Book Title: Sursundari Chariyam
Author(s): Dhaneshwarmuni
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir BR-8 इय सुरसुंदरि ! जाव य ताओ वज्जरइ ताव सहसत्ति / दमघोसवंदणत्थं धरणिदो आगो तत्थ // 123 / / दट्टण मयरकेउं सुइरं * | निज्झाइऊण वजरइ / जाणसि कुमार ! सो हं पुन्वभवे आसि तुह जणओ // 124 // भीमरहो नामेण मज्झ य अइवल्लहो तुमं आसि / / | कुसुमावलिसंभूओ कणगरहो नाम पुत्तोत्ति // 125 / / संजाए उम्माए सभारियाए तुमम्मि नीसेरिए / निउणं गवेसिओवि हु जाहे| | संपाविओ न तुम // 126 / / ताहे तुह लहुभायं वजरहं ठाविऊणं रजम्मि / वेरग्गभावियमणो पब्वइओ गुरुसमीवम्मि // 127 // | युग्मम् / / काऊणं पव्वज सोहम्मे सुरवरो अहं जाओ / सत्तपलिओवमाऊ तचो चइऊण इह भरहे // 128 // चंपाए पुरवरीए रनो दहिवाणस्स भाए / कुसुमसिरीए गम्भे उववन्नो दारगत्ताए // 129 / / युग्मम् / / जाओ य उचियसमए नाम च कयं पहंकरो मज्झ / एत्यंतरमि निहओ मञ्जपसत्तो पिया मज्झ // 130 // रजाहिलासिविमलेण मंतिणाऽहिडियं सयं रजं / नट्ठा भएण जणणी तिमास| जायं ममं पित्तुं // 131 / / युग्मम् / / पत्ता विजयपुरम्मी रनो संखस्स भाउणो पासे / जोव्वणपत्तो य अहं संखेण सम गओ तत्थ | // 132 // काऊण य संगामं विमलं इणिऊण समरमज्झम्मि | चंपाए नियरजे जाओ राया अहं ताहे // 133 / / विमलतणयावि नट्ठा | गतुं नयरम्मि हत्थिसीसम्मि / ओलग्गिउं पयत्ता जियसत्तुं नाम नरनाहं // 134 // बलगबिओ य अहयं समयं हत्थीहिं तत्थ | | खेल्लामि / तेण य मज्झ पसिद्धी जाया सव्वेसु देसेसु // 135 / / नस्थि पहंकरतुल्लो महावलो एत्थ भरहखित्तम्मि / रुटुं मत्तगइंदं |घरेइ जो एगवाहाए // 136 // रज पभूयकालं अहंपि चंपाइ तत्थ काऊणं / सुगुरुसमीवे बुद्धो रजे ठविऊण नियपुत्तं // 137 // | जाओ समणो ततो अभिग्गहो एरिसो मए गहिओ / गुरुमूले जाजीवं मासं मासाउ भोत्तव्वं // 138 // युग्मम् / / अह अन्नया कया , निस्सते / 2 युत्या मृत्या / 3 दारकतया-पुत्रत्वेन / 4 यावज्जीवम् / 5 मासाद् मासम्=मासान्तरेणेत्यर्थः / *8888343022-2680* For Private and Personal Use Only

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