Book Title: Swapna Siddhant
Author(s): Yogiraj Yashpal
Publisher: Randhir Prakashan

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Page 21
________________ [20] अन्त में एक अंक था ऐसी संख्या वाली टिकटें ले ली। इस प्रकार की वह बीस टिकटें संग्रह कर पाये और अगले दिन एक अंक खुल गया और उन्हें दो हजार रुपए इनाम के मिले। मैंने स्वप्न देखा कि रेत ही रेत है। एक को मैंने बताया तो उसने रेत के तीन अंक मानकर लाटरी खेली और अगले दिन तीन अंक ही खुला। चूँकि रेत ही रेत थी इसी कारण अगले दिन पुन: तीन अंक आया। ____ यह सब कुछ किस प्रकार सम्भव है कि स्वपों से अंक बनाकर धनार्जन किया जाये जबकि यह सत्य भी है कि अनेकों लोग स्वप्नों से अंक बनाकर लाटरी खेलते हैं। एक आदमी ने स्वप्न देखा कि हाथी है और उसके ऊपर लकड़ी का गट्ठा रखा है। दृष्टा ने गणित लगाया और एक के अंक पर खेलकर इनाम जीता। ____एक बन्धु ने बताया कि मैंने स्वप में पाँच स्त्रियाँ देखीं और स्त्री का शून्य मानकर टिकट ले ली है। अगले दिन पाँच का अंक खुला। इस तरह की त्रुटियाँ सम्भव है पर उस समय व्यक्ति क्या करे कि अंक-गणना तो सही की है परन्तु शालीमार का टिकट लिया और अंक खुल गया मटके में। मटके का टिकट लिया तो खुल गया शालीमार में। ___एक स्त्री ने स्वप्न देखा कि उसकी गोद में बालक बैठा है। उसका आदमी औरत की बिन्दी वाला अंक खरीद लाया। उसने मुझे बताया तो मैंने कहा कि आपके स्वप्न का जो 'आब्जेक्ट' है वह बालक है अत: बिन्दी नहीं आयेगी। यदि अंक आया तो चार आयेगा क्योंकि 'आब्जेक्ट' बालक है और बालक के चार अंक होते हैं । अगले दिन चार खुला। ___एक रात्रि देखा कि दो आदमी आ रहे हैं। उनके मध्य में एक बालक है । उसने एक लाठी ले रखी है जो कि बीचों-बीच से पकड़ी हुई है। किसी ने आठ अंक खरीदा और किसी ने चार अंक लिया पर 'आब्जेक्ट' पर ध्यान किसी का नहीं था तब एक से कहा कि भाई लाठी को क्यों भुलाते

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