति सफलता धन लाभ उत्तम भविष्य
A09.
___410.
411. 412.
धन लाभ
प्रसत्रता
Page #74
--------------------------------------------------------------------------
________________
स्वप अंक-फल तालिका-36
1
2
दुर्गा
3 . रोग शत्रु नाश आध्यात्म लाभ शान्ति भक्ति लाभ
414.
415.
काली शिवब्रह्मा
416.
प्रसन्नता
417.
विष्णु
418.
73]
419.
420.
हनुमान राम कृष्ण राधा सीता
सफलता रोग शत्रु नाशक सौभाग्य दायक प्रेम सौभाग्य प्राप्ति आनन्द प्राप्ति कष्टोपरान्त सिद्धि धन लाभ निश्चय लाभ
421.
422
मश
ताश का दहला
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________________
स्वप्न अंक-फल तालिका–37
2
425.
426.
428.
429.
430.
[74]
ताश की दुग्गी ताश का चौग्गा ताश का एक्का ताश का छक्का ताश का अट्ठा ताश का नौक्का ताश की सत्ती ताश का तिग्गा ताश का पंजा ताश का गुलाम ताश की बेगम ताश का बादशाह
असमंजस कठिनता से सफलता अधिकार लाभ प्रेम सम्बन्ध बनें संघर्ष साहस बढ़े बनते कार्यों में विघ्न व्यापारिक सफलता सूझबूझ बढ़े चमचागीरी बढ़े अधिकार लाभ मान-सम्मान प्राप्त
41
.
ताराका
435.
436.
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________________
437.
438.
439.
440.
441.
442.
443.
444.
445.
446.
447.
448.
2
अपनी स्त्री से दुग्धपान दुग्धपान
दूसरी स्त्री से
दूध (भेड़)
दूध (गाय)
दूध (बिल्ली)
दूध (कुत्ता)
दूध (ऊँट)
दूध (शेर)
दूध (भेड़िया)
दूध (सूअर) दूकान देखना
दुकान करना
स्वप्न अंक- फल तालिका— 38
3
प्रेम स्नेह बढ़े कष्ट होगा
रोग होगा
प्रसन्नता, सफलता
हानि होगी
शत्रुता होगी
लाभ मिलेगा
सुख होगा
शत्रुता होगी
कष्ट सहेंगे
सम्मानित होंगे
प्रतिष्ठा लाभ
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9
9
[75]
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________________
स्वप्न अंक-फल तालिका–39
• 1
449.
452. 153.
2 दुकान बेचना दुकान खरीदना दुकान खुली दुकान बन्द धमाका माणिक्य देखना मोती देखना पत्रा देखना पुखराज देखना हीरा देखना मूंगा देखना नीलम देखना
मान-हानि धन व नाम लाभ सौभाग्य दुर्भाग्य संकट अधिकार उन्नति शान्ति लाभ धन लाभ द्वेष होगा प्रेम सम्बन्ध, धन रोग, शत्रु नाश शीघ्र उन्नति
[76]
हा
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________________
स्वप्न अंक-फल तालिका-40
462.
2. गोमेद देखना लहसुनिया देखना लाजर्वत देखना फिरोजा देखना चीनी
A63.
464
465.
[LL]
466.
चाय
समस्या घटे या बढ़े विघ्न समाप्त मान होगा व्यापार करेंगे हराम का धन लाभ मित्र धन लाभ सुख समृद्धि बढ़े सफल यात्रा सफल व पूर्ण यात्रा यात्रा स्थगित लाभदायक यात्रा कष्ट व हानि युक्त यात्रा
चूजा
468.
469.
470.
चौराहा देखना चौराहे पर जाना चौराहे से आना चौराहा(प्रकाशमान) चौराहा अँधेरे में)
471.
472.
TEIT
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________________
स्वप्न अंक-फल तालिका-41
1
474.
2 चार दीवारी चार दीवारी (उजाले में) चार दीवारी (अँधेरे में) चार दीवारी (बड़ी) चार दीवारी(छोटी) हाथी काला हाथी श्वेत हाथी सुन्दर हाथी हाथी पर चढ़ना घोड़ी देखना घोड़ी पर बैठना
धन जन सुरक्षा धन जन लाभ धन जन हानि धन जन बढ़े व सुरक्षित धन जन असुरक्षित मान भंग अशुभ
[8L]
शुभ
8
मैत्री लाभ पदोन्नति गोपनीय प्रेम सम्बन्ध विताह या प्रणय सम्बन्ध
पर
6
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________________
स्वप्न अंक-फल तालिका-42
-
A85.
