Book Title: Sursundari Chariyam
Author(s): Dhaneshwarmuni
Publisher: 

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Page 247
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कलिएहिं // 130 // पुच्चभवब्भासाओ सुलोयणा वल्लहा सुबंधुस्स / तीए उण सो न तहा, एवं बच्चति दिवसाई // 131 / / अह अन्नया | कयाइवि कणयरहो तुरयवाहणनिमित्तं / भंडचडयरेण सहिओ निग्गच्छइ रायमग्गेण // 132 // ताव य नायरियाओ नियनियह| म्मियतलेसु चडिऊण / कुमरं निग्गच्छंतं पुलइउमेवं पयत्ताओ॥१३३।। एका विलासपउरं कुमरं दटुं अणंगपडिरूवं / केयउन्ना | सा जीए एसो दइओत्ति चिंतेह // 134 // अन्ना कुमरपलोयणतग्गयचित्ता विमुक्कवावारा / निफंदलोयणजुया सुरवहुलीले समुन्व| हइ // 135 / / अन्ना उण करसंठियमुत्ताहलतारहारिया सहइ / फैलिहक्खमालवावडझाणट्ठियजोगिणिसरिच्छा // 136 / / कोउंगरहस| पयट्टा गुरुजणसंकाइ तह नियतंती। रेहइ दोलारूढव्व कावि कुमरस्स निग्गमणे // 137 // लीलाचलंतलोयणकुमरपलोयणविमुक्क| नीसासा / मयणसरसल्लियंगिव्व नजए चउरसहियाहिं / / 138 // कावि हु चुंबइ बालं अन्ना सहियाइ लग्गए गलए। अन्ना करेइ गीय कावि हु उचं समुल्लवइ // 139 / / लीलाचलंतगीवो जत्तो जत्तो नियेच्छइ कुमारो। सोहग्गमहो बड्डइ तहिं तहिं नयरJail नारीणं // 140 // एवं च समयणाहिं पुलइज्जतो स नयरनारीहिं / पत्तो कमेण सागरदत्तगिहासन्नभूभागे // 141 / / दिवो सुलोयणाए | अवलोयणसंठियाइ तेणावि / दिट्ठा इमा सकजलसिणिद्धपिहुनयणसोहिल्ला // 142 / / पुव्वभवन्भासाओ अवरोप्परदसणाओ संजाओ। | अइगरुओ अणुराओ तक्खणमेतेण दोहंपि // 143 / / अह निग्गओ तुरंतो तुरंगमारूढविग्गहो कुमरो। देहेण न चित्तेणं सुलोयणारूवयहियओ // 144 // पुट्ठो अणेण सुमई बालवयंसो वयंस! कस्सेसा। दप्पणवावडहत्था अवलोयणसंठिया जुबई 1 // 14 // 1 सः=सुबन्धुः / 2 तथा वल्लभः। 3 भटपटलेन / 4 नागरिक्यः / 5 कृतपुण्या / 6 बस्थाः। 7 राजते / 8 स्फटिकाक्षमालाव्याप्तध्यानस्थितयोगिनीसहशी / 9 कौतुकरभसप्रवृत्ता। 10 निवर्तमाना। 11 चतुरसखीभिः / 12 पश्यति / 13 महा उत्सवः / 14 दृश्यमानः / For Private and Personal Use Only

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