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[21] हो? अगले दिन लाठी का एक अंक खुला। चूँकि लाठी बीचों-बीच से पकड़ी हुई थी अत: दूसरे दिन भी एक अंक खुला।
प्रश्न उठता है कि यह स्वप्न है क्या? यद्यपि मैं पूर्व के पृष्ठों में इस विषय पर वार्ता कर चुका है। माना जाता है कि स्वप्न का कारण कोई उत्तेजना है पर यह उत्तेजना दो व्यक्तियों में एक समान नहीं पायी जा सकती है। जो मैंने स्वयं अनुभव किया है और अन्य लोगों को समझकर जान पाया हूँ वह केवल यही है कि शरीर के अन्दर कोई ऐसी शक्ति है जो जब चाहे शरीर से निकल जाती है और जब चाहे पुन: प्रवेश कर जाती है। यह इस प्रकार की शक्ति है कि दीवारों से बाहर चली जाती है। वातावरण में उड़ती फिरती है, तैरती रहती है पर किसी को भी दिखाई नहीं पड़ती है। तात्रिक अभिक्रियाओं के द्वारा इसे पकड़ा जाता है।
इसे सूक्ष्म-प्राण भी कहें तो अतिश्योक्ति न होगी क्योंकि एक बार एक व्यक्ति ने स्वप्न देखा कि वह घड़ा देख रहा है और उसकी तरफ उड़कर जा रहा है । बस इतना-सा ही । पर एक नाटक हो गया, प्रात: सब जग गये पर वह सोये जा रहा है । उसको हिलाते हैं, पुकारते हैं तो वह उत्तर भी नहीं दे रहा है । वह मृत भी नहीं है उसके श्वास चल रहे हैं। प्रश्न तो होना ही था कि उसे क्या हुआ है ?
चिकित्सक को बुलाया गया और उसने बताया कि यह बेहोश है। उसने थपथपाकर देखा और फिर पानी माँगा। वहीं पास में घड़ा रखा था। उसकी स्त्री ने घड़े का ढक्कन हटाया और पानी निकालने लगी पर उससे पहले ही वह ‘हरि ऊँ' कहता हुआ उठ बैठा। ___ सब उसे आश्चर्य से देखने लगे पर रहस्य समझ में नहीं आया। इतने में भीतर से माता जी आकर बैठी और उन्होंने कहा कि बहू । इस घड़े का पानी बदल देना क्योंकि रात को मैं जब यहाँ आई थी तब इसका ढक्कन हटा हुआ था। मैंने वापिस ढक तो दिया था पर फिर भी जल बदल देना।