Book Title: Sursundari Chariyam
Author(s): Dhaneshwarmuni
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 9* सुरसुंदरी चरि पण्ण रहमो परिच्छेओ 4688* // 129 // ** विहिणो परव्वसाणे जायइ ज एरिसं दुक्खं // 171 / / परिथूलमुत्तियावलिबिहियचउक्कम्मि ताहि ठविऊण / सिंहासणमणवजं मणि- रयणपहाहिं विच्छुरियं // 172 // तत्थूव विट्ठस्स तओ मंगल्लाई कयाई तणयस्स / देवीए सुयसंगमहरिसवसुभिन्नपुलयाए // 173 // |तं किंपि आसि तइया तेसिं तणयस्स संगमे सोक्खं / कहिउंपि जं न तीरइ संकासं मुत्तिसोक्खेण // 174 / / इतो य कुसग्गपुरे गंतूणं भाणुवेगखयरेण / नरवाहणस्स रनो सिट्ठो सम्बोवि वुत्तो॥१७५|| नरवाहणेण भणियं एयनिमित्तं सुरक्खिया एसा। मग्गताणवि | पुचि न य दिना अन्नराईण // 176 / / तीए जम्मदिणेच्चिय आइ8 आसि दिव्वनाणीहिं / एसा कमा होही विआहरचकिणो भजा // 177 / / सत्तुंजयरुद्धस्सिह मह दिलं जेण जीवियं तइया / सुरसुंदरीवि दिन्ना तस्स मए किमिह पुच्छाए // 178 // वाहरिओ जोइसिओ भणिओ नीसेसदोसपरिसुद्धं / वीवाहलग्गदिवसं साहेसु निरूविऊणम्ह // 179 // तेणवि भणिय नरवर ! इओ दिणाओ | तइञ्जदिवसम्मि / अइसोहणं तु लग्गं रयणीए चरिमजामम्मि // 180 // एरिसगुणसंजुत्तं अन्न लग्गं न लब्भए सिग्छ / रमावि तओ | भणिय आसन्नमिणं तु कहमेत्थ // 181 / / सकिन्जा नीसेसा काउं वीवाहकरणसामग्गी / तो भाणुवेग! साहसु को कीरइ इह उवा| उत्ति // 182 / / युग्मम् / / अह तेणवि पडिभणिय गम्मउ नरनाह ! हत्थिणपुरम्मि / तत्थ य संपत्ताणं सबंपि हु सुंदर होही / | // 183 / / अह भाणुवेगविहिए दिव्बविमाणम्मि परियणसमेओ। तकालुचियं धित्तुं सयलं वीवाहउवगरणं // 184 // हत्थिणपुरम्मि | पत्तो एत्तो चित्तगइचित्तवेगावि / विजाहरोहसहिया पत्ता विनायवुत्तंता // 185 / / युग्मम् / / अह अमरकेऊ राया तेसिं काऊण सयलपडिवत्तिं / बहुखजपिअजुत्तं कारइ वीवाहसामग्गि / / 186 / / नियकुलकमागएणं विहिणा पत्तम्मि लग्गदियहम्मि / आणदियपउर , संकाश-तुल्यम् / 2 बहुखाद्यपेययुक्तम् / ** **** // 129 // For Private and Personal Use Only

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