486.
488.
489.
12
घोड़ा चित्तकबरा घोड़ा काला घोड़ा
घोड़े पर चढ़ना - घोड़े से उतरना
घोड़े से गिरना लोमड़ी देखना लोमड़ी पकड़ना लोमड़ी मारना लोमड़ी मृत
मुर्गा देखना 496. मुर्गी
490.
साहस वीरता करेगा
शत्रु हानि सम्मान लाभ . पदोत्रति
उच्च पद प्राप्त स्थानच्यूति स्थान, मान भंग धोखेबाज मिलें सम्मान लाभ क्लेश शान्ति शत्रु को कष्ट व्यवसाय लाभ प्रेम प्रणय स्थापना
[79]
491.
492.
-
493.
494.
495.
Page #81
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________________
स्वप अंक-फल तालिका-43
1
498.
पर
०
499. 500.
501.
2 मुर्गा काटना मुर्गी काटना गाय मोटी देखना गाय दुर्बल देखना बैल मोटा बैल दुर्बल चश्मा लगाना धुंआ देखना हथिनी देखना हथिनी पर चढ़ना हथिनी से दुग्धपान चीखना
502.
व्यवसाय हानि यौन सम्बन्ध धन लाभ कष्ट होगा स्वास्थ्य लाभ रोग जनित है विद्वता बढ़े कष्टप्रद समय सौभाग्य जाग्रत पदोन्नति मान सम्मान उन्नति
[80]
503.
504.
505.
.
U
508.
संकट
Page #82
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________________
स्वप्न अंक-फल तालिका-44
1
509.
510. 511.
512.
513.
2 पशु पकड़ना पुश छोड़ना भूत देखना
प्रेत देखना - चुडैल देखना
सती देखना टोना टोटका हुद हुद देखना हुद हुद पकड़ना हुद हुद छोड़ना हथकड़ी किसान
514
[18]
नवीन कार्य आरम्भ कार्य स्थगित दुःख होगा क्लेश प्राप्ति विपरीत कार्य शान्ति मिले विघ्न बाधाएँ सरकारी पद प्राप्त पद प्रतिष्ठा लाभ अवनति अशुभ अभिलाषा सम्पत्र
515.
516. 517.
518. 519.
520.
Page #83
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________________
स्वप्न अंक-फल तालिका-45
521
- धन, प्रतिष्ठा प्राप्त
अप्रतिष्ठा अल्प लाभ लाभ मिलेगा हानि होगी अधिक लाभ
524.
525.
[28]
526.
दीनार पाना दीनार देना रीठा देखे रीठा ले ले. रीठा दे दे रीठों का ढेर बहीखाता देखना बहीखाता लिखना बहीखाता फाड़ना बहीखाता देना फानूस देखना फानूस प्रकाशमान
व्यापारी बने
527.
529.
530.
लेन-देन में प्रगति व्यापार में हानि व्यापार समाप्त सुख शान्ति मिले उत्तरोत्तर प्रगति
531. 532.
Page #84
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________________
स्वप्न अंक-फल तालिका-46
534.
535.
536.
537.
फानूस अँधेरा मन्दिर मस्जिद गुरुद्वारा चर्च . महाभारत (ग्रन्थ) गीता (ग्रन्थ) कुराने मजीद गुरू ग्रन्थ साहिब . बाईबिल रामायण वेद
कष्ट, हानि शुभ कर्म करे समस्याएं सुलझेंगी ज्ञान लाभ होगा शान्ति मिलेगी कोई गलत कार्य होगा पाप क्षमा हुए सुख, शान्ति, धर्म बढ़े धर्म-कर्म में रुचि हो ज्ञानोदय होगाथोड़ा संघर्ष, फिर लाभ वैराग्य उपजे
[83]
540.
...
541.
542
243.
544.
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________________
स्वप अंक-फल तालिका-47
-
1 545. 546...
54!.
548.
549.
2 उपनिषद् फूल. फल . रेलवे स्टेशन शैतान देखना शैतान से लड़ना शैतान से प्रेम शैतान पे क्रोध करोंदा (कच्चा) करोंदा (पक्का) कुकरमुत्ता कम्बल
550.
तर्क बुद्धि बढ़े धन लाभ पुत्र लाभ लाभदायक यात्रा दुःख मिले सुख प्राप्ति धन-मान हानि धन-मान प्रतिष्ठा परिवार से कलेश परिवार से सुख खेद शोक की हानि स्वास्थ्य लाभ
[84]
551.
