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[33] हा गया मन्त्र किसी ग्रहण के अवसर पर निरन्तर जप लें। ग्रहण की गई ड़ें मन्त्र पाठ करते हुए लाल धागे से लपेटकर धारण कर लें। प्रतिदिन त्र की एक माला जपते रहें । कर्ण-पिशाच का मन्त्र निम्नलिखित है
ऊँ नमो भगवते रुद्राय
कर्ण-पिशाचाय स्वाहा॥ अब मन्त्र विषय का समापन करते हैं और यह स्पष्ट कर देना गवश्यक है कि उपरोक्त कहे गये नियमों से आठवें प्रकार के स्वप्न का पर्माण आप कर सकेंगे। प्राय: साधकों ने इनका प्रयोग करके देखा है। छ लोगों ने इनसे निरन्तर लाभ उठाया है और कुछ अपवाद स्वरूप धन सफल होने पर भी तब विफल हो गये जब उन्होंने स्वयं को लाभ दान करने का प्रयास किया।