Book Title: Stotradi Sangraha
Author(s): Kantimuni, Shreedhar Shastri
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 191
________________ अथ सिग्घमवहरस्तोत्रं प्रारभ्यते । ॥श्रीमहावीरायनमः ॥ ॥ गाथा ॥ सिग्यमवहरउविग्धं जिणवीराणाणुगामिसंघस्स । सिरिपासजिणोथंभण पुरहिउ निद्रियाणिहो ॥१॥ (छाया) जिनवीराज्ञानुगामिसंघस्य निष्टितानिष्टः स्तंभनकपुरस्थितः श्रीपार्श्वजिनः विघ्नं शीघ्रं अपहरतु ॥ १॥ (पदार्थ ) (जिनवीर ) श्रीमहावीरस्वामीकी ( आगा ) आज्ञा को (अणुगामि ) माननेवाले ( संघरस ) संघके (निविआ ) नाशकिये हैं (अणिट्ठो) अनभिमत जिनने

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