Book Title: Swapna Samhita
Author(s): Rakesh Shastri
Publisher: Sadhna Pocket Books

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Page 11
________________ स्वप्न प्रत्येक व्यक्ति देखता है। स्वप्न जन्मकाल से आने लगते हैं । नवजात शिशु का मुख निद्रा के समय निहारें । कभी वह मुस्कुराता, कभी रोनी सूरत बनाता दिखलायी पड़ता है । स्पष्ट है कि वह भी निद्रा में स्वप्न देखता है और स्वप्नानुसार उसके चेहरे पर भाव आते रहते हैं। स्वप्न की अनेक दशाएं हैं। अधिकांश स्वप्न निद्रा टूटते ही लुप्त हो जाते हैं। इतना तो स्मरण है कि स्वप्न देखा है पर क्या ? याद ही नहीं पड़ता है। स्वप्नों का व्यापक अध्ययन करने और प्राचीन शास्त्रों के अनुसार स्वप्नों की दशा इस प्रकार है - (१) रुग्णावस्था, कमजोरी के कारण देखे गये स्वप्न कुछ अर्थ नहीं रखते हैं। (२) रात्रि के प्रथम, द्वितीय प्रहर में देखे गये स्वप्नों का फल कुछ नहीं होता है और हो भी तो बहुत विलम्ब से चरितार्थ होते हैं। . (३) मादक द्रव्यों का सेवन करने वालों के स्वप्न व्यर्थ होते हैं। उनका कोई फल नहीं मिलता है। रात्रि के अंतिम प्रहर में स्वस्थ शरीर दशा में देखे गये स्वप्नों का ही कुछ अर्थ होता है और वह शीघ्र चरितार्थ होते हैं। ___ वैज्ञानिकों की शोध के अनुसार स्वप्नों का दारोमदार खानपान पर भी निर्भर करता है । पाया गया है कि मांसाहारी भोजियों के स्वप्न प्राय:व्यर्थ होते हैं। हल्का सात्विक निरामिष भोजन कर्ताओं के ही स्वप्न स्वच्छ और सार्थक होते हैं। ऐसे ही सपनों का फल सैंकड़ों ग्रंथों से छानबीन कर अकारादिक्रम में इस पुस्तक में उनका फल दिया गया है। इनकी सत्यता का दावा हम नहीं करते, पर फिर भी जैसा शास्त्रों और ग्रंथों में लिखा है, वही हमने दिया है। 10

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