Book Title: Sursundari Chariyam
Author(s): Dhaneshwarmuni
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुरसुंदरी चरिअं // 113 // | पच्छाइयं नहं कसिणमेहनिवहेण / संखोहियसलिलनिही पवाइओ मारुओ चंडो॥१९॥ जमजीहव्व चमकइ तडिच्छडासंततं सम-1* तेरडयो तेण / धाराहरावि गजंति भीसणं मच्चुसुहडव्य / / 195 // खरपवणुद्धयसायरतरंगवेगेहिं हीरए नावा / गुरुकल्लोलवसुट्टियनंगरनि- परिच्छेओ यरेण धरियावि // 196 / / अणवस्यतरंगेहिं उप्पयनिवयं कुणंतिया वहइ / तंदूसयस लीलं कोट्टिमकरहम्ममाणस्स // 197 // ताव य | खणंतराओ खरमारुयखंचणेण जज्जरिया। करकरकरस्स तुटृति नंगरा वीइवेगेहिं / / 198 / / पवस्तुरंगमतरुणिव्व ताहिं उम्मुक्कबंधणा | नावा। वीईनोलिज्जता पैहाविया गरुयवेगेण // 199 // कत्थइ सुसिद्धविजा खयरिव्व नहंगणेण उप्पयइ / विज्जाविगमे कत्थइ निवडइ खयरिव्व गयणाओ / / 200 / / डंडाहया भुयंगिव्व जाइ कत्थइ तरंगरंगता। महजणसदुत्तत्थव्य धावए कत्थइ अईव / / 201 / / कत्थइ झाणोवगया झायइ सा जोगिणिव्व निकंपा। कत्थइ कंतारगया थेरी इव मंदयं वयइ // 202 // कत्थइ गुरुजणदिट्ठा वराहकुलबालियव्य लज्जाए। घुम्मइ वेविरदेहा सा नावा जलहिमज्झम्मि // 203 // कल्लोलजलपलावियफलयगलंतोरुबिंदुअंमूहि / रुयइव्व समस्सियजणोहपरिरक्खणाऽसत्ता // 204 // विहडियबंधणफलहोहमुक्कगुरुसद्दविप्पलावेहिं / आसन्नभंगभीयव्व विलवई सरणपरिहीणा / / 205 // उम्मत्तियव्व तत्तो इओ तओ सायरम्मि भममाणा। अणवरयं विदलंता जलगयमामयसरावुव्व | // 206 / / उव्वुन्नकन्नधारा आउलविलवंतकोलियकुलोहा / उत्तत्थवणियसत्था उद्धयकंदंतकैम्मयरा // 207 / / कच्छोट्टतरगोषियसुवनखंडम्मि जणसमूहम्मि / नियतणुसंदामियफलयखंडदक्खम्मि वणिनियरे // 208 // नियकुलदेवयनियरं ओवीयते समथलोयम्मि। 1 धाराधरः मेघः / 2 उत्पातनिपातम् / 3 कुर्वती / 4 नोलिज्जता=नोद्यमाना=प्रेर्यमाणा। 5 प्रधाविता / 6 स्थविरा=वृद्धा। 7 पलावियं प्लावितम् / skil8 समस्सिओ-समाश्रितः। 9 विदलतात्रुव्यन्ती। 10 आम=अपक्वम् / 11 कर्मकर: दासः / 12 उपयाचमाने / For Private and Personal Use Only

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