Book Title: Subodh Sanskrit Dhatu Rupavali Part 02
Author(s): Rajesh Jain
Publisher: Tattvatrai Prakashan

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Page 113
________________ पुनीते ધાતું,ગણ, પદ, | વર્તમાનકાળ | હ્યસ્તન ભૂતકાળ આજ્ઞાર્થ | વિધ્યર્થ અર્થ કિર્તરિ | કર્મણિ, કર્તરિ | કર્મણિ, કર્તરિ | કર્મણિ | કર્તરિ | કર્મણિ पू-6,6. पवित्र रj | पुनाति, | अपुनात्, अपूयत पुनातु, पूयताम् पुनीयात्, | पूयेत पुनीताम् पुनीत पृ-3,4.भर पिपति प्रियते | अपिपः अप्रियत | पिपर्तु / पिपृयात् | प्रियेत सम्+पृच्-२,मा.संघ संपृक्ते संपृच्यते | समपृक्त समपृच्यत | संपृक्ताम् | संपृच्यताम् | संपृचीत | संपृच्येत રાખવો सम्+पृच्-9,42. संपृणक्ति | संपृच्यते | समपृणक्-| समपृच्य- संपृणक्तु | संपृच्यताम् | संपृच्यात् | संपृच्येत સમાગમ કરવો पृ-3,42. भरj | पिपर्ति अपिप: अपूर्यत | पिपर्तु | पूर्यताम् | पिपूर्यात् | पूर्येत पृ-८,५२. भरवू पृणाति अपृणात् | अपूर्यत | पृणातु | पूर्यताम् | पृणीयात् | पूर्येत प्री-6,6. प्रेमरवो प्रीणाति, | प्रीयते अप्रीणात, | अप्रीयत | प्रीयताम् प्रीणीयात्, प्रीयेत प्रीणीते अप्रीणीत प्रीणीताम् प्रीणीत प्लुष्-८,५२.जा . | प्लुष्णाति | प्नुष्यते अप्लुष्णात् | अप्लुष्यत | प्लुष्णातु प्लुष्यताम् | प्लुष्णीयात् प्लुष्येत प्सा-२,५२. पाj प्साति | प्सायते | अप्सात् अप्सायत | प्सातु प्सायताम् | प्सायात् प्सायेत बन्ध्-,५२.जांध बध्नाति | बध्यते अबध्नात् | अबध्यत | बध्नातु बध्यताम् बनीयात् | बध्येत पूर्यते पूर्यते 12) Toli संस्कृत धातु स्थायी माPER

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