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अजितशान्ति स्तवनम् ॥
(पदार्थ)
( विमल ) निर्मल ( ससिकला ) चन्द्रकलासे भी ( अइरेअ ) अधिक है ( सोम्मं ) सौंदर्य जिनका ( वितिमिर ) मेघरहित ( सूरकर ) सूर्य किरणों से भीं (अइरेअ ) अधिक है (अं) तेज जिनका (तिअसवइ ) इन्द्रोंके ( गण ) समुदाय से भी ( अइरेअ ) अधिक है (रू) स्वरूप जिनका ( धरणिधर ) पर्वतों में ( [पवर ) श्रेष्ट जो मेरुपर्वत उससे भी ( अइरेअ ) अधिक ( सारं ) स्थिरता जिनकी ।.
( भावार्थ )
निर्मल चन्द्रकलासे भी अधिकतर है सौंदर्य जिनका, मेघरहित सूर्यकिरणों से भी अधिकतर है तेज जिनका, देवताओं के पति इन्द्रादिकों के समूहसे भी अधिक है। स्वरूपाजनका, पर्वतों में श्रेष्टतम सुमेरु पर्वत से भी अधिक है स्थिरता जिनकी ।
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( भुजंगपरिरिंगितछंदः ) ( भुअगपरिरिंगिअं)
सत्ते सया अजिअ सारीरेअ बले अजिअं ।