55
553.
554.
555.
556.
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________________
स्वप अंक-फल तालिका-48
1 557.
558.
560
561.
562.
2 बिल्ली (पीली) बिल्ली (काली) बिल्ली (सफेद) बिल्ली (चित्तकबरी) बिल्ली (केसरी) तिराहा तिराहे पर जाना तिराहे से हटना राष्ट्रपति प्रधानमन्त्री मन्त्री सिपाही
प्रतिकूल समय अनुकूल स्थिति बने लाभ प्राप्त हो कार्य संवरे सौभाग्यशाली हो गलत कार्य हो लड़ाई-झगड़ा हो झगड़े फसाद से बचे ऊँचे स्तर की उन्नति सर्वोच्च अधिकार प्राप्त मान-सम्मान लाभ अनधिकृत कार्य करे
[85]
563.
64
566.
567.
568.
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________________
1
569.
570.
571.
572.
573.
574.
575.
576.
577.
578.
579.
580.
2
सैनिक
अध्यापक
अध्यापिका
धन
नोट
सिक्के
पर्स
गर्भ प्रवेश
पक्षी काटे
पत्थरों की वर्षा
खून की वर्षा
राजा का आलिंगन
स्वप्न अंक- फल तालिका 49
3
साहस बढ़ेगा
ज्ञान बढ़ेगा
ज्ञान शान्ति लाभ
चुस्ती-फुर्ती बढ़े
उद्यमी हो
आलस प्राप्त गुप्त कार्य
विपत्तियाँ
अकाल मृत्यु भय
राष्ट्र में संकट
राष्ट्र में दुर्भिक्ष
अभिलाषा पूर्ति
4
9
8
0
9
9
0
0
D
O
9
(9
3
[98]
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________________
581.
582.
583.
584.
585.
586.
587.
588.
589.
590.
591.
592.
2
मन्त्री का आलिंगन
दोस्त का आलिंगन
मृत का आलिंगन
शास्त्रों का पाठ करना
चहचहाना
गाना
चोर देखना
चाकू
गदा
चक्र
तराजू
त्रिशूल
स्वप्न अंक- फल तालिका- 50
3
अधिकार लाभ
सौभाग्य लाभ
भयकारक
विद्या विभूति बढ़े
क्लेश मिले
खेद हो
हानि हो
रोग हानि
भूमि लाभ
संकट समाप्त व्यापार प्रवेश
शत्रु व रोग हानि
93
9
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O
9
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4
4
"
4
3
)
4
[87]
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________________
स्वप्न अंक-फल तालिका-51
2
593.
594.
नाभि स्तन पृथ्वी
595.
596.
चूहा
597.
पहिया
598.
तौलना
[88]
धन लाभ धन लाभ उन्नति हो व्यापारिक उन्नति, स्त्री धोखा दे उन्नति होगी समृद्धि सम्मानित होगा गृहस्थ सुखी पदोन्नति स्वास्थ्य लाभ पारिवारिक सुख पदोनति
599
600.
601.
पदक केतली कुर्सी चिकित्सक पालना (झुले वाला) पदाधिकारी
602.
603.
604.
Page #90
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________________
स्वप्न अंक-फल तालिका-52
608.
610.
12 605... उद्योगपति 606. बौना देखना 607. ___ बौनी देखना
वसीयत 609. पुस्तकालय
वसीयत लिखना
चुकन्दर 612.
अजान चुंगी देना चुंगी लेना चौकी चुटिया
. 3 सामाजिक उन्नति शुभ दिवस आए अच्छे दिन प्रारम्भ . धन लाभ सहयोग लाभ व सिद्धि आयु समाप्त धन लाभ मुश्किलें समाप्त सुख विदा सौभाग्य धन लाभ दुःखद
[68]
611.
613.
614.
615.
616.
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________________
स्वप्न अंक-फल तालिका-53
1
617. 618. 619.
पानदान पेशाब करती स्त्री
छड़ी
620.
621.
[06]
622.
सहयोग व सहायता मिले काम बढ़े, प्रेम मिले शत्रु को हानि, सुख व सहयोग से उन्नति अविवाहित से प्रेमालाप मस्ती करे व मुफ्त का धन मिले महान उन्नति प्रसत्रता रहे सफलता व विदेश ोत्रा क्लेश समाप्ती प्रेमिका मिले विदेशी धन लाभ मस्ती का समय है
63.
