Book Title: Sursundari Chariyam
Author(s): Dhaneshwarmuni
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kailassagersuri Gyanmandie * सुरसुंदरी चरिअं पण्णरहमो परिच्छेओ * // 131 // निसुणसु थूलगजीवाण निरवराहाण / निसिरंति जे न दंडं तेवि हु पाविति निव्वाणं // 234 // थूलमसचं भासं मणवइकाएहिं जे न कैप्पेंति / सुरमणुएसरसोक्खं भोत्तूण वयंति ते मोक्खं // 235 / / थूलमदत्तं वजंति जे सया तिबिहकरणजोगेहिं / सव्वत्थक्खय- वित्ता होऊण वयंति ते सिद्धिं // 236 // संतोसो सकलत्ते अहवा परदारवजणमुदारं। काउं सुरंगणाओ भोत्तण वयंति निब्वाण // 237 // इच्छापरिमाण सेविऊण लण विउलरिद्धीओ। देवनरेसरभावे कमेण गच्छंति निव्वाणं // 238 / एमाइवित्थरेणं गिहिधम्मे साहियम्मि केवलिणा। तो भणइ मयरकेऊ होमि समत्थो इमं काउं // 239 // तत्तो य गुरुसमीवे सुरसुंदरिमयरकेउपमुहेहिं / सम्मत्तरयणमूलो सावगधम्मो पैवन्नोति // 240 // | अह चित्तवेगपमुहा मुणिणो सूरिस्स पायमूलम्मि। गहणासेवणरूवं सिक्खं अब्भसिउमाढत्ता // 241 // कमलावइपमुहाओ अज्जाओ सुब्बयाइगणिणीए / पासम्मि साहुकिरियं सिक्खंति पदंति अंगाई // 242 // छट्ठहमदसमदुवालसाई विविहं तवं पकुवति / विणयं गुरूण सम्मं वेयावच्चं च सव्वेवि // 243 / / अह चित्तवेगमुणिणा चोद्दसपुव्वाई तत्थ पढियाई / भिन्नक्खरपुव्वधरो जाओ | अचिरेण कालेण // 244 // अह सुप्पइट्ठसूरी सूरि ठविऊण चित्तवेगमुणिं / कयअणसणो महप्पा निव्वाणमणुत्तरं पत्तो / / 245 // अह | चित्तवेगमरी गामागरनगरमंडियं वसुहं / विहरइ सुप्पडिबद्धो बोहितो भवियजणनियरं // 246 / / अजावि कणगमाला सुव्वयगणिणीए | सग्गपत्ताए / अहिसित्ता मयहरिया साहुणिगणबहुमया तत्थ // 247 // बोहितो भव्बलोयं तवससियतणू चत्तनीसेसरागो, सज्झाणड्डो 1 कुर्वन्ति / 2 कल्पयन्ति-रचयन्ति / 3 प्रपन्नः अङ्गीकृतः / 4 द्वादशज्ञानीत्यर्थः / 5 भिन्नाक्षर किचिन्न्यूनम् / 6 महत्तरा / 7 चत्तो त्यक्तः / सध्यानारूदः / | // 13 // * For Private and Personal Use Only

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