________________ श्री यशपाल जी संस्थापक एवं प्रबंध निर्देशक तंज्योति गुह्यविद्या साधन एवं अनुसंधान केंद्र हरिद्वार आद्यानन्दं यशपाल 'भारती' ने जो पराविज्ञान की ज्वाला प्रज्जवलित की वह समस्त भारत से होती हुई विदेशों तक जाकर जनमानस को गुह्य विद्या का ज्ञान प्रदान कर रही है। नित्य नूतन विषय-वस्तु की सुरम्य सुगन्धि के साथ इनके द्वारा निःसृत ज्ञान अपने आप में एक अमूल्य निधि है / ज्ञान के सागर यशपाल जी के बारे में कह सकते हैं कि इनका सृजित साहित्य निर्मल व मीटे जल की तरह से आप चिर / निर्मित ज्ञान का झरना सदै ,न्धिस्य ज्ञानांजन शलाक्य" की 5.............. हरिद्वार