Book Title: Stotradi Sangraha
Author(s): Kantimuni, Shreedhar Shastri
Publisher: ZZZ Unknown

View full book text
Previous | Next

Page 195
________________ 'सिग्धमवहर स्तोत्र ॥ ( पयपउम ) चरणकमलको ( पणय ) प्रणाम करने वाले ( पाणीणं ) प्राणियोंके ( निदलिय ) नाशकिएहैं (दुरियविंदो ) कष्ट और पापोंके समुदाय जिनने ऐसे ( धरणिदो ) धरणेन्द्रभगवान (दुरियाई ) दुःखोंको (हरउ ) नाशकरें ॥ ४ ॥ (भावार्थ ) श्रीयुक्त स्तंभनकपुरवासी पार्श्वभगवानके चरणकमल को प्रणामकरनेवाले प्राणियोंके नाशकियेहैं कष्ट और पापोंके समुदाय जिनने ऐसे धरणेन्द्रभगवान दुःखोंको नाशंकरें ॥ ४॥ ..... । ॥ गाथा ॥ गोमुह-पमुक्ख-जक्खा पडिहयपडिवक्वपक्ख लक्खाते । कयसगुणसंघरक्खा हवन्तु संपत्तसिवसुक्खा ॥५॥ (छाया) प्रतिहतप्रतिपक्षपक्षलक्षाः संप्राप्तशिवसौख्याः ते गोमुखप्रमुखयक्षाः कृतसगुणसंघरक्षाः भवन्तु ॥ ५ ॥ (पदार्थ) (पडिहय ) नाशकियेहैं ( पडिवक्ख ) संघको उपद्रव

Loading...

Page Navigation
1 ... 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214