Book Title: Sursundari Chariyam
Author(s): Dhaneshwarmuni
Publisher: 

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Page 282
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुरसुंदरी सो मयणवेगोत्ति // 156 / / युग्मम् // सोऊण तस्स वयणं राया सोयाउरो विचिंतेई / अञ्जवि पुव्वविरुद्धो वइरी पढि न छड्डे // सोलहमो चरिअं Mal||157 // धी! संसारसहावो पुत्तोवि हु दारुणो हवइ बहरी / पिच्छ अकारणकुविओ वैवसइ एयारिसं पावं // 158 // मंतीहिं समं | // मताहि सम परिच्छेओ मंतं गुत्तं काऊण ताण वयणेणं / कट्ठहरे सो छूढो नरवइहियपुरिसकयरक्खो॥१५९॥ तत्थवि कलुसियहियओ पियवहपरिणामनि॥१३७|| च्छयमईओ। कोहेण धमधमतो किच्छेणं गमइ दियहाई // 160 // अह अन्नया कयाइवि पञ्जोसवणादिणम्मि संपत्ते / चारागारनर-1 गणे विसुज्झमाणे निवाणाए // 161 / / सुमण्इ तणयं जेट्टे कट्ठहरे संठियं नरवरिंदो। चिंतइ हा! हा! कटुं न हु जुत्तं मज्झ एरि| सयं // 162 / / जइवि हु कयावराहो दुस्सीलो हंदि ! नंदणो मज्झ / तहवि हु तम्मि निरुद्धे रजसुहं नो पसंसामि // 163 // पजोस-* | वणावि हु मह न य मुज्झइ तम्मि बंधणठियम्मि / इय चिंतिऊण मुक्को पेसेलवयणेहिं आलविओ // 164 / / मुंचसु पुत्त! विसायं | कुणसु पसायं कुमारभुत्तीए / दिक्खाइ गहणसमए निययपए तं ठविस्सामि // 165 / / देसंते गामसयं दाउं पंच्चइयनिययनरसहिओ। पट्टविओ सोवि गओ अमुक्कवेरो नियमणम्मि // 166 // चिंतेइ सो कयग्यो विविहोवाएहिं मारणं पिउणो / रत्तीए लहइ निदं न य सो कूडाई चिंतेतो॥१६७।। तत्थ य पव्वयगहणे पल्लीपासम्मि संवसंतस्स / मूलीए गवसंतो धूममुहो आगओ जोगी // 168 // उँवयरिओ सो तेणं सयणासणपाणभोयणाईहिं / तुटेण तेण दिन्नं अद्दिस्स अंजणं तस्स // 169 / / अंजियलोयणजुयलो अद्दिस्सो सो मणेण चिंतेइ / मारेमि वेरियं तं जेण मणं निव्वुई। . छड्डेइ-मुश्चति / 2 व्यवस्यति=करोति / 3 पर्युषणादिने। 4 नृपाज्ञया। 5 पेशलं-मुन्दरम् / 6 प्रत्ययितः विश्वस्तः / 7 उपचरितः पूजितः / 18 अदृश्यम् / ||137 // For Private and Personal Use Only

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