Book Title: Swapna Siddhant
Author(s): Yogiraj Yashpal
Publisher: Randhir Prakashan

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Page 23
________________ [22] यह घटना आपको साधारण-सी लगेगी पर यह ऐसी साधारण नहीं है कि स्वप्न-विद्या पर ज्ञान न देती हो। क्या हुआ था उस व्यक्ति को? क्या वास्तव में बेहोश था? नहीं वह बेहोशी नहीं थी बल्कि उस शक्ति का अभाव था जिसके द्वारा जागा जाता है। इस सारी घटना में बात या कारण केवल इतना है कि उस व्यक्ति को प्यास लगी और वह सोना चाहता था अत: उसे जलादि के स्वप्न आने लगे और वह उन्हीं में खोया सोता रहा। इसी बीच क्या हुआ कि वह शक्ति जल सम्पर्क प्राप्त करने के लिये निकली। पास में घड़ा था, ढक्कन कुछ हटा था और शक्ति घड़े में जा घुसी। उसी समय माता जी ने आकर हटे हुए ढक्कन को ठीक से रख दिया जिस कारण वह घड़े में ही बन्द रह गयी और वह व्यक्ति तब तक सोता रहा जब तक कि घड़े का ढक्कन खोला नहीं गया। घड़े से ढक्कन हटा और वह जाग गया। यहाँ यह प्रश्न उत्पन्न होता है कि यदि वह शक्ति मटके में कैद हो गयी थी तो वह दीवारों को किस प्रकार पार कर जाती है । यह बात वास्तव में अनुसन्धान का विषय है जबकि वह शक्ति स्वच्छन्द होकर कहीं भी जा आ सकती है । यह प्रत्येक शरीर की अपनी-अपनी शक्ति है । रात्रि के समय प्राय: यह शक्तियाँ वातावरण में भ्रमण करती हैं। वातावरण में भ्रमण करते हुए यह शक्ति जो-जो कार्य करती है वह स्वप के द्वारा दृष्टिगोचर होते हैं। जैसे हम कल्पना करते हैं वैसे ही यह शक्ति प्राय: कल्पनातीत स्वप्न दिखाती है क्योंकि वह वैसी ही क्रिया वातावरण में करती है। परन्तु कभी यथार्थिक क्रिया करके सत्य स्वप्न दिखाती है। उदाहरणस्वरूप एक युवक युवती से प्रेम करना चाहता है पर हो नहीं पाता तब वह शक्ति सषप्तावस्था में निकलकर उसे काल्पनिक प्रेमालाप करवाती है । वह देखता है कि वह उस युवती से प्रेमालाप कर रहा है। परन्तु मैं इसे काल्पनिक स्वप्न कहता हूँ । यह शक्ति यदि उस युवती की

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