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[10] जीव तो प्रतिदिन स्वप्न देखता है जिसमें से सभी स्वप्न शुभ नहीं होते हैं। तो क्या रोज ही जप करवाया जाता? पर क्या किया जाये? यह तथाकथित पंडित जानते हैं कि अमुक देवता का स्मरण व नाम लेने से ही स्वप्नों की अशुभता समाप्त हो जाती है परन्तु किसी को बताते ही नहीं हैं क्योंकि दुकानदारी भी तो है। खैर, मुझे इन पंडितों से मतलब नहीं है कि वह क्या करते हैं और क्या नहीं करते? मुझे तो आपसे मतलब है कि आप क्या करते हैं?
श्रीमान जी ! आपको प्राचीन पद्धति से हटाने का मेरा कोई ध्येय नहीं है। मैंने तो केवल ध्यान दिया कि स्वप भविष्य-विषयक सूचनाओं के
अतिरिक्त भी बात कहते हैं। यह टि मझे अनुभव करवाती थी कि इस विषय पर कार्य करना होगा और फिर मैंने इसके ऊपर विचार करना प्रारम्भ कर दिया। कुण्डिलिनी-जागरण के अभ्यास के समय अचानक भीतर से प्रेरणा हुई और फिर मुझे एक दिशा मिल गई, जिसके ऊपर मैंने कुछ कार्य किया। कुछ लोगों को मैंने इस विषय के संकेत भी दिये और मैं यह देखकर आश्चर्य में पड़ गया कि वह संकेत लोगों ने कहीं के कहीं पहुँचा दिये। यह भी देखा कि लोग संकेतानुसार कार्य कर रहे हैं और बहुत से लाभ भी उठा रहे हैं।
अब विचार बना कि उक्त संकेत ठीक थे, जिन्हें कि अब परिष्कृत करना शेष था। इसके अतिरिक्त जन-साधारण तथा विशेष को भी यह बताना था कि स्वप्न की परिभाषा में एक और अर्थ होता है जो कि अब प्रभु कृपा से समझ में आया है। परिणाम स्वरूप इस पुस्तक का लेखन सम्भव हुआ है। . इस पुस्तक में सर्वप्रथम स्वप्न-विज्ञान की बात कही है कि स्वप्न क्या होते हैं? स्वप्न क्यों आते हैं ? स्वप्प क्या कहते हैं? स्वप्नों की जड़ में
- • -- पा से होते हैं स्वप्न सषप्तावस्था में ही क्यों