नमकदानी जिन पीना पेशाब से धुंआ उठे जलजीरा पीना विमान देखना न्यायधीश युवती की जीभ चूसना जहाज की उड़ान देखना खेल खेलना
624.
625.
626.
621.
628.
Page #92
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________________
629.
630.
631.
632.
633.
634.
635.
636.
637.
638.
639.
640.
2
योगिनी देखना
योगी देखना
चील
छींकना
युवती को चूमना स्त्री का हँसना
पृथ्वी खोदना
रद्दी देखना
स्तन से दूध निकलना
पक्षियों का जोड़ा
नवविवाहित जोड़ा
चर्बी खाना
स्वप्न अंक- फल तालिका— 54
3
प्रेमिका है तो वियोग, नहीं है तो प्राप्त पूजा-पाठ में ध्यान लगे
बदनाम होगा
कार्य असफल होंगे
प्रेम लाभ बदचलन होगा
कठिनाई से लाभ कबाड़ के काम से लाभ
प्रेम प्यार मिलेगा
ज्ञान-विज्ञान बढ़े
लाभ व सफलता
रोग भय
4
0 9
8
4
6
4
9
9
"
O
O
9
4
[91]
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________________
1
641.
642.
643.
644.
645.
646.
647.
648.
649.
650.
651.
2
पताका
हाथ के बने चित्र
प्रेस के छपे चित्र
मन्दिर का पुजारी
बत्तख
तैरती बत्तख
उड़ती बत्तख डुबकी लगाती बत्तख नक्शा देखना
स्वप्न अंक- फलं तालिका-55
प्रतिबिम्ब पति का दर्पण में
प्रतिबिम्ब अपना दर्पण में
3
मान-सम्मान बढ़े
अविश्वासी मित्रता हो
प्रतिष्ठा हानि
क्लेश मिले
उन्नतिकारक अवसर
व्यापारिक उन्नति
धन लाभ
शोचनीय स्थिति
लम्बी व लाभदायक यात्रा
अशुभ परिस्थितियाँ अनुकूल नहीं है
5
4
"
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8
[92]
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________________
मृत आत्माओं से सम्पर्क और अलौकिक साधनायें
लेखक : तांत्रिक बहल
तन्त्र क्षेत्र में की जा रही व्यापक खोजों से हम आश्चर्यचकित अवश्य हो जाते हैं लेकिन वह अभूतपूर्व नहीं है।
ज्योतिषीय और विज्ञान के ज्ञान से आकाश को नापा जाता है तो पदार्थ व तत्व की सूक्ष्म अवस्था और
प्रकृति से अध्यात्म ने तन्त्र ने अन्तश्चेतना को जगाकर, साधनाएँ करके अनेकों उपलब्धियाँ पाईं। हमारे
प्राचीन ग्रन्थों में लुप्त हो चुकी कुछ ऐसी ही शीघ्र सिद्धि प्रदान करने वाली साधनाएँ खोजकर लाये हैं जाने-माने
तांत्रिक बहल | आप इस पुस्तक में एकत्रित सामग्री को और लेखक के अनुभव को पढ़कर समझ सकेंगे
कि उन्होंने इस विषय में कितने गहरे पैठकर यह सब कुछ पाया और कितनी लगन से संजोकर आपके लिए प्रस्तुत किया है।
तांत्रिक बहल की अन्य चर्चित पुस्तकें
1. राशिफल और लाटरी
2. गोरख तन्त्र
3. मुस्लिम तन्त्र
4. सौन्दर्य लहरी (100 यन्त्रों और व्याख्या सहित)
प्रकाशक
रणधीर प्रकाशन, हरिद्वार
Page #95
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रत्न और रुद्राक्ष लेखक : तांत्रिक बहल
प्रत्येक वस्तु वह चाहे निर्जीव हो या सजीव, धातु हो, द्रव्य हो या गैस हो उसका मानव शरीर की रक्त संचार व्यवस्था पर प्रभाव पड़ता है । शरीर की रक्त संचार प्रणाली ही मनुष्य के क्रिया कलाप, विचार शक्ति और उसकी ऊर्जा को प्रभावित करती है । शरीर का नियन्त्रण और नियोजन करने वाले इसी वैज्ञानिक सिद्धान्त के कारण मनुष्य पर रुद्राक्ष और रत्नों का भी प्रभाव होता है । प्रत्येक मनुष्य की संरचना भिन्न-भिन्न होती है अतः उसी के अनुसार रत्नों और रुद्राक्ष का मेल बैठता है। इसी तालमेल की वैज्ञानिक विधि पर यह 'रत्न और रुद्राक्ष' प्रस्तुत की जा रही है । प्रत्येक व्यक्ति इससे तदनुकुल लाभ उठा सकता है।
