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| 3. स्वप्नों के मन्त्र
आज जैसे-जैसे उन्नति होती जा रही है वैसे-वैसे ही समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। यह स्वीकार करने में हिचक नहीं होनी चाहिए कि 'जितनी उन्नति, उतनी अधिक समस्याएं होती हैं। समस्या को समस्या समझकर कभी भी किसी ने अवहेलना नहीं की बल्कि उसके समाधान के मार्ग प्रशस्त किये हैं। प्रस्तुत पुस्तक स्वप्नों से सम्बन्धित है अत: स्वप्न समस्या की बात करेंगे।
___ मानव के पास अनेकों प्रश्न हैं जिनका उत्तर उसे प्राप्त नहीं होता तो ऐसे में उसे आठवें प्रकार के स्वप्न का निर्माण करना चाहिए।
इस बात से आपको चौंकाना या घबराना नहीं है क्योंकि माने या न माने 90% स्वप्नों के जन्मदाता तो आप स्वयं ही हैं। एक आदमी है। उसका कुछ कीमती सामान खो गया है । कहाँ पर है वह कीमती सामान?
आप आठवें प्रकार के स्वप्प से जान सकते हैं। मैं पास होने वाला हूँ या फेल? इसका उत्तर शेष स्वप्न तो देते ही हैं पर आठवें प्रकार के स्वप का निर्माण करके आप जान सकते हैं कि आप फेल होंगे या पास। एक घटना बताता हूँ।
प्रताप जी पर धन का संकट आया। व्यवसाय भी उन्हें बदलना पड़ा। एक बार उन्होंने आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने के लिये एक प्रयोग किया। उन्होंने, 'हे स्वप्नेश्वरी देवी ! मुझे शालीमार का नम्बर बताओ' निरन्तर जपा और सो गये । रात को उन्हें स्वप्न में एक अंक दिखाई दिया। दिन में उन्होंने अपने मित्र को वह अंक बताया। संध्या को वही अंक शालीमार में खुल गया और उनके मित्र ने लाभ प्राप्त किया।
दूसरी रात्रि को पुन: उन्होंने वैसी क्रिया की और सो गये। इस बार फिर उन्हें अंक दिखाई पड़ा। उन्होंने अपने मित्र को बता दिया और उस