Book Title: Swapna Siddhant
Author(s): Yogiraj Yashpal
Publisher: Randhir Prakashan

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Page 37
________________ [36] मिली । अतः शून्य व आठ पर खेल हुआ। अगले दिन आठ का अंक विजयी हुआ । पर स्वप्नांक अभी शेष है। वह जा रहा था कि उसे एक व्यक्ति मिला और नानक की बातें करने लगा। आठ के दूसरे दिन नौं का अंक विजेता हुआ । आप इसे कोई उलझने वाला खेल मत समझिये यद्यपि यह रहस्य बहुत ही सूक्ष्म है फिर भी मैं समझता हूँ कि अब बहुत लोग इस विषय पर ध्यान देने लग गये हैं । मैंने सन् 1980 में कई लोगों को इस स्वप्न गणित का संकेत दिया था तब से लेकर अभी तक इसने बहुत उन्नति की है इसकी प्रबलता व सूक्ष्मता को देखते हुए प्रत्येक व्यक्ति को यह ज्ञान देने के निमित्त इस पुस्तक की रचना की गई है। I आपको अपने स्वप्नों व आने वाले कल के अंकों पर थोड़ा-सा परिश्रम करना पड़ेगा, यह समझने के लिये कि आपके स्वप्न किस प्रकार से अंक बना रहे हैं और कौन-सी लाटरी में पुरस्कार दिलवा रहे हैं। यह अध्ययन भी आप एक सप्ताह या दस दिनों में कर लेंगे । इस मध्य आपको आगे दी गई स्वप्न समीक्षांक से सहायता प्राप्त करके अंकों को समझना होगा। आपको बड़े ही ध्यान से सोचना होगा कि स्वप्न में कौन-सी चीज विशेष बन रही है। किसी के ऊपर वाली चीज वर्तमान अंक बनती है। एक व्यक्ति ने स्वप्न में लाटरी का टिकट लिया। उसका इनाम निकला । उसे पाँच हजार रुपये मिले। उसने एक हजार तो जेब में रख लिये । शेष चार हजार के दो हिस्से करके दो हजार तो भगवान को चढ़ा दिये और दो हजार रुपये हाथ में लेकर सोचने लगा कि इसका क्या करूँ ? 1 आप देख रहे हैं कि इसके कितने अंक बनते हैं परन्तु भाव क्या है ? इसे देखेंगे तो दो का अंक शेष बचता है। दूसरे दिन दो तारीख को दो का अंक विजयी हुआ था । एक ब्याहता स्त्री ने देखा कि उसके घर में दीपक ही दीपक जल रहे

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