1
टोटके और मन्त्र
लेखक : तांत्रिक बहल
टोटके - नियमित और परम्परागत ऐसी क्रियाएं जिनके संतुलित, समयबद्ध और निरन्तर प्रयोग से जटिल समस्याओं का निराकरण एवं असम्भव कार्य को सरल तथा सम्भव बनाया जा सकता है ।
मन्त्र - पूर्ण श्रद्धा और विश्वास से नियम पालन करने पर फलदाई होते हैं। इसमें बेतुकी क्रियायें भी नहीं करनी पड़ती तथा सरलता से जाप करके उपयोगी प्रयोग कर सकते हैं ।
सुखी जीवन के लिए - सामान्य जन जीवन में प्रयोग करके जिन टोटके और मन्त्रों से लाभ प्राप्त किया जा सकता है उनका जांचा-परखा संकलन तांत्रिक बेहलकी ओर से।
प्रकाशक
रणधीर प्रकाशन, हरिद्वार
Page #96
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________________
- अंक ज्योतिष लेखक: योगीराज यशपाल जी
यह पुस्तक अपने आप में नवीनता संजोये हुए है । अंक ज्योतिष
पर अनेकों पुस्तकें देखी होंगी पर अभी तक ऐसी पुस्तक प्रकाशित ही नहीं हुई। इसमें कही गई प्रत्येक बात
कड़े परिश्रम तथा अनुभव का निचोड़ है। इसमें भाग्य को अनुकूल बनाने के अनेक उपाय कहे गए हैं।
योगीराज यशपाल 'भास्ती' ने अनेक पाठकों की आवश्यकताओं को समक्ष रखकर इस पुस्तक का लेखन किया है।
इनका कहना है कि इस पुस्तक में की गई सभी बातों के अनुसार विचार और आचरण किया जाये तो भाग्य
को अपने आप अनुकूल कर सकते हैं !
भाग्य और आपके
मध्य 'अंक ज्योतिष पढ़ करके लाभ उठायें।
प्रकाशक रणधीर प्रकाशन, हरिद्वार
Page #97
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________________
शकुन अपशकुन का विचार
लेखक : योगीराज यशपाल जी
शकुन विषय पर पहली बार एक प्रामाणिक पुस्तक प्रस्तुत की गई है।
इसमें कहे गये शकुन तथा अपशकुन अपना पूर्ण प्रभाव रखते हैं । अत: इन्हें अपने जीवन में उतार कर जीवन में किये
- जाने वाले सभी कामों को सफल बनाएँ । अत्यन्त्र हर्ष की बात तो यह है कि अशुभता निवारण उपाय भी प्रस्तुत किये
गये हैं। योगीराज यशपाल 'भारती' की सशक्त लेखनी तथा अनुभवों का प्रस्तुतिकरण है। 'शकुन अपशकुन
विचार' इसे पढ़कर अवश्य लाभ उठाएँ।
योगीराज यशपाल भारती' के अन्य प्रकाशन1. सिद्ध विद्या : स्वरोदय विज्ञान 2. सिद्ध शाबर मन्त्र 3. संजीवनी विद्या : महामृत्युंजय प्रयोग 4. मन्त्र रामायण
प्रकाशक
रणधीर प्रकाशन, हरिद्वार
Page #98
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________________ श्री यशपाल जी संस्थापक एवं प्रबंध निर्देशक तंज्योति गुह्यविद्या साधन एवं अनुसंधान केंद्र हरिद्वार आद्यानन्दं यशपाल 'भारती' ने जो पराविज्ञान की ज्वाला प्रज्जवलित की वह समस्त भारत से होती हुई विदेशों तक जाकर जनमानस को गुह्य विद्या का ज्ञान प्रदान कर रही है। नित्य नूतन विषय-वस्तु की सुरम्य सुगन्धि के साथ इनके द्वारा निःसृत ज्ञान अपने आप में एक अमूल्य निधि है / ज्ञान के सागर यशपाल जी के बारे में कह सकते हैं कि इनका सृजित साहित्य निर्मल व मीटे जल की तरह से आप चिर / निर्मित ज्ञान का झरना सदै ,न्धिस्य ज्ञानांजन शलाक्य" की 5.............. हरिद्वार