Book Title: Sursundari Chariyam
Author(s): Dhaneshwarmuni
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ***483981 8 तत्तो खणंतराओ मुच्छाविरमम्मि सोगसंतत्ता / हा! कत्थ गया भगिणी कीस न सो आगओ भाया ? // 91 // नूण तेण पिसाएण होञ्ज विहियं असोहणं किंपि / एमाइ चिंतयंती गवेसिंउ ताहि लग्गा हं॥१२॥ अह तत्थ रयणदीवे समंतओ हिंडिऊण | गयणत्था / भमिया लवणसमुद्दे पलोययंती तुमं बहुहा // 13 // फलयविलग्गो दिट्ठो समुद्दमज्झम्मि 'वीइनिवहेण / तोलिजमाणदेहो अह भाया मयरकेउत्ति // 94 // उक्खिविऊण तत्तो नीओ जिणभंदिरम्मि अह तम्मि / पुट्ठो य कह णु पडिओ समुद्दमज्झम्मि, अह | तेण // 95 / / वेयालदसणाई विजाच्छेयाइसयलवुत्ततो / कहिओ अह मह तेणवि भणियं सुरसुंदरी कत्थ ? // 96 // भणियं मएवि | भाउय पिसायरूवेण सावि अवहरिया / इय सोउं गुरुमोग्गरहउव्व सो मुच्छिओ सहसा // 97 // पासट्ठियखयरेहिं सीयलपवणाइकर ओ बहुहा / सत्थीकओवि कुमरो मुच्छिाइ जाहि पुणरुत्तं 98 // ताहे गंतु तायस्स साहिओ नहयरेहिं वुत्ततो / तं सोउं गुरुसोगो | ताओवि समागओ तत्थ // 19 // कहकहवि हु संठविउं नीओ वेयड्डपव्वए कुमरो / बहवे खयरकुमारा आणत्ता ताहि ताएण // 10 // | युग्मम् / / छक्खंडभरहमज्झे गामागरपट्टणेसु भमिऊणं / सुरसुंदरिबुवंत आणेह जहट्ठियं सिग्धं // 101 / / इय भणिउं पढविया बहवे | विजाहरा ओ ताएण / कुमरोवि विणोइजइ तायादेसाउ मिचहि // 102 // पियविरहसोयसंपीडियस्स कुमरस्स कइवि दिवसाणि / वचंति जाव ताव य अन्नम्मि दिणम्मि तत्थ पुरे॥१०३॥ संपत्तो चउनाणी चारणसमणो दुवालसंगविऊ / दमघोसो नामेणं सहसंबवणे समोसरिओ॥१०४।। युग्मम् / / तस्स य बंदणहेउं विणिग्गओ कुमरसंजुओ ताओ / वंदिता उवविट्ठो महिबढे परियणसमेओ॥१०५।। संसारकैदसायरउत्तारणजाणवत्तसंकासो / मुणिणावि तेसिं वीचिः-तणः / 2 स्वस्थीकृतः / 3 विनोद्यतेविनोदं कार्यते / 4 रुंदो विपुलः / H8 * * * For Private and Personal Use Only

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