Book Title: Swapna Siddhant
Author(s): Yogiraj Yashpal
Publisher: Randhir Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 28
________________ [27] संध्या को भी वही स्वप्न वाला अंक खुल गया। यह क्या है ? यह आठवें प्रकार का स्वप्न है जिसका कि श्री प्रताप जी निर्माण कर रहे थे। मैं समझता हूँ कि आप समझ गये हैं कि आठवें प्रकार के स्वप्न का निर्माण करके साधक लाभ उठा सकता है। अत: अब मैं आपको आठवें प्रकार के स्वप्न के निर्माण की कुछ तान्त्रिक विधियाँ बता रहा हूँ। इससे पूर्व कि मैं इस विषय को आगे बढ़ाऊँ आप समझ लें कि यह सभी प्रयोग श्रद्धा और विश्वास से सम्पन्न होते हैं। आपको बारम्बार प्रयास करने पर भी यदि सफलता न मिले तो समझ लें कि तन्त्र-साधना के आप पात्र नहीं हैं। विशेष रूप से लालच के प्रभाव से, उत्तेजना के प्रभाव से, जिज्ञासा के प्रभाव से, परीक्षा के प्रभाव से यह प्रयोग असफल रहेंगे। ___यहाँ पर सर्वप्रथम वाराही देवी का मन्त्र प्रस्तुत है । इसे चारपाई पर ही ग्यारह सौ बार जपते हैं तो ग्यारह दिनों के भीतर ही साधक को स्वप्न में उत्तर मिलने लग जाते हैं। ॐ ह्रीं नमो वाराही अघोरे स्वप्नं दर्शय ठः ठः स्वाहा ॥ अब एक और विचित्र तान्त्रिक मन्त्र प्रस्तुत है सबसे पहले गेहूँ का आटा सवा सेर लें। शुद्ध घी ढाई पाव लें। चीनी भी अढ़ाई पाव लें। अब इन्हें कसार करके भून लें। यह क्रिया शुक्रवार की रात्रि को कर लें या शनिवार की प्रात: को करें । सामग्री लेकर शनिवार वाले दिन सूर्योदय से पहले वन प्रान्त में चले जायें और चीटियों के बिलों पर आगे कहा गया मन्त्र बोलते हुए यह सामग्री थोड़ी-थोड़ी डालते रहें। यह क्रिया वन में घूमते हुए करें और इतना घूमें कि थक जायें । जब सारी सामग्री समाप्त हो जाये और खूब थक लें तो वहीं किसी वृक्ष के नीचे सो जायें।

Loading...

Page Navigation
1 ... 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98