Book Title: Sursundari Chariyam
Author(s): Dhaneshwarmuni
Publisher:
View full book text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir | अग्धाईयं तासिं पत्तेयं जीइ जं उचियं // 89 // विजासिद्धिं नाउं महया भंडचडयरेण संजुत्तो। आँउजगीयवायणनट्टविहिं बहुविहं घेत्तुं // 90 // अट्ठाहिआनिमित्तं पूयाउँवगरणयं गहेऊणं / वेयड्ढाओ ताव य ताओवि समागओ तत्थ ॥९१शा युग्मम् / / काऊण महा| महिमं जुगाइजिणमंदिरम्मि भत्तीए / संपूजिय जहविहिणा विजानियरं पयत्तेण // 92 // निम्मलपवित्ततित्थोदएहिं पडिमाओ जिण| वरिंदाणं / न्हविऊण महादाणं दाउं विजाहरोहस्स // 93 // पूएत्तु पूयणिज्जे संमाणिय माणणिजजणनियरं / वरगीयनट्टवाइयसंजु| यमट्ठाहियं काउं // 94 // पडुपडहभेरिभभादुंदुहिसदोहपूरियदियंत / सुंदरनहयरसुंदरिपेक्खणयक्खित्तखयरोहं // 95 // निम्मलजिणगुणकित्तणपडिट्ठपडुमागहोहसकिन्न / वज्जंतवंसवीणाकलसद्दाणंदियजणोहं // 96 // पेच्छागयसुरकिन्नरचित्तचमुक्कारकारयं रम्म / काउंजिणिंदभवणे जागर,रुपावविद्दवणं // 97 // सयलपरिवारसहिओ पत्तो वेयड्डपव्वयं ताओ। कायव्वसेसकिच्चो तत्थेव अवडिओ अयं / / 98 // सप्तभिः कुलकम् // काउंजिणस्स पूर्व विहिणा जिणवंदणं च काऊण / उइए रविम्मि अयं सरीरचिंताए नीहरिओ॥९९॥ काउं सरीरचित केयसोओ दीहियाइ लीलाए / वच्चामि जाव थोवं भूभागं ताव पिच्छामि // 100 // युग्मम् // वंसि| कुडंगासने खग्गं भूपट्ठिसंठियं पवरं / चित्तूण चवलयाए झडत्ति छिन्ना कुडंगी सा / / 101 / / तत्थ य पुचपविट्ठो आसी खयरो उ मयरकेउत्ति / सामी गंगावत्तस्स गंधवाहणनरिंदसुओ॥१०२॥ छिन्नाए कुडंगीए छिन्नं महिवट्ठसंठियं दिटुं। सहसा सीसं तस्स | ओ झरंतयं रुहिरपभारं // 103 / / तं दट्टण ससंभमचलंतपिहुलोललोयणजुएण / हा हा ! अहो! अकजं कयंति परिदेवियं बहुहा | // 104 // अहो! पमायवसओ विहिया हिंसा मए इमा जाओ। तत्तो य किंपि होही विग्धं मह मंदभग्गस्स? // 105 / / अहवा 1 आडम्बरेण / 2 आउज्जं आतोद्यम् / 3 उपकरणक-सामग्री / 4 उरु वरिष्ठम् / 5 कृतशौचः। 6 पब्भारो समूहः / For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292