Book Title: Subodh Sanskrit Dhatu Rupavali Part 02
Author(s): Rajesh Jain
Publisher: Tattvatrai Prakashan

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Page 31
________________ ધાતુ,ગણ, પદ, | વર્તમાનકાળ | હસ્તન ભૂતકાળ] આજ્ઞાર્થ | વિધ્યર્થ અર્થ કર્તરિ | કર્મણિ, કર્તરિ | કર્મણિ, કર્તરિ | કર્મણિ | કર્તરિ, કર્મણિ ष्ठिव-४,५२. ysjष्ठीव्यति | ष्ठीव्यते | अष्ठीव्यत् | अष्ठीव्यत |ष्ठीव्यतु |ष्ठीव्यताम् | ष्ठीव्येत् |ष्ठीव्येत सञ्ज-१,पर.वगवं सजति सज्यते | असजत् असज्यत | सजतु | सज्यताम् | सजेत् |सज्येत सस्ज-१,6.org, सपन | सज्जति-ते सज्ज्यते | असज्जत्-त असज्ज्यत | सज्जतु-ताम् | सज्ज्यताम् | सज्जेत्-त | सज्ज्यताम् થવું सह-१,५२. सहज 52j| सहति | सह्यते | असहत् असह्यत |सहतु साताम् | सहेत् |सोत सह-१०,6. स61 52j] साहयति-ते| साह्यते असाहयत्- | असाह्यत साहयतु- |साह्यताम् | साहयेत्-त साह्येत ताम् | सिव-४,५२. सीववं सीव्यति | सीव्यते | असीव्यत् | असीव्यत | सीव्यतु सीव्यताम् | सीव्येत् सीव्येत धावतु सु-१,५२.asp धावति सो-४,५२. नाशरवो | स्यति स्व-१,मा. भेटj | स्वजते अधावत् | अस्रियत सीयते |अस्यत् असीयत स्वज्यते | अस्वजत | अस्वज्यत स्रियताम् | धावेत् |सीयताम् |स्येत् | स्वज्यताम् | स्वजेत स्रियेत सीयेत स्वज्येत 20) सुखी संस्कृत धातु स्थायली Pex

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