Book Title: Sursundari Chariyam
Author(s): Dhaneshwarmuni
Publisher: 

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Page 257
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दक्खिणसेढीइ पुरे रमणीए रयणसंचए पवरे। पवणगइखयरपुत्तो उववनो बउलवइयाए // 28 // नामेण चित्तवेगो एत्तो देवीवि * चंदरेहा सा। चविऊण य उप्पन्ना नयरे सिरिकुंजरावत्ते // 29 // खयरस्स अमियगइणो पियाइ भाइ चित्तमालाए / अइवल्लहा उ धूया नामेण कणगमालत्ति // 30 // चतसृभिः कलापकम् / / एत्तो य पुब्वभणिओ सुलोपणाइण आसि जो भाया / वसुदत्तो नामेणं सोवि हु भमिऊण संसारे॥३१॥ उप्पनो वेयड्ढे गंगावत्तम्मि खयररायस्स / सिरिंगंधवाहणस्स उ पुत्तो मयणावलीए ओ // 32 // नहवाहणोत्ति नामं वरिया अह तस्स कणगमाला सा / हरिऊण य परिणीया छलेण सा चित्तवेगेण // 33 // तिसृभिः विशेषकम् / / नहवाहणेण बद्धो सो खयरो नागिणीइ विजाए / आणीया नियनयरे विलवंती कणगमालावि // 34 // परियायंतरपत्तं अणिच्छमाणिपि इच्छए रमिउं / भगिणिपि पिच्छ नरवर! एसो अन्नाणदोसेण // 35 // इय नरवर ! संसारे अन्नाणंधेहिं एत्थ जीवेहिं / भगिणीवि | अहिलसिजह धूया सुण्हा व जणणी वा // 36 // भगिणीवि होइ भजा, पियावि पुत्तो, सुयावि जणणित्ति / भजावि जत्थ माया | धिरत्थु संसारवासस्स // 37 // एयं च तुज्झ नरवर ! धणदेवेणेव साहियं पुव्वं / सहसा सुरेणं पुणरवि उवणीया चित्तवेगस्स // 38 // बहुविहविजाहिं समं जाओ खयराहिवो तओ एसो। भुंजइ दइयाए समं वेयड्डे तत्थ विसयसुहं // 39 / / चंदज्जुणोवि देवो चइऊणं उत्तराए सेढीए / नयरम्मि चमरचंचे चित्तगई नाम उववन्नो॥४०॥ चंदप्पहावि देवी जाया य पियंगुमंजरी तस्स / भजा सो तीइ समं भुंजइ माणुस्सए भोए // 41 // तस्स य उत्तरसेढी समयं विजाहिं चित्तवेगेण / दिना सिणेहसारं इय ते अच्छंति वेयड्डे॥४२॥ पुव्वभवन्भासाओ सिणेहसाराण ताण दोण्हंपि / वोलीणो बहुकालो विसयसुहं अणुहवंताणं // 43 // अह अन्नया कयाई सहिओ 1 पर्यायान्तरप्राप्ताम् / 2 स्नुषा-पुत्रवधूः / For Private and Personal Use Only

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