Book Title: Subodh Sanskrit Dhatu Rupavali Part 02
Author(s): Rajesh Jain
Publisher: Tattvatrai Prakashan

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Page 27
________________ અર્થ. धातु,ए, 56, વર્તમાનકાળ | હ્યસ્તન ભૂતકાળ| તકાળT આજ્ઞાર્થ આજ્ઞાર્થ | વિધ્યર્થ કર્તરિ | કર્મણિી કર્તરિ | કર્મણિ કિર્તરિ | કર્મણિ |કર્તરિ | કર્મણિ लिप-६,6.लीपवू लिम्पति-ते लिप्यते | अलिम्पत्-त अलिप्यत लिम्पतु-ताम् लिप्यताम् | लिम्पत्-त लिप्येत लुप्-४,पर. नाश | लुप्यति | लुप्यते / अनुप्यत् अलुप्यत लुप्यतु लुप्यताम् | लुप्येत् |लुप्येत પામવું लुप्-६,8.5/ लुम्पति-ते | लुप्यते | अलुम्पत्-त अलुप्यत लुम्पतु-ताम् | लुप्यताम् | लुम्पेत्-त लुप्येत वप्-१,8. वावj वपति-ते | उप्यते अवपत-त औप्यत | वपेत-त | उप्येत वह-१,6.46 52j | वहति-ते | उह्यते | अवहत्-त औह्यत वहतु-ताम् | उह्यताम् | बहेत्-त / उह्येत विच्छ्-६,५२. rg, विच्छायति विछठ्यते, अविच्छायत् अविच्छ्यत, विच्छायतु | विच्छ्यताम्, विच्छायेत् | विच्छ्येत, શોભવું विच्छाय्यते | अविच्छाय्यत विच्छाय्यताम् विच्छाय्येत विद्-१०,मा. मोरावj | वेदयते | वेद्यते वेद्यते / अवेदयत अवेद्यत वेदयताम् | वेद्यताम् | वेदयेत | वृ-१,.aisj वरति-ते | वियते अवरत्-त अवियत वरयतु-ताम् | वियताम् | वरेत-त |ब्रियेत वेद्येत वृ-१०,8. disj वृज्-१,५२. वर्ष वृज्-१०,6. वkg वारयति-ते वार्यते अवारयत्-त अवार्यत वर्जति वृज्यते | अवर्जत् अवृज्यत वर्जयति-ते वय॑ते अवर्जयत्-त अवय॑त वारयतु-ताम| वार्यताम् / वारयेत्-त| वार्येत वर्जतु वृज्यताम् |वजेत् / वृज्येत वर्जयतु- | वय॑ताम् | वर्जयेत्-त | वज्यंत / ताम સુબોધ સંસ્કૃત ધાતુ રૂપાવલી ભાગ-૨ ... . w

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