Book Title: Stotradi Sangraha
Author(s): Kantimuni, Shreedhar Shastri
Publisher: ZZZ Unknown

View full book text
Previous | Next

Page 156
________________ २० . संजय स्तोत्र ॥ (छाया) (असुरकुमाराद्या दशभेदाः) भवनपतयः ( पिशाचादिषोडशप्रकाराः) वानव्यंतराः ज्योतिष्कवैमानिकाश्चये देवाःते धरणेंद्रशक्रसहिताः (सन्तः) तीर्थस्य दुरितानि दलयन्तु । (पदार्थ ) (भवणवइ) असुरकुमारादि दस भवनपति (वाणमंतर) पिशाचादि सोलह वानव्यंतर ( जोइस ) ज्योतिष्क (य) और ( वेमाणिया ) भानिक (जे) जो ( देवा ) देवता (धरगिंदसकसहिया ) धरणेंद्रादि शकसहित होकर ( तित्थस्स ) संघके (दुरियाई ) पापों को (दलंतु ) नाशकरो। (भावार्थ) अपुरकुमारादि दश भवनपति पिशाचादि सोलहवान व्यंतर जोतिष्क और वैमानिक देवता ये सब धरणेन्द्रादि शकोंकेसाथ संघके पापोंको नाशकरो। (गाथा) चव्कंजस्सजलंतं गच्छइपुरउँ पणासियतमोहं तंतित्थस्स भगवउँ नमो नमोवद्धमाणस्स ॥२१॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214