Book Title: Sursundari Chariyam
Author(s): Dhaneshwarmuni
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुरसुंदरी चउद्दहमो परिच्छेओ चरिअं // 118 // | परिहरियव्यो पयत्तेण / / 87 // मजं विसयकसाया निद्दा विगहा य पंचमी भणिया / इय पंचविहपमाओ जीवं पाडेइ संसारे // 8 // | किं बहुणा धीदुब्बलमणतावकरो उ जावजीवाए / बोढव्वो अट्ठारससीलंगसहस्सपब्भारो / / 89 / / कीरंतो जइधम्मो खिप्पं मोक्ख|म्मि नेइ नरनाह ! / दीहरकालेणं पुण सावगधम्मोवि तं सव्वं // 9 // पंच य अणुव्ययाई गुणव्वयाई च होति तिन्नेव / सिक्खा* बयाई चउरो सावगधम्मो दुवालसहा // 11 // एमाइवित्थरेणं दुविहेवि हु साहियम्मि धम्मम्मि / पत्थावं नाऊणं रमा सूरी इमं पुट्ठो // 12 // कमलाबईइ पुत्तो अडवीए | जायमेत्तओ केण / अवहरिओ, पुवकयं किंवा वेरं सरंतेण ? // 93 / / बुढेि गओस कत्थ व भयवं! कइया व अम्ह सो मिलिही। | एयं सवित्थरेणं साहेह अणुग्गहं काउं॥९४॥ नाऊण य उवगारं कहिजमाणे पभूयलोयस्स / अह केवलिणा भणिय कहिमो * आयन्नसु नरिंद ! // 15 // धायइसंडे दीवे पुरच्छिमद्धम्मि भरहखित्तम्मि / अस्थि पुरी पोराणा नामेणं अवरकंकत्ति // 96 / / तीए अंबडवणिणो महिला | नामेण अस्थि अच्छुत्ता / तीए कमेण जाया वररूवा तिन्नि पुत्ताओ // 97 // मंडणमल्हणचंदणनामा, तेसिं च तिन्नि महिलाओ। लच्छिसरस्सइसंपयनामाओ पवररूवाओ // 98 // पयईइ तणुकसाया अनोग्नं पवरपीइसंजुत्ता / दाणरया संतुट्ठा सुहेण अच्छंति ते | वणिणो // 99 // अह अन्नया कयाइवि लच्छी बंठेण निन्ननामेण / दिट्ठा, अब्भुववन्नो सो तीए रूबलाबन्ने 100 // 1 विकथा / 2 द्वादशधा / 3 पुरच्छिमद्धं पश्चिमार्धम् / 4 वंठो दासः / 5 अभ्युपपन्नः / // 118 // For Private and Personal Use Only

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