Book Title: Stotradi Sangraha
Author(s): Kantimuni, Shreedhar Shastri
Publisher: ZZZ Unknown

View full book text
Previous | Next

Page 205
________________ मिग्वमवहर स्तोत्र ॥ ॥गाथा ॥ जिणदत्तगुणेणाणाइणो, सयाजेधरत धारिति दंसियसियवायपए नमामिसाहम्मियातेवि ॥१॥ (छाया) ये सदा जिनदत्तगुणज्ञानादीन् धरति धारयन्ति तान् दर्शितस्याद्वादपदान् साधर्मिकान् अपि ( अहं ) नमामि ॥ १४ ॥ (पदार्थ) (जे) जो ( सया ) निरंतर (जिण ) जिन भगवानने ( दत्त ) दिये हुए (गुणेणाणाइणो) गुण ज्ञान दर्शन चारित्रादिकोंको (धरंति ) धारण करते हैं और ( धारिति ) धारण करवाते हैं ( दशिय ) दिखाये हैं (सियवायपए ) " स्यादस्ति स्यान्नास्ति ” इत्यादि पद जिन्होंने ऐसे ( ते) उन ( साहम्मिया) सार्मिकोंको ( अवि ) भी ( नमामि ) मैं नमस्कार करताहूं ॥ १४ ॥ ' (भावार्थ) जिन भगवानने दीये हुए गुण और ज्ञान दर्शन चारित्रादिकोंको · जो निरंतर धारण करतेहैं और

Loading...

Page Navigation
1 ... 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214