Book Title: Sursundari Chariyam
Author(s): Dhaneshwarmuni
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गच्छामि अहं हंतुं सत्तुंजय दुरायारं / इय भणिऊणुप्पइओ तमालदलसामलं गयणं // 152 // पत्तो य कुसम्गपुरं उब्भडभडरुद्धवियड* पायारं। अंतोवहंतबहुजंतवत्तपासाणभीसणयं // 153 / / अट्टालयरइयधयं सैयग्घिसंघायरुद्धकविसीसं / बढ्तबहलकलयलगजंतुब्भड| भडाडोवं // 154 // अह कोऊहलवसओ गयणत्थो पेच्छिउं पयत्तो हं / ताव पुरभंजणत्थं समुट्ठियं मालवाणीयं // 155 // अविय / अप्पेह मज्झ कसियं कवयं मह देह सुंदरं वफरं / इय सत्तुंजयसिन्ने सुम्मति भडाण उल्लावा // 156 / / ढुकंतु वडइ| लाओ जताई वहंतु सरउ पेट्टउडी / अह खुप्पउ नीसेणी पायारे घडउ सूयरिया // 157 // दहह तमंगावरण छुहेह परिहासु पत्थरे पेउरे / अट्टालयविकसियाहिं खणह सत्तुजई भणइ // 158 / / मुंसुमूरिऊण गुरुपत्थरेहिं चुडुलीहिं सतणनिवहाहिं / डझंति तमगंतर| ठिएहिं जोहेहिं सूयरिया // 159 // पायारनिमियनिसेणिसंठियापुरनरिंदजोहेहिं / कुंतग्गलच्छिजंता पडंति परिहासु अरिपुरिसा / / | // 160 // अट्टालयजंतागयपत्थरनियरेण बडइलानियरो। उमच्छिाइ कत्तलविहुरियभडहत्थधरिओवि // 161 / / पक्खहतमंगसंठियधाणुकविमुक्कबाणनिभिन्ना / कलयलचडुलनियत्ता कसियाइत्ता विर्वजंति // 162 // पायालमूलपरिसकिराण खुरुदक्खियाण जोहेहिं / सीसाई दलसयाई कीरंति सयग्धिपयरेहिं // 163 / / पायारमपत्ताओ पट्टउडीओवि तिल्लसित्तेहिं / डझंति ससंकलजलियरूवगुरुक 1 वृत्तः मण्डलाकारः। 2 शतघ्नीसंघातरुद्धकपिशीर्षम् / 3 मालवानीकम्-दात्रुजयराजसैन्यमित्यर्थः / 4 कषितम् / 5 पटकुटी। 6 मज्जतु, अन्तर्भतणिजर्थत्वेन मनां करोत्वित्यर्थः / 7 सूयरिया=यन्त्रपीडनम्। 8 क्षिपत / 9 पउरे-प्रचुरान् / 10 मुसुमूरिऊण भक्त्वा / 11 चुडली उल्का / 12 तमः मत्तवारणम् / 13 निमियंन्यस्तम् / 14 उमच्छिज्जइ-वञ्च्यते-विप्रतार्यते / 15 धानुष्कः धनुः प्रहरणं यस्य सः। 16 विपद्यन्ते-नियन्ते। 17 खुरडल्लियाण, खुरु=प्रहरण विशेषः / 18 प्रकर: समूहः / 19 कलजडितरूपगुरुकाष्टनिवहसहितः। For Private and Personal Use